सम्मेलन ने किया शहर कमेटी का चुनाव
बरेली। इंकलाबी मजदूर केंद्र का बरेली शहर सम्मेलन गुरुवार को प्रेरणा सदन, पी डब्लू डी ऑफिस में संपन्न हुआ। शहर सम्मेलन की शुरुआत वरिष्ठ साथी देव सिंह द्वारा झंडारोहण से की गई। झंडारोहण के पश्चात झंडा गीत गाया गया। सम्मेलन में देश-दुनिया के हालातों पर चर्चा से पहले अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। बरेली में मजदूरों के हालात व संगठन की स्थिति पर भी रिपोर्ट पेश कर चर्चा की गई। दुनिया के हालातों पर चर्चा करते हुए इंकलाबी मजदूर केंद्र के हरिगोविंद ने कहा कि वर्तमान आर्थिक संकट के दौर में दुनिया भर के पूंजीपतियों द्वारा अपने मुनाफे के लिए मजदूर-मेहनतकशों की लूट जारी है। वैश्विक आर्थिक संकट का सारा बोझ मजदूर-मेहनतकश जनता पर डालते हुए जनविरोधी नीतियों को ही आगे बढ़ाया जा रहा है। इन नीतियों के खिलाफ जनता के आक्रोश को दबाने के लिए ही एकाधिकारी पूंजीपति वर्ग द्वारा दुनियाभर में फासीवादी-दक्षिणपंथी व्यक्तियों/संगठनों को आगे बढ़ाया जा रहा है। अपने मुनाफे को बरकरार रखने के लिए ही पूंजीवादी-साम्राज्यवादी देशों के शासक पूरी दुनिया को युद्धों में झौंक रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध इसका उदाहरण हैं। आज पूरी दुनिया के मजदूर-मेहनतकशों को फासीवादी ताकतों व पूंजीवादी लूट-शोषण और युद्धों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है।
इंकलाबी मजदूर केंद्र के बरेली शहर सचिव ध्यान चंद्र मौर्य ने बताया कि हमारे देश में भी मजदूर-मेहनतकशों के हालात बहुत ही बदतर हैं। अदाणी-अंबानी जैसे बड़े पूंजीपतियों और फासीवादी संगठन आर एस एस-बीजेपी का नापाक गठजोड़ मजदूर-मेहनतकशों पर हमलावर है। मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव कर उन्हें चार श्रम संहिताओं में बदलकर मजदूर वर्ग को अधिकार विहीनता की स्थिति में धकेल दिया है। संघ-भाजपा मंडली द्वारा पूरे देश में सांप्रदायिक उन्माद पैदा कर आम जनता के मुद्दों (महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) को पीछे धकेला जा रहा है। जनता के जनवादी अधिकारों को बेरहमी से कुचला जा रहा है। जनवादी-मानवाधिकारों कार्यकर्ताओं/संगठनों का दमन-उत्पीड़न कर उन्हें जेलों में डाला जा रहा है। सभी संस्थाओं/एजेंसियों के प्रमुख पदों पर संघ-भाजपा समर्थक व्यक्तियों को बैठाकर उनकी स्वायत्तता को खत्म किया जा रहा है। हमें इन हालातों को बदलने के लिए मजदूर-मेहनतकशों को वर्गीय आधार पर एकजुट करना होगा।
इमके के कार्यकर्ता व मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित ने कहा कि बरेली शहर में मजदूर मुख्यतः परसाखेड़ा, रजउ, दुकानों-मालों, सरकारी विभागों व गिग वर्कर के रूप में कार्यरत हैं। इन सभी जगहों में कहीं भी श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है। काम के घंटों से लेकर, न्यूनतम वेतन, कार्यस्थल पर सुरक्षा, साप्ताहिक छुट्टी, सामाजिक सुरक्षा आदि हर जगह श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। सरकारी विभागों में ठेका-संविदा के मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिनका खुद सरकार द्वारा शोषण किया जा रहा है। कार्यस्थल पर सुरक्षा के अभाव में लगातार दुर्घटनाओं में मजदूरों के मारे जाने की खबरें आती हैं। हमें इसके खिलाफ मजदूरों को संगठित कर संघर्ष करना होगा।
बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने कहा कि आज मजदूर आंदोलन अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ है। जाति-धर्म-क्षेत्र के आधार पर मजदूरों को आपस में ही बांटने की राजनीति की जा रही है। सरकारी विभागों में जारी ठेका-संविदा की नीति ने भी मजदूर आंदोलन को कमजोर करने का काम किया है। ठेका-संविदा मजदूरों का इन विभागों में भारी शोषण-उत्पीड़न किया जा रहा है। हमें शासकों के हथकंडों से बचकर व आपसी मतभेदों को भुलाकर मजदूरों के हितों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
सम्मेलन के अंत में 4 प्रस्ताव पास किए गए व 5 सदस्यीय शहर कमेटी का चुनाव किया गया। सम्मेलन द्वारा साथी ध्यान चंद्र मौर्य को बरेली शहर सचिव चुना गया। सम्मेलन का संचालन शहर सचिव ध्यान चंद्र मौर्य ने किया।
सम्मेलन में भारत सिंह, मोहित देवल, दिलीप कुमार, देव सिंह, अनिल, उपेश मौर्य, उमेश, धारा सिंह, संजय, रामसेवक, सुशील मिश्रा, लाल जी कुशवाहा, राजकुमार, दीपक, पप्पू, अरविंद शुक्ला, अभिषेक आदि शामिल रहे।




















































































