प्रो एन एल शर्मा हुए पंच तत्व में विलीन
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बरेली। नामी संस्थाओं में अपनी धमक रखने वाला रुहेलखंड मंडल में शिक्षा जगत का एक चमकता नक्षत्र कल रविवार को इस जगत को अलविदा कह गया । आज सोमवार 12 फरवरी 2024 को प्रो एन एल शर्मा को उनके पुत्र विवेक शर्मा ने संजय नगर शमशान पर मुखाग्नि दी। बरेली के सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार, सांसद धर्मेन्द्र कश्यप, प्रदेश के वन राज्यमंत्री डॉ अरुण कुमार, मेयर उमेश गौतम, विधायक संजीव अग्रवाल, डॉ राघवेंद्र शर्मा, पुंडीर जी उपस्थित रहे।नगर के राजनेताओं, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, मानव सेवा क्लब, अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हे नम आँखों से अंतिम विदाई दी प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मन्त्री डाॅ एन एल शर्मा को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डाॅ एन एल शर्मा टीचर ऑफ टीचर्स थे। उनका जाना बरेली की अपूरणीय क्षति है । सी ए राजेन विद्यार्थी , डाॅ नवल किशोर गुप्ता, सुरेश बाबू मिश्र, निर्भय सक्सेना, ई एल गुप्ता, जनार्दन आचार्य, विनोद पगरानी ने उनके साथ विताए पलों को साझा किया । श्रद्धांजलि देने बालों में पूर्व प्रधानाचार्य आर पी सिंह, प्रो राज कुमार, इंद्रदेव त्रिवेदी, प्रकाश सक्सेना, शरद मिश्र, सुरेश रस्तोगी, मुकेश सक्सेना, हर्ष अग्रवाल, अखिलेश सक्सेना, सुधीर मोहन, सरदार गुरविंदर सिंह, आनन्द गौतम, रोहित राकेश, गोबिंद दीक्षित, महेन्द्र पाल राही, कमल सक्सेना , डाॅ ब्रजेश कुमार शर्मा, रणधीर प्रसाद गौड़, रणजीत पांचाले, राजेश गौड़, संजय सिंह सहित बड़ी संख्या मे लोग मौजूद रहे । साथ ही नम आंखों से शमशान पर उन्हें अंतिम विदाई दी। शब्दो के जादूगर डॉ. एन. एल.शर्मा जी केवल एक शिक्षाविद् ही नहीं बल्कि यों कहें वह एक पूरी संस्था थे। जिन्होंने दर्जनों छात्रों को शिक्षा जगत में शोध कार्य कराकर शिक्षा ही नहीं समाज के लिए सराहनीय एवम उपकार का कार्य किया है। बरेली कालेज में प्रधानाचार्य रहे डॉ नत्थू लाल शर्मा जी का व्यक्तित्व जितना सरल है। उतना ही उनका व्यवहार ही ऐसा है कि हर कोई उनका मुरीद हो जाता है। हर व्यक्ति उन्हें अपना खास समझता है और वह भी सभी को उतना ही मान सम्मान देते हैं। दिखावे से दूर रहकर श्री एन. एल. शर्मा विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से जनसेवा में भी हमेशा लगे रहते हैं। उनकी अब 79 वर्ष की आयु भी इसमें आड़े नहीं आती थी । 2 जनवरी 24 को उनका जन्म दिन भी मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष सुरेंद्र बीनू सिन्हा ने क्लब के सदस्यों के साथ मनाया था। अधिकांश कार्यक्रमों में एन एल शर्मा की उपस्थिति उस कार्यक्रम को गौरवान्वित करती है। मृदुभाषी डा. एन. एल. शर्मा जी का बरेली मंडल ही नहीं प्रदेश देश के हर वर्ग में सम्मान है। यों तो शिक्षा के क्षेत्र में तो उनकी पहचान उच्च स्तर पर हैं। श्री एन एल शर्मा मानवीय संवेदनशीलता, साहित्यिक सृजनशीलता के एक अनुकरणीय उदाहरण भी हैं। बरेली कॉलेज में कामर्स के शिक्षक के रूप में उनके विद्यार्थी ही नहीं साथी शिक्षक भी उनके व्यवहार के कायल रहे। डा. शर्मा से शिक्षा पाये छात्र आज देश के के विभिन्न राज्यो में उच्चपदों पर हैं। प्रो. शर्मा से नमस्कार तो बहुत पहले से होती रहती थी। मानव सेवा क्लब के माध्यम से उनसे काफी निकटता हो गई। उन्होंने मेरी वार्षिक पत्रिका कलम बरेली की के चारो अंकों में बरेली से जुड़े सारगर्भित आलेख एवम पुस्तक की समीक्षा भी लिखीं। उनके समझाने का ढंग इतना सरल एवम अच्छा है कि हर विषय की वह व्याख्या करके समझाते हैं। उनकी पढ़ने में अभी भी रूचि बरकरार है। यहीं कारण है कि वह किसी भी कार्यक्रम के मंच पर वह जब अपना उदबोधन देते हैं तो उपस्थित जनसमुदाय को शिक्षा, धर्म, आध्यात्म पर भी उनके जरिये नयी- नयी जानकारी मिलती हैं । उनकी एक यह भी अच्छी आदत है। वह जिस कार्यक्रम में जाते हैं तो वहां के प्रमुख व्यक्ति एवं संस्था के नाम की जिस तरह शब्दशः व्याख्या करते हैं। उससे उपस्थित जन तालियों की गड़गड़ाहट करने से भी नहीं चूकते हैं । मैंने भी श्री एन एल शर्मा जी के उद्बोधन में यह खास बात अनुभव की है कि वह हर बात को तर्क के साथ प्रस्तुत करते हैं। कभी अपनी बात थोपने का उनका मंतव्य नहीं रहता है। हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत आदि भाषाओं पर उनकी मजबूत पकड़ है। इसी के कारण वह अपने उद्बोधन में हमेशा नई नई जानकारी समाज को देते हैं। हाल में ही उनकी ‘सुन्दरकाण्ड में निहित जीवन प्रबंधन के सूत्र’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में श्री शर्मा ने भगवान राम को नायकत्व एवम हनुमान जी के चरित्र को आधार बनाकर जीवन मूल्यों की भी विवेचना की है।
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श्री शर्मा के घर पर जब भी कोई बैठक होती है उनका आतिथ्य ऐसा होता है कि उनके हाथ से दिये गये खाद्य पदार्थ को सभी ‘प्रसाद’ के रूप में ग्रहण करते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनकी पत्नी श्रीमती आदर्श शर्मा अथवा पुत्र विवेक शर्मा, जो स्वयं भी एक शिक्षाविद् है, उनका आचरण भी अपने पिता के समान ही रहता है। आजकल वह बिहार के सासाराम के डिग्री कॉलेज में शिक्षक हैं। अतिथि की सेवा को वह भी धर्म मानकर निभाने में विश्वास रखते हैं। श्री एन.एल. शर्मा जी ने मेरे ऊपर भी एक आलेख लिखा था। जिसका प्रकाशन मानव सेवा क्लब ने वर्ष 2018 में पत्रकारिता दिवस के अवसर पर ‘विविध संवाद’ के 115 वें अंक में प्रकाशित किया था। प्रो. शर्मा जी के 75 वें जन्मदिन पर मैं उनके शतायु होने की प्रभु से प्रार्थना करता हूं। समाज को उनका आशीर्वाद निरंतर मिलता रहे। श्री एन एल शर्मा जी का जन्म 1 जनवरी 1946 को रुहेलखंड के बदायूं जिले के इस्लामनगर के रियोनाई गांव के स्वर्गीय श्रीमती प्रेमवती देवी पत्नी पंडित राम चरन लाल जी के यहां हुआ। डॉ आर पी मित्तल जी को श्री एन एल शर्मा जी अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने एम ए, एम कॉम, के बाद एल एल बी की भी शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद पी एच डी की भी उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1966 से 1968 तक चिड़ावा कॉलेज में वह प्रवक्ता रहे। बरेली कॉलेज में 1968 में कॉमर्स के अध्यापन के उपरांत इसी कॉलेज के 2008 तक प्राचार्य भी रहे। श्री शर्मा जी वर्तमान में के सी एम टी कॉलेज में उप महानिदेशक, प्रेम प्रकाश गुप्ता इंस्टीट्यूट में महानिदेशक, एवम गंगाशील महाविद्यालय में भी महानिदेशक के पद पर है। मानव सेवा क्लब एवम भारतीय पत्रकारिता संस्थान ने प्रो एन एल शर्मा के 75 वे जन्मदिन को अमृतोत्सव के रूप में 2021 में मनाया था।निर्भय सक्सेना पत्रकार,