क्षत्रिय नरेश होने के नाते हम लोगों की रक्षा करना आपका कर्तव्य

बिसौली। क्षेत्र के शरह बरौलिया के सिद्व बाबा इंटर कालेज के मैदान पर चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन विश्व प्रसिद्व कथा व्यास मानस मर्मज्ञ पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज ने आज अरण्य कांड की कथा का वर्णन किया। कथा व्यास भारद्वाज ने कहा कि अरण्य काण्ड में धर्म एवं साधु जनों के संरक्षण का भव्य निरूपण है। अतुल कृष्ण भारद्वाज ने विराध नामक राक्षस के वध तथा महर्षि शरभंग की कथा का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भयंकर बलशाली विराध राक्षस का वध करने के पश्चात राम, सीता और लक्ष्मण महर्षि शरभंग के आश्रम में पहुँचे। महर्षि शरभंग अत्यंत वृद्ध थे। उनका शरीर जर्जर हो चुका था। ऐसा प्रतीत होता था कि उनका अन्त-काल निकट है। सीता और लक्ष्मण सहित राम ने महर्षि के चरणस्पर्श किया और उन्हें अपना परिचय दिया। महर्षि शरभंग ने उनका सत्कार करते हुए कहा, हे राम इस वन-प्रांत में कभी-कभी ही तुम जैसे अतिथि आते हैं। अपना शरीर त्याग करने के पहले मैं तुम्हारा दर्शन करना चाहता हूं इतना कह कर महर्षि ने विधिवत अग्नि की स्थापना करके उसे प्रज्वलित किया और घी की आहुति देकर मंत्रोच्चार करते हुये स्वयं अपने शरीर को अग्नि को समर्पित करके ब्रह्मालोक को गमन किया। महामुनि शरभंग के ब्रह्मालोक गमन के पश्चात आश्रम की निकटवर्ती कुटियाओं में निवास करने वाले ऋषि-मुनियों ने वहां आकर रामचन्द्र से प्रार्थना की, हे राघव! क्षत्रिय नरेश होने के नाते हम लोगों की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। जो हमारी रक्षा करता है उसे भी हमारी तपस्या के चौथाई भाग का फल प्राप्त होता है।
आगे अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने कहा कि ऋषि मुनियों का मार्ग ही कल्याण का मार्ग होता है। जो इस मार्ग से विमुख होता है उसमें आसुरी प्रवृत्तियों का वास होने लगता है।भगवान और संतों में दोष देखना ही आसुरी प्रवृत्ति है। पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों के फल स्वरुप सनातन धर्म और भारतवर्ष में मानव के रूप में जन्म मिलता है। भगवान की कथा के श्रवण से भगवान का साक्षात्कार होता है और भगवान हृदय में विराजते हैं और कल्याण के मार्ग की ओर बढ़ने के लिए हमें शक्ति प्रदान करते हैं। श्रीराम कथा में बीच-बीच अतुल कृष्ण भारद्वाज द्वारा गाये भजनों पर श्रोता झूम उठे। कथा में पूर्व विधायक दया सिंधु शंखधार, भाजपा नेता कमल शर्मा, अशोक भारद्वाज शास्त्री, नीरज पाठक, गौरव कटिया, गोविंद पाठक, रविंद्र कटिया, हरविलास शर्मा, विनीत कटिया, अजय कटिया, अंकित कटिया, सौरभ कटिया, रानी शर्मा, शीतल पाठक, अपेक्षा पाठक, प्रतिभा शंखधार आदि मौजूद थे।