बदायूं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 25 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को भी सेवारत रहने एवं पदोन्नति हेतु टेट की अनिवार्यता संबंधी आदेश के विरोध में आज उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय नेतृत्व के निर्देशों के क्रम में जनपद बदायूं में मालवीय अध्यापक आवास गृह “शिक्षक भवन” में शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल की आपातकालीन बैठक जिलाध्यक्ष एवं प्रांतीय प्रचार मंत्री संजीव शर्मा के नेतृत्व में संपन्न हुई। उन्होंने समस्त विकास क्षेत्रों के अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष, तहसील प्रभारी एवं जिला पदाधिकारियों के साथ प्रांतीय नेतृत्व से मिले निर्देशों को साझा किया। बैठक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस असंगत आदेश को वापस लेने हेतु रणनीति तैयार की गई। जिला मंत्री उदयवीर सिंह यादव एवं जिला कोषाध्यक्ष सुशील चौधरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। यह आदेश 25 अगस्त 2010 के पश्चात नियुक्त ऐसे शिक्षकों पर प्रभावी है जो की मूल अधिसूचना के पैरा एक के अनुसार निर्धारित न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं। समाचार पत्रों में प्रसारित समाचार से देश भर के शिक्षकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जबकि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 अनुसार 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक पात्रता परीक्षा जैसी कोई अहर्ता अनिवार्य नही है। संजीव शर्मा ने कहा कि प्रांतीय नेतृत्व के निर्देशों के क्रम में 16 सितंबर 2025 को प्रदेश के समस्त जनपदों में मा0 जिलाधिकारी गणों के माध्यम से मा0 प्रधानमंत्री एवं मा0 शिक्षा मंत्री भारत सरकार को ज्ञापन प्रेषित किया जाना है। जिसमें समस्त विकास क्षेत्रों के ब्लॉक अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष, ब्लॉक स्तरीय कार्य समिति, संघर्ष समिति, समस्त तहसील प्रभारी, जिला स्तरीय पदाधिकारियों के साथ साथ समस्त शिक्षक, शिक्षिकाए अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे। बैठक में समस्त विकास क्षेत्र के अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष, तहसील प्रभारी एवं जिला स्तरीय पदाधिकारी मौजूद रहे।