स्वामी शुकदेवानन्द राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की ओर बढ़ा एक और कदम
शाहजहांपुर। करीब छह दशक पूर्व एक संत ने शाहजहांपुर को शैक्षिक दृष्टि से शिखर पर पहुंचाने का जो सपना देखा था वह आज साकार हो गया। स्वामी शुकदेवानन्द राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर गत कैबिनेट में घोषणा की गई थी। इस घोषणा को पूर्ण करने की दिशा में आज लखनऊ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के कार्यालय में राज्य सरकार और मुमुक्षु आश्रम के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर हो गये। मुमुक्षु आश्रम की ओर से मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने तथा राज्यपाल व उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। इस दौरान विशेष सचिव उच्च शिक्षा निधि श्रीवास्तव, उपसचिव उच्च शिक्षा रामजन्म सिंह, अनमोल सिंह, मुनेन्द्र कुमार तथा मुमुक्षु आश्रम की ओर से ट्रस्ट के सचिव डा. अवनीश कुमार मिश्रा, डा. रामनिवास गुप्ता, रवि शंकर बाजपेयी व साकेत चतुर्वेदी मौजूद रहे। एमओयू पर हस्ताक्षर होने के साथ ही शाहजहांपुर का नाम शिक्षा जगत के वैश्विक मानचित्र पर दर्ज हो गया। अब शाहजहांपुर का मुमुक्षु शिक्षा संकुल जल्द ही स्वामी शुकदेवानन्द राज्य विश्वविद्यालय के रूप में सामने आयेगा। बता दें कि राज्य विश्वविद्यालय के लिए शाहजहांपुर के मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की करीब एक अरब आठ करोड़ तीन लाख रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्ति राज्य सरकार को उपलब्ध कराई गई है। वर्ष 1964 में स्वामी शुकदेवानन्द जी महाराज ने एसएस कालेज की स्थापना की थी। साठ वर्षो की लंबी यात्रा के बाद यह कालेज अब विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा। मुमुक्षु शिक्षा संकुल को विश्वविद्यालय बनाने का संकल्प लेने वाले संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती का संकल्प आखिरकार पूरा हुआ और उन्होंने स्वामी शुकदेवानन्द का सपना साकार किया। विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने शाहजहांपुर में शैक्षिक विकास की जो अविरल धारा बहायी है वह आने वाले समय में यहां के युवाओं के लिए एक वरदान साबित होगी। फिलहाल ट्रस्ट के तहत स्वामी शुकदेवानंद कालेज, स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय, श्री दैवी सम्पद ब्रहृचर्य संस्कृत महाविद्यालय, स्वामी धर्मानंद सरस्वती इंटर कालेज और श्री शंकर मुमुक्ष विद्यापीठ संचालित हो रहे हैं। यह सभी स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय में समाहित हो जाएंगे। जिसके फलस्वरूप यह भारत का एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय होगा जिसमें एनसी से पीएचडी तक शिक्षा की सुविधा एक ही कैंपस के अन्तर्गत होगी। एमओयू पर हस्ताक्षर की सूचना मिलते ही मुमुक्षु शिक्षा संकुल के शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी ने एक दूसरे को बधाई दी और मिठाईयां बांटी। एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद मुमुक्षु शिक्षा संकुल के अधिष्ठाता व पूर्व केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी शुकदेवानन्द महाराज ने शाहजहांपुर के शैक्षिक विकास के लिए जो सपना देखा था वह साकार हो गया है। जिस प्रकार शाहजहांपुर के क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में शाहजहांपुर का नाम दर्ज कराया उसी प्रकार आज विश्वविद्यालय की स्थापना से शाहजहांपुर का नाम विश्व स्तर पर संचालित शैक्षिक संस्थाओं की सूची में सम्मिलित हो गया है जो शाहजहांपुर के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। स्वामी चिन्मयानंनद सरस्वती मुख्य अधिष्ठाता, मुमुक्षु आश्रम, शाहजहांपुर स्वामी चिन्मयानंद का जीवन अध्यात्म, राजनीति और शैक्षिक उत्थान के लिए समर्पित रहा। वह इन तीनों ही क्षेत्रों में एक उत्कृष्ट मुकाम हासिल कर एक समन्वयक पुरूष बनकर उभरे। उनका सदैव मानना रहा है कि हमारी जो भी शक्तियाँ एवं साधन हैं। उनको निःस्वार्थ भाव से अशक्त व्यक्तियों में बाँट दें। वस्तुतः यही परमार्थ है, उन्होंने ऐसा ही किया। विश्वविद्यालय के लिए समस्त सम्पत्ति न्यौछावर कर दी। जिसका परिणाम स्वामी शुकदेवानन्द राज्य विश्वविद्यालय बनकर फलीभूत हुआ। स्वामी शुकदेवानन्द कालेज के प्राचार्य होने के नाते मेरे लिए इससे बड़ा हर्ष का विषय नहीं हो सकता कि हमारा महाविद्यालय विश्वविद्यालय बन गया है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षित होकर निकले छात्र न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सफल होंगे बल्कि वे समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी अपनी महती भूमिका अदा करेंगे। विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मंै पूज्य स्वामी जी का वंदन और अभिनंदन करता हूॅ। मैं वर्ष 1986 से मुमुक्षु आश्रम परिवार से जुड़ा हूं। मैंने सात कमरों में संचालित महाविद्यालय देखा है। स्वामी शुकदेवानन्द के सपने को साकार करने का संकल्प लेकर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने महाविद्यालय और अन्य शैक्षिक संस्थाओं को फर्श से अर्श तक पहुंचाया है। शाहजहांपुर की जनता को यह उनका अमूल्य उपहार है। आने वाली पीढ़ी स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय से भारतीय संस्कृति के अनुरूप संस्कारवान तथा रोजगार परक शिक्षा प्राप्त करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं सक्षम करेगी।




















































































