“धरम हेत साका जिनि कीया सीस दीया पर सिररु न दीया”

बरेली । धोपड़ी साहिब (असम) से 21 अगस्त को आरम्भ हुए 350वर्षीय शहीदी नगर कीर्तन को रात्रि विश्राम के बाद गुरुद्वारा गुरू गोबिन्द सिंघ नगर से सुबह भव्य कीर्तन दीवान के बाद बरेली की संगत ने बोले सो निहाल-सत श्री अकाल के जयकारों के साथ काशीपुर की जाने की विदाई दी। रात्रि विश्राम के पश्चात धार्मिक दीवान में कीर्तन आसा की वार श्री दरबार साहिब से आये रागी भाई लखविंदर सिंघ जी ने गायन की। एस. जी. पी. सी. के पंथ प्रसिद्ध प्रचारक ज्ञानी सरबजीत सिंघ ढोटिया ने
गुरमति विचार गुरू तेग बहादुर साहिब का शहीदी इतिहास बताया। श्री दरबार साहिब से नगर कीर्तन के साथ यात्रा में शामिल सिंघ साहिब ज्ञानी केवल सिंघ जी ने साहिब श्री गुरू तेग बहादुर साहिब द्वारा श्री गुरू ग्रंथ साहिब में दर्ज बाणी की विचार संगत को श्रवण करवाई एवं सिक्ख को सिक्ख के किरदार में रहने का संदेश दिया। अरदास हुकमनामे के बाद गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों, प्रबंधकों, जत्थेबंदियों के सेवादारों को सिरपाउ रुपी गुरू की बखशिश प्रदान की गई एस. जी. पी. सी. के सचिव ने बरेली द्वारा नगर कीर्तन में आई संगत के लिए किये गए इंतज़ाम की भूरि भूरि प्रशंसा की। बरेली संगत की ओर से, पंज पियारों, पांच निशांचियों,सिंघ साहिब ज्ञानी केवल सिंघ प्रचारको, रागी सिंघ, ढाढी सिंघ, एवं एस. जी. पी.सी. के पदाधिकारियों, सेवादारों को सिरपाऊ (गुरू की बखशिश देकर सम्मानित किया गया। जयकारों के उदघोष के साथ श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को सुसज्जित पालकी बस में सुशोभित कर कीर्तन करते हुए बरेली की संगत ने अगले शहर काशीपुर की ओर जाने की विदाई दी। पालकी बस, गुरू साहिब के शस्त्र वाहन एवं अन्य सारे वाहनो को पूरी रात ताजे फूलों से पुनः सजाया गया। नगर कीर्तन मॉडल टाउन सब्जी मंडी, थाना प्रेम नगर, धर्मकांटा, होता हुआ गुरद्वारा जनकपुरी पहुंचा, संगत ने गुरबाणी कीर्तन कर संगत को आगे विदाई दी, झूलेलाल द्वार होते हुए शहीदी शताब्दी नगर कीर्तन गुरुद्वारा इज्जतनगर स्वागत के बाद टोल प्लाजा बरेली के अंतिम स्वागत के पश्चात काशीपुर की ओर आगे चला गया। बरेली के सेवादार, नौजवान युवक- युवतियाँ नगर कीर्तन को निशान साहिब वाले वाहनों के साथ टोल प्लाजा तक जयकारों के साथ छोड़ कर आये। उत्तराखंड मिशन के इंचार्ज भाई सुखविन्द्र सिंघ एम. ए. (उत्तराखंड) की देख रेख में नगर कीर्तन काशीपुर की ओर बढ़ चला। नगर कीर्तन विदाई प्रस्थान का बरेली की संस्थाओ- सिक्ख संगत ने फूलों की बरखा एवं प्रशाद वितरित कर स्वागत किया। बरेली के प्रमुख पदाधिकारियों-सिक्खों संस्थाओ सिक्ख जत्थेबंदियों, स्त्री सतसंग सभाओं ने अपना पूर्ण योगदान दिया। हरि मंदिर प्रबंधक समिति का विशेष योगदान रहा। संचालन मालिक सिंघ ने किया। ज्ञानी काला सिंघ, परमजीत सिंघ ओबराए,महासचिव गुरदीप सिंघ बग्गा, राजेंदर सिंघ, हरनाम सिंघ, राणाप्रताप सिंघ, बलविंदर सिंघ, एम. पी. सिंघ,पिंका बख्शी, लवली बखशी, कुलबीर सिंघ, अमरजीत सिंघ, एम.पी. सिंघ, कुलजीत सिंघ, परमिंदर सिंघ, अमनदीप सिंघ, परमिन्दर सिंघ, मनदीप सिंघ, प्रभजोत सिंघ, गुरुदर्शन सिंघ, रंजीत सिंघ, चंदरमोहन खन्ना आदि का विशेष सहयोग रहा।