वाराणसी। लोकतंत्र सेनानी और ज्ञानवापी के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ केस के वादी औरंगाबाद निवासी हरिहर पांडेय (77) का रविवार की सुबह बीएचयू अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। वह बीमार थे और इसी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी अंत्येष्टि मणिकर्णिका घाट पर की गई, जहां उनके ज्येष्ठ पुत्र प्रणय पांडेय ने उन्हें मुखाग्नि दी। वर्ष 1991 में काशी ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन शुरू करने वाले प्रमुख लोगों में से हरिहर पांडेय एक थे। वर्ष 1991 में ही ज्ञानवापी से जुड़े मूल वाद लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ केस को पंडित सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय ने दाखिल किया था। पंडित सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा का निधन पहले ही हो चुका था। फिलहाल यह मुकदमा जिला अदालत में विचाराधीन है। इससे पहले देश में घोषित आपातकाल का हरिहर पांडेय ने मुखर तरीके से विरोध किया था और उसके चलते वह जेल भेजे गए थे। हरिहर पांडेय लाट भैरव प्रबंधक समिति के अध्यक्ष थे और मंदिर में उनकी सक्रियता लगातार बनी रहती थी। उनके निधन पर शहर के संत-महात्माओं, राजनेताओं, अधिवक्ताओं और व्यापारियों के साथ ही अन्य संभ्रांत लोगों ने शोक व्यक्त किया है। उधर, रामनगर में लोकतंत्र सेनानी संगठन के जिलाध्यक्ष सतनाम सिंह की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन कर विजय नारायण सिंह, प्रहलाद तिवारी, राधेश्याम सिंह सहित अन्य लोगों ने हरिहर पांडेय को श्रद्धांजलि दी।