अनिल कुमार एडवोकेट राजनीति में निभा रहे हैं गुरु वाली भूमिका

बरेली। कायस्थ समाज के कई लोग राजनीति में आए और अपना एक अलग स्थान भी बनाया उनमें अनिल कुमार एडवोकेट भी एक हैं जिनकी आज भी अधिक सक्रियता बनी हुई है जितनी पहले थी आजकल वह राजनीतिक गुरु वाली भूमिका में हैं। आजकल उनके छोटे भाई अरुण कुमार सक्सेना भी उत्तर प्रदेश सरकार में वन राज्य मंत्री हैं।आज कल वह मोदी सरकार के 9 वर्ष के कार्यकाल पर जनता के बीच जाकर प्रचार में अपनी टीम के साथ लगे हुए हैं। बीते दिनों बरेली नगर निगम चुनाव में कायस्थ समाज के टिकट पर उनके सभी प्रत्याशी जीत कर छोटे सदन में पहुंचे। स्मरण रहे अनिल कुमार एडवोकेट की राजनीतिक सक्रियता 1967 से शुरू हुई। वर्ष 1967 में वह बरेली कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर चुने गये। उनकी राजनीति में रूचि का कारण परिवार का वातावरण रहा। उनकी मां डॉ सुशीला सक्सेना, आजादी के पश्चात् प्रताप भईया एवं एन. डी. तिवारी जैसे प्रखर समाजवादी राजनेताओं की छत्रछाया में आकर उ. प्र. की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाती रही थीं। जनहित में जेल और आंदोलनों की घर पर चर्चा होती देख अनिल कुमार भी उससे प्रभावित होते थे। 14 अक्तूबर 1945 को जन्मे अनिल अपने तीन भाईयों में सबसे बड़े होने के कारण अपनी मां को राजनीति में वह मदद भी करते थे। आजकल अनिल कुमार अपने छोटे भाई अरुण कुमार सक्सेना, जो वन, पर्यावरण, जलवायु एवं जन्तु उद्यान मंत्री उत्तर प्रदेश एवं शहर बरेली विधायक भी हैं। डॉ. अरूण कुमार के अग्रज होने के नाते 78 वर्षीय अनिल कुमार अपने राजनीतिक ज्ञान का लाभ उन्हें दे रहे हैं और सुबह से शाम तक लगभग 18 घंटे निरन्तर जनता की सेवा में लगे हुए हैं। एडवोकेट अनिल कुमार के तजुर्बे के सुझाव पर डॉ. अरूण कुमार ‘वन एवं पर्यावरण मंत्री’ द्वारा कराये गये शहर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कई बड़े कार्य, जैसे-आई. टी. पार्क लाना, मिनी बाईपास पर रोडवेज स्टेशन, खड़ौआ में विशेषज्ञ डॉक्टरों का अस्पताल, रोठा व सुन्दरासी में 02 बड़े पुल, बहुत सी बड़ी-बड़ी सड़कें तथा 26 शमशान घाट एवं दसवां गृह आदि निर्माण के कार्य कराये गये हैं। अब बरेली नगर विधानसभा क्षेत्र में एक अग्निशमन का कार्यालय एवम किला का नया उपरिगामी पुल बनाये जाने हेतु वह लगे हुए हैं। लोगों का कहना है कि उनके भाई अरुण कुमार के द्वारा जितने विकास कार्य बरेली नगर विधानसभा में हुए हैं, उतने कार्य इससे पूर्व कभी भी नहीं हुए और ना ही इतनी देर किसी जनप्रतिनिधि के कार्यालय पर जनता की समस्याओं के लिए कोई उपस्थित रहता है, जितना कि अनिल कुमार एडवोकेट कार्यालय पर उपस्थित रहकर लोगों की बात सुनकर उनकी समस्याओं का समाधान तत्काल करते हैं। सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी से बात कराते हैं। डॉ अरुण कुमार के कार्यालय में जनता को बहुत ही आसानी से अपनी बात रखने एवं काम करवाने में आसानी रहती है। गरीब से गरीब एवं अन्य कोई भी किसी भी जाति -धर्म का व्यक्ति अपना कार्य सुलभता से करा सकता है। अनिल कुमार मोबाइल कभी भी बन्द नहीं रखते हैं और अक्सर देर रात्रि तक में भी मोबाइल द्वारा लोगों की समस्या का समाधान करते रहते हैं।
अनिल कुमार ने एल. एल. बी. करने के बाद 1970 में वकालत प्रारम्भ की। यह कांग्रेस के श्रमिक संगठन इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस में शामिल होकर श्रमिकों के हितों की लड़ाई लड़ने लगे । अनिल कुमार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों ठेला-फड़ और रिक्शावालों को संगठित कर यूनियन बनाई और उन्हें जनआंदोलनों के लिए प्रेरित भी किया। अनिल कुमार ने ऐसी 30 से अधिक श्रम यूनियन बनाई और बरेली को जागरूक लोगों का शहर बना दिया। अनिल कुमार की इन उपलब्धियों के कारण इंटक ने उन्हें अन्तर् राष्ट्रीय श्रमिक संगठन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए वर्ष 1976 में विदेश भेजा। अनिल कुमार ने इटली, जर्मनी, स्वीटजरलैण्ड, फ्रांस व इंग्लैंड सहित 13 देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अनिल कुमार एडवोकेट एक अधिवक्ता होने के साथ ही एक सफल राजनेता के रूप में भी बरेली में लोगो के प्रिय रहे। अनिल कुमार तत्कालीन कांग्रेस नेता यशवन्त राव चव्हाण, के. सी. पंत, रघुनाथ रेड्डी, हेमवती नन्दन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी आदि के निकटतम लोगों में रहे। जिला परिषद, बरेली के अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य प्रताप चंद्र आजाद से उनके बहुत अच्छे सम्बन्ध रहे। प्रताप चंद्र आजाद द्वारा स्थापित अनेक विद्यालयों के वह प्रबन्ध समिति के सदस्य भी रहे। अनिल कुमार की सेवा अनेक साहित्यकारों को भी मिली हैं। उन्होंने कई काव्य कार्यक्रम भी कराए। शिक्षा के क्षेत्र में उनका ही नहीं उनके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होने बांके की छावनी जैसे उपेक्षित क्षेत्र में अपने माता-पिता के नाम से डॉ. सुशीला गिरीश बालिका इण्टर कॉलेज की स्थापना करके वास्तव में एक मील का पत्थर रखा। जिसमें समाज के उपेक्षित वर्ग के लगभग 1000 विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है । यह विद्यालय प्रारम्भ से ही उनके छोटे भाई तरूण कुमार की देखरेख में चलाया गया। तरूण कुमार के निधन के पश्चात उनकी पत्नी श्रीमती प्रीति सक्सेना विद्यालय का संचालन भी कुशलता से कर रही है। यहीं पर उनके माता पिता की मूर्ति भी लगी हुई हैं।
वर्तमान में अनिल कुमार एडवोकेट मनोहर भूषण इण्टर कॉलेज के प्रबन्धक एवं साहित्य संगीत कला विद्यालय कुंवरपुर, बरेली की प्रबन्ध समिति के सचिव के पद के अतिरिक्त विभिन्न विद्यालयों की प्रबन्ध समिति में कार्य कर रहे हैं।