आतंकी डॉक्टर बम से जुड़े हैं तारिक के तार
गोरखपुर। तारिक अतहर के दो करीबी दोस्तों की गतिविधियों पर पुलिस और खुफिया विभाग की नजर है। जांच में पता चला है कि संतकबीरनगर से बीएससी करने के दौरान वह बखिरा के अमर डोभा गांव निवासी और आतंकी जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम के संपर्क में आया। आशंका है कि उसके जेल जाने के बाद तारिक, सोशल मीडिया पर शरिया कानून को लेकर लोगों को जोड़ने लगा था। तुर्कमानपुर के रहने वाले तारिक के एक दोस्त समेत दो लोगों को एटीएस ने उठाया था, लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं मिलने की वजह से उन्हें छोड़ दिया गया। उधर, तारिक के शिक्षक पिता ने एक बार फिर बेटे के बारे में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया है। जानकारी के मुताबिक, दिसंबर 2019 में राम मंदिर फैसले के बाद एसटीएफ ने आतंकी जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम को कानपुर में गिरफ्तार किया था। जलीस का एक चचेरा भाई आज भी यहां बखिरा में रह रहा है। पेरोल तोड़कर भागे जलीस ने एसटीएफ को बताया था कि नागरिकता संशोधन कानून और राममंदिर फैसले को लेकर आतंकी संगठनों में आक्रोश है। बताया जा रहा है कि इसी आतंकी के संपर्क में आने के बाद तारिक, युवाओं का माइंडवॉश करने लगा था। यूपी एटीएस के गिरफ्त में आए गोरखपुर के खुनीपुर निवासी तारिक अतहर उर्फ मोटू से कुछ अहम जानकारियां मिली हैं। अब एटीएस यह जांच कर रही है कि कितनों का ब्रेनवॉश हुआ या इस काम में उसके कितने मददगार हैं, क्योंकि वह अकेले इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा नहीं कर सकता। उधर, मोहल्ले के लोग उसके आतंकी होने से हैरान हैं। कुछ मोहल्लेवासियों ने बताया कि कभी उसपर इस तरह के काम में शामिल होने का शक नहीं हुआ। एटीएस से जानकारी मिलने के बाद पिता का कोतवाली पुलिस ने बयान दर्ज किया है। प्रभारी निरीक्षक अंजुल चतुर्वेदी ने बताया कि पिता ने बताया है कि उनके दो बेटे हैं। तारिक बड़ा है। उसने बीएससी की पढ़ाई संतकबीरनगर से की है। छोटा बेटा दुकान चलाता है और बेटी दिल्ली में रहकर तैयारी कर रही है। उन्होंने बताया कि तारिक की गतिविधियों के बारे में कभी भनक नहीं लगी। इनपुट मिलने के बाद अतहर को नोटिस देकर एटीएस ने पूछताछ के लिए लखनऊ बुलाया था, जिसके बाद वह गया था। तारिक अतहर, आईएसआईएस से प्रभावित था। पूछताछ में उसने बताया कि वह अबू बकर अल बगदादी के वीडियो भी देखता है, जिससे प्रभावित होकर वह मुजाहिद बनकर भारत में जिहाद और शरिया कानून लागू कराना चाहता है। एटीएस के मुताबिक, उसके मोबाइल फोन से एक नक्शा मिला। कुछ गन के साथ आतंकी का फोटो व उर्दू में कुछ लिखा हुआ मिला। अब जल्द ही एटीएस उसको रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। दरअसल, नेपाल बॉर्डर से सटे होने की वजह से गोरखपुर जिले में भी आतंकी अपनी गहरी पैठ जमा चुके हैं। साल 2022 में गोरखनाथ मंदिर पर हुए आतंकी हमले से पहले भी आरोपी मुर्तजा अहमद अब्बासी पहले नेपाल ही गया था। वहां जब उसे हथियार नहीं मिला तो वह बांका लेकर गोरखपुर पहुंचा और यहां मंदिर की सुरक्षा में तैनात जवानों पर हमला कर दिया। जबकि, इससे पहले राजधानी लखनऊ में रविवार को अलकायदा की विंग अंसार अलकायदा हिंद (एजीएच) के आतंकी मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर के पकड़े जाने के बाद भी आतंकियों का गोरखपुर कनेक्शन सामने आ चुका है।
अब तक भारत-नेपाल सीमा से पकड़े गए प्रमुख आतंकी
- 1991 में खालिस्तान एरिया फोर्स का डिप्टी कमांडर सुखबीर सिंह।
- 1991 में ही नेपाल की बढ़नी सीमा पर खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के भागा सिंह और अजमेर सिंह की गिरफ्तारी हुई थी।
- 1993 में आतंकी टाइगर मेमन।
- 1995 में आईएसआई एजेंट यासिया बेगम।
- 2000 में आसिम अली और चार आतंकी।
- 2002 में परसामलिक थाने के पास कारतूसों का जखीरा पकड़ा गया था जो कि बिहार के उग्रवादियों ने नेपाल के माओवादियों के लिए भेजा था।
- 2007 में लश्कर के आतंकी सादात रशीद मसूद आलम की गिरफ्तारी।
- 2009 में मुंबई के आतंकी नूरबक्श और इश्तियाक उर्फ शैतान की गिरफ्तारी।
- 2013 में आतंकी लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी।
- 2013 में आतंकी हमलों में 140 लोगों की हत्या के आरोपी और मोस्ट वांटेड आंतकवादी यासीन भटकल की गिरफ्तारी।
- अब्दुल करीम टुंडा को भी उत्तराखंड में नेपाल की खुली सीमा पर ही गिरफ्तार किया गया था।
- 2022 में गोरखनाथ मंदिर का हमलावर मुर्तजा अहमद अब्बासी गोरखपुर से पकड़ा गया।
- 27 जनवरी 2023 में एनआईए ने गोरखपुर से आतंकी दीपक रंगा को अरेस्ट किया था। दीपक रंगा ने पंजाब के मोहाली स्थित खुफिया विभाग के मुख्यालय पर 9 मई 2022 को रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से हमला किया था।




















































































