बाबा नीम करोली की भक्त नीलिमा कुमार के लिखें तथा गाए हुए भजन मातृभूमि कथा चैनल पर प्रसारित
निर्भय सक्सेना बरेली। बाबा नीम करोली की भक्तो में दिल्ली की ग्रीन पार्क निवासिनी नीलिमा कुमार का नाम भी आदर से लिया जाता है जिनका परिवार कैंची धाम के ट्रस्टी के रूप में आज भी सेवारत है। कभी बरेली के बिहारीपुर कहरवान निवासी स्वर्गीय कैलाश चंद्र सक्सेना तथा उनके पुत्र डॉ अनूप कुमार भी बाबा नीम करोली के भक्त, कैची और कई मंदिरों के ट्रस्टी रहे। कैची में अध्यक्ष की भूमिका में उनका सहयोग रहा। अब स्वर्गीय डॉ अनूप कुमार की पत्नी श्रीमती कविता कुमार कैंची धाम की ट्रस्टी हैं। स्वर्गीय डॉ अनूप कुमार की दिल्ली ग्रीन पार्क निवासिनी सबसे छोटी बहन नीलिमा कुमार भी बाबा नीम करोली की भक्त हैं। श्रीमती नीलिमा कुमार बताती हैं की उनकी तो वर्ष 1965 से 1973 तक बाबा नीम करोली से भेंट होती ही रही। वो आगे बताती हैं कि पिछले 28 वर्षो से बाबा की प्रेरणा से भजन निरंतर लिख तथा गा रही हैं। भजनों की धुन बाबा जी की प्रेरणा से ही मिलती है, जो फिल्मी संगीत से कोसों दूर है। बाबा और श्री मां को फिल्मी धुन पर गाए भजन पसंद नहीं थे। बाबा नीम करोली के उनके गाए भजनों का पहला कैसेट वर्ष 1996 में आया था जो काफी पसंद किया गया था। इसके बाद दूसरा कैसेट वर्ष 1999 में रिलीज हुआ था। तब श्री मां के द्बारा उनकी भजन की किताब और कैसिट प्रसाद के रूप में वितरित भी किया गया। नीलिमा कुमार के लिखें तथा गाए हुए भजन मातृभूमि कथा चैनल पर प्रसारित हो चुके हैं। बाबा नीम करोली जीवन गाथा के 6 सीरियल एपिसोड आ चुके हैं और आगे कार्य किया जा रहा है जिसकी आजकल नीम करोली गांव में शूटिंग चल रही है। नीलिमा जी का यूट्यूब चैनल (neelima’s bhajan) है जिस पर 700 से अधिक भजन कविताएं तथा संस्मरण प्रसारित हो चुके हैं।
कैंची धाम के बाबा नीम करौरी का जन्म 1900 ई के आस पास, ग्राम अकबरपुर जिला फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश में माना जाता है। नीम करोरी बाबा का मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। इनके पिता जी का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। अकबरपुर में ही इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। मात्र 11 वर्ष की बाल्यवस्था में इनकी शादी हो गई थी लेकिन बाबा जी ने शादी के बाद ही घर छोड़ दिया था। बाबा घर छोड़ कर गुजरात चले गए। लगभग 10 वर्ष गुजरात रहने के बाद, बाबा पिता दुर्गा प्रसाद के कहने पर वापस घर आ गए। अपनी गृहस्थी सम्हाली, और उनके दो बेटे और एक बेटी भी थी। नीव करोरी का अपभ्रंश होकर नीम करोली हो गया और वह बाबा नीम करोली के नाम से पहचाने गए।
हनुमान भक्त नीम करोली बाबा का मन गृहस्थी में नही लगा, वो फिर से घर गृहस्थी त्याग कर बाबा बन कर भटकने लगे, इसी दौरान वह लक्ष्मण दास, हाड़ी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा आदि नामों से भी पहचाने जाने लगे उन्होंने कई हनुमान मंदिर भी बनवाए। कहा जाता है, कि मात्र 17 वर्ष की आयु में बाबा को ज्ञान प्राप्त हो गया था। उनका निधन वर्ष 11 सितंबर 1973 को हुआ था। उनकी समाधि वृंदावन में है। बाबा नीम करोली ने 1961 में कैंची पहुंच कर 1965 में कैंची धाम की स्थापना भी की थी। जो नैनीताल से 17 किलोमीटर एवम भवाली से 9 किलोमीटर दूर है। उनके शिष्यों में विदेशी मार्क जुकर वर्ग, अमरीकी कंपनी एप्पल के स्टीव जॉब्स, प्रियंका चोपड़ा भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीम करोली बाबा को महान संत कह चुके हैं। कैंची धाम का वार्षिक उत्सव 15 जून को होता है।