एचपी इंटरनेशनल स्कूल में नेहरू जयंती पर बाल दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया,विभिन्न कार्यक्रम हुए

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बदायूं। एचपी इंटरनेशनल स्कूल में आज बाल दिवस बेहद उल्लास और अपनत्व के साथ मनाया गया। विद्यालय परिसर रंग-बिरंगी सजावट, गुब्बारों और बच्चों की मुस्कान से ऐसा चमक उठा मानो सचमुच ‘बचपन’ खुद चलकर यहाँ आ गया हो। नेहरू जी के बच्चों के प्रति प्रेम को याद करते हुए आयोजित ‘बाल मेला’ ने हर छोटे-बड़े बच्चे के दिल में खुशियों का रंग भर दिया।
मेले में बच्चों के लिए झूले, ट्रैम्पोलिन, मिक्की माउस बाउंसर, मजेदार गेम्स और कई रचनात्मक गतिविधियाँ लगाई गईं। छोटे-छोटे बच्चे हँसते-खिलखिलाते, झूलों पर उड़ान भरते और खेलों में तल्लीन होकर मानो दुनिया की सारी खुशी अपने हथेलियों में समेट लेने को तैयार थे। शिक्षकों ने भी बच्चों के साथ मिलकर हर गतिविधि में भाग लिया—और जब विजयी बच्चों को उपहार मिले, तो उनके चेहरे पर आई चमक देखकर पूरा माहौल और भी खुशनुमा हो गया।

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आज की सुबह का एक अनोखा आकर्षण रहा विशेष मॉर्निंग असेंबली, जिसे पूरी तरह शिक्षकों ने संचालित किया। बच्चे उत्सुकता से नेहरू जी के जीवन, उनके विचारों और भारत निर्माण में उनकी भूमिका पर नई-नई बातें सीखते रहे। उनके चेहरे पर सीखने की चमक और उत्साह साफ झलक रहा था।


प्रबंधक निदेशक शिवम पटेल ने बताया कि,“नेहरू जी का सपना था—हर बच्चा मुस्कुराए। एचपी इंटरनेशनल स्कूल उसी सपने को हर दिन साकार करने की कोशिश करता है। सभी बच्चों को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।”
निदेशिका सेजल पटेल ने कहा, “छात्रों की हंसी से बढ़कर कोई उपलब्धि नहीं। यह बाल मेला केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि शिक्षक और छात्र के बीच विश्वास और प्रेम को मजबूत करने का अवसर है।” वहीं प्राचार्य संदीप पांडेय ने भावुक होकर कहा, “नेहरू जी कहा करते थे—‘बच्चे देश का भविष्य हैं।’ आज का बाल मेला उसी विचार का जीवंत रूप है। हमने छात्रों को आनंद के साथ नेतृत्व, सामूहिकता और आत्मविश्वास का भी पाठ दिया है।” दिनभर बच्चे अपने शिक्षकों के साथ फोटो खिंचवाते, उपहार लेते और मेला घूमते नजर आए। उनकी मासूम हँसी और उत्साह ने पूरे परिसर को जीवन से भर दिया। सच कहा जाए तो एचपी इंटरनेशनल स्कूल, बदायूँ ने आज यह साबित कर दिया कि शिक्षा केवल किताबों का बोझ नहीं, बल्कि खुशियों, संस्कारों और जीवन कौशल का सुंदर संगम है।

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