बदायूं। फिरौती के लिए अपहरण के मामले में 12 आरोपियों को दोषी पाते हुए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। फैसला सुनाते वक्त स्पेशल जज दस्यु प्रभावित क्षेत्र ने प्रत्येक पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी डाला है। विशेष लोक अभियोजक संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि मामले में घटना की रिपोर्ट बिल्सी थाने में साल 2006 में लिखाई गई। मुकदमे में वादी मदनपाल सिंह निवासी गांव ओया थाना बिल्सी थे। मुकदमे के मुताबिक 22 फरवरी 2006 की रात गांव के ओमप्रकाश साथ में शेषवीर व जसवीर (दोनों सगे भाई) अपने निजी नलकूप पर रात को खेत की सिंचाई के लिहाज से गए थे। तीनों वहां बनी झोपड़ी में बिजली आने का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान कई बदमाश असलहे लेकर वहां आ धमके और तीनों के ले जाने लगे। शोर मचाने पर आसपास के गांव वाले वहां पहुंचे और टार्च की रोशनी में बदमाशों को पहचानते हुए रोकने की कोशिश की लेकिन बदमाशों ने असलहे दिखाए तो गांव वाले पीछे हट गए। वहीं बदमाश यह कहते हुए चले गए कि पांच लाख रुपये लेकर ही तीनों को छोड़ेंगे। बाद में परिजन मौके पर पहुंचे और पूरी जानकारी होने पर थाने गए। यहां पुलिस ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कर मुठभेड़ के बाद तीनों को रिहा कराया। वहीं असलम, उसका भाई छोटे निवासी गांव पुसगवां थाना बिल्सी के अलावा, वजीरगंज थाना क्षेत्र के मोहल्ला बनिया निवासी पप्पू उर्फ जावेद, सप्पू, इलियास समेत ओया गांव का बबलू, शहबाजपुर का चंद्रपाल, बिल्सी के मझारा गांव का जोगेंद्र, सौदान, कृष्णपाल, समरपाल, प्रदीप निवासी गांव ओया के अलावा अंसार पहलवान व असगर निवासी वजीरगंज को गिरफ्तार किया गया। मामले की तफ्तीश तत्कालीन थानाध्यक्ष बलजीत सिंह राणा ने करते हुए सभी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। मुकदमे की सुनवाई के दौरान असगर व अन्सार पहलान उपरोक्त की मृत्यु हो गई। बाकी के 12 दोषियों को कोर्ट ने सजा सुनाई है।