बरेली। दरगाह साबिर पाक कलियर रुड़की तक अकीदतमंद हर साल पैदल काफिल लेकर सिविल लाइन स्थित मस्जिद नोमहला शरीफ दरगाह नासिर मियाँ से झण्डा परचम लेकर जाते रहे है,बरेली के परचम से ही उर्से साबिर पाक का आगाज़ होता है,यह पैदल काफिला 21 अगस्त को रवाना हुआ था,15 दिनों का पैदल सफ़र करके कलियर शरीफ़ पहुँचते है,आज उर्स मुकम्मल करके सभी वापस आये,बरेली पहुँचने पर सभी को तबर्रूकात से सम्मानित किया गया,दरगाह के ख़ादिम हज़रत सूफी शाने अली कमाल मियाँ साबरी नासरी ने दरगाह नासिर मियाँ परिसर में सम्मान समारोह का आयोजन किया,जुलूस का नेतृत्व कर रहे सूफी वसीम मियाँ नासरी के साथ अतीक साबरी, राजा साबरी, साजिद साबरी, रेहान साबरी, सईद साबरी, बिलाल साबरी, राहिल साबरी, हसन दानिश साबरी, नासिर साबरी आदि का सम्मान किया गया,इससे पूर्व दरगाह पर महफ़िल ए समां हुई, नज़र पेश कर मुल्क व दुनियाभर के अमन चैन ,भाईचारे ,कामयाबी सलामती, खुशहाली, तरक़्क़ी के लिये ख़ुसूसी दुआ की गई,आखिर में हज़रिने महफ़िल को लंगर बाँटा गया। बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी ख़ाँ वारसी ने सभी को सम्मानित करते हुए फूलो के हार पहनाकर दस्तारबंदी की उन्होंने कहा कि हम सबको हज़रत साबिर पाक से सीख लेते हुए लोगों की मदद और भूखों को खाना खिलाना, बिना भेदभाव के हर ज़रूरतमन्द के सहयोगी बने ताकि समाज मे मोहब्बत का बोलबाला कायम हो। इस मौके पर बरेली हज सेवा समिति संस्थापक पम्मी ख़ाँ वारसी, शाहिद रज़ा नूरी,दिलशाद साबरी कल्लन मियाँ,शाहिद मियाँ साबरी, फैज़ान साबरी, मेराज़ साबरी, उवैस,नसीम,तनवीर,समीर,तौहीद, तस्लीम आदि सहित बड़ी तादात में लोग उपस्थित रहे।