परचम कुशाई से उर्सेे शराफ़ती का हुआ पुरज़ोर ऐलान
बरेली । 57 वें सालाना उर्सेे शराफ़ती की परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। सुबह 11 बजे ख़ानक़ाह शरीफ़ के मेहमान खाने में एक शानदार तकरीरी प्रोग्राम का आग़ाज़ किया गया, प्रोग्राम की इब्तिदा तिलावते कलामे पाक से की गई। खुसूसी आलिम हज़रत अल्लामा मौलाना आबिद सकलैनी साहब (मुंबई) ने माहे रबीउन्नूर में आमदे सरकार दो आलम सल्लललाहो अलैहि वसल्लम पर शानदार बयान करते हुए कहा कि- जहां तारीक थी ज़ुल्मत कदा था सख्त काला था, कोई परदे से क्या निकला उजाला ही उजाला था, मतलब हुज़ूर ए पाक की आमद से पहले इस दुनियां में हर तरफ़ जिहालतों के अंधेरे थे और सख़्त ज़ुल्म ओ ज़्यादती थी, आपके आमद ए बा बरकत से पूरी दुनियां में इल्म ओ अदब, तहज़ीब ओ तमद्दुन, अखलाक़ की रौशनियां पूरी दुनियां में फैली, आपने वो अख्लाके करीमाना पेश किया कि जिसकी बदौलत सारे आलम में इस्लाम की शम्मा रौशन हो गई। प्रोफ़ेसर अल्लामा मौलाना महमूद उल हसन साहब ने अपने खिताब में साहिबे उर्स हज़रत किब्ला शाह मौलाना शराफत अली मियां रहमतुल्लाह अलैह की शाने विलायत बयान की और लोगों को इत्तिहाद ओ मोहब्बत के साथ रहने और अपने शेख़ (मुरशिद) से मज़बूती से जुड़े रहने की हिदायत की, उन्होंने अहले सुन्नत वल जमाअत बिलखुसूस सकलैनियोंं को पैग़ाम दिया कि किसी भी फितने या फ़िर्क़ा की तरफ़ तवज्जो न देकर अपने मुरशिद की तरफ़ मुकम्मल तौर पर लगे रहें इसी में दीन ओ दुनिया की कामयाबी व आफियत है। हसीब रौनक सकलैनी, हाफ़िज़ आमिल ककरालवी, मजहर सकलैनी, सय्यद अरबाज़ सकलैनी, इमरान सकलैनी वगैरह ने नात व मनक़बत शरीफ़ के रूहानी कलाम पढ़े जिसे सुनकर अकीदतमंद खूब मेहजूज़ हुए। प्रोग्राम की सरपरस्ती साहिबे सज्जादा जानशीने मियां हुज़ूर हज़रत शाह मोहम्मद गाज़ी मियां सकलैनी उल क़ादरी ने फरमाई और सदारत नबीरा ए शाह शराफ़त अली मियां अल्हाज हज़रत मुंन्तखब मियां सकलैनी साहब ने की, निज़ामत जनाब मुख्तार सकलैनी तिलहरी ने की।
प्रोग्राम दोपहर 2 बजे तक चला इसके बाद ज़ुहर की नमाज़ अदा की गई, बाद नमाज़ फातिहा ख्वानी हुई और साहिबे सज्जादा हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ने तमाम अकीदतमंदों को जुलूसे परचम कुशाई में अदब ओ एहतराम के साथ चलने व ज़्यादा नारे बाज़ी न लगाने की हिदायत फरमाई। जुलूसे परचम दोपहर 2:30 बजे दरगाह शरीफ़ से रवाना होकर अपने मुकर्रर रास्तों की तरफ़ रवां दवां हो गया, कच्ची मस्जिद, ब्रहमपुरा, दिलशाद बजरिया, दीवानखाना चौक, कोहाड़ापीर चौराहा से गुज़रता हुआ नैनीताल रोड, कुतुबखाना पहुंचा और मनिहारान गली होता जुलूस वापस दरगाह शरीफ़ पर पहुंचा, दरगाह शरीफ़ पर जुलूस का परचम नस्ब कर दिया। जुलूसे परचम कुशाई सज्जादा नशीन हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर की सरपरस्ती में निकाला गया, रास्ते में जुलूस की क़यादत नबीरा-ए-मियां हुज़ूर हज़रत सादकैन मियां सकलैनी व हाफ़िज़ ओ इमाम गुलाम गौस सकलैनी ने की। जुलूस का इस्तकबाल जुलूस का रास्ते भर हार फूलों की बारिशों के साथ ज़ोरदार इस्तकबाल किया गया, शाहबाद में फैजाने शाह सकलैन फाउंडेशन ने ज़ोरदार स्वागत किया, कलाकेंद्र स्कूल के पास अरोड़ा, सक्सेना ने फूल मालाओं के साथ जुलूस का स्वागत किया, भूड़ पर डॉक्टर राम किशोर ने पुष्प वर्षा कर जुलूस का स्वागत किया इसके अलावा जगह-जगह छतों व दुकानों से फूल की बारिशों से जुलूस का इस्तकबाल होता रहा, जूलूस जिन रास्तों से गुज़रा वो रास्ते फूलों की खुशबुओं से महकते गए। रास्ते में सबीलों का एहतिमाम इस साल परचम कुशाई में अकीदतमंदों के लिए खाने-पीने की सबीलों का काफ़ी जगहों पर एहतिमाम किया गया, कोहाड़ापीर चौराहे पर घोसी ब्रदारी की तरफ़ से 50 कुंटल दूध की सबील लगाई गई, इसके अलावा रास्ते भर पीर भाइयों की दुकानों पर पानी, शरबत, मिठाई, आदि सबीलाें का उम्दा एहतिमाम किया गया। जुलूस खूब शान ओ शौकत व अमन ओ मोहब्बत के साथ संपन्न हुआ, इस दौरान पुलिस प्रशासन का भरपूर सहयोग रहा। जुलूस में खास तौर पर मौलाना आबिद सकलैनी, मौलाना रिफाक़त नईमी, मौलाना मुख्तार सकलैनी, मुफ्ती फ़हीम अहमद सकलैनी, हाफ़िज़ गौसी सकलैनी, हाफ़िज़ जाने आलम, मोहम्मद हमज़ा सकलैनी, गुलाम मुर्तुज़ा सकलैनी, फैजयाब सकलैनी, हाजी लतीफ़ सकलैनी, असदक़ सकलैनी, ज़िया सकलैनी, उमम सकलैनी, ऐनुल हक़ सकलैनी, नज़ीफ सकलैनी, मारिज सकलैनी, मुखलिस सकलैनी, इरतिज़ा सकलैनी, शगफ़ सकलैनी, हमूद सकलैनी आदि शामिल रहे। जुलूस की व्यवस्था व देख-रेख में आफताब सकलैनी, अबरार हुसैन, ज़ाहिद सकलैनी, सय्यद राशिद सकलैनी, फैसल सकलैनी, जमील सकलैनी, सय्यद आमिर, फ़ैज़ सकलैनी, सदाकत हुसैन, मोहसिन आलम, तनवीर सकलैनी, निज़ाम सकलैनी, यावर सकलैनी, रिज़वान सकलैनी आदि मौजूद रहे।