बरेली । जे.पी.गंगवार का जन्म 15 जनवरी 1970 को देवीदास गंगवार और कलावती गंगवार के घर, गांव धिमनी – पोस्ट- धौरां जिला बरेली में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा धौरा व बरेली में हुई। जेपी ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, बी. ई. सिविल एम. एस. बिडवे इंजीनियरिंग कॉलेज लातूर से किया। जेपी को लेखन का शौक बचपन से था। मुम्बई में शुरुआती दिनों में उन्होने कई भजन लिखे जिन्हें भजन सम्राट अनूप जलोटा, वैशाली सामंत, स्वप्निल बांडोडकर ने आवाज दी थी। उनकी लिखी दो गजलों को प्रसिद्ध गज़ल गायक जाज़िम शर्मा ने अपनी एल्बम लफ्जों के दरमियान में गाया है। वर्तमान में आप महाराष्ट्र सरकार में इंजीनियर हैं और दिल्ली महाराष्ट्र सदन में रेजिडेंट इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। जे. पी. गंगवार की नई किताब ‘मैं तुम में कैद परिंदा हूं’ आपके हाथों में है। इसे पढ़िए और मन के किसी कोने में मौजूद अपनी परिंदगी और परवाज को महसूस करिए। 72 पेज की किताब में जेपी ने गीतनुमा काव्यात्मक अभिव्यक्ति ज़ाहिर की हैं। उनकी रचनाओं को विशुद्ध साहित्य की कसौटी पर रख कर परखना सही नहीं होगा। उन्हें पढ़ते हुए फिल्मी प्रेम गीत पढ़ने जैसा ही भाव मन में आता है। अगर इन्हें संगीतबद्ध किया जाए, तो सुनने में ज्यादा आनंद आ सकता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में प्रेम की कोमल भावनाओं को याद कर पाने की फुर्सत जे. पी. गंगवार निकालते रहे हैं, तो यही बड़ी बात है। याद कर पाने की ही फुर्सत नहीं, बल्कि सरकारी नौकरी में रहते हुए प्रेम के अंतरंग भावों को उन्होंने कागज पर उतारने का समय भी निकाला है । प्रेम की बहुत गूढ़ भंगिमाओं को विभिन्न बिंबों और प्रतीकों से पूरी कोमलता से महसूस कर पाना और उन्हें हू-ब-हू उतार पाने का माद्दा वैसे भी आज के दौर में बहुत कम दिखाई देता है। ऐसे में जेपी गंगवार ने सपाट बयानी में ही सही, अपना बहुत निजी दर्द, अपने बहुत से ऐहसासात को इस संकलन में उड़ेलने की कोशिश है, संकलन में देशभक्ति परक दो रचनाएं भी हैं। शीघ्र ही उनके लिखे गाने फिल्मों में भी सुनाई देंगे।