स्मार्ट सिटी बरेली में एम्स, लाइट मेट्रो, वाहन पार्किंग योजना अभी फाइल में ही

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बरेली। बरेली का राजनीतिक पटल पर तो हर जगह नाम है ही पर यहां पर उद्योग-व्यापार भी खूब फला फूला। बरेली विकास प्राधिकरण की कई आवासीय योजनाएं भी जमीन पर आईं। लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना के बाद अब नाथ सर्किट एवम पर्यटन के जरिए भी यहां के विकास की संभावना बन रही हैं। बरेली में रिंग रोड नही होने से बाहनो का शहर में काफी दबाव हर समय रहता है। सार्वजनिक परिवहन का भी स्मार्ट सिटी में अभाव है । रेलवे स्टेशन बस स्टेशन पर उतरने के बाद आटो वाले यात्रियों से मनमाने रुपए मांगते हैं और यात्रियों का जमकर शोषण करते है। स्मार्ट सिटी में आज तक कोई वाहन पार्किंग तक नहीं बन सका। जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर उनके आवास के बाहर भी सड़क पर कार पार्किंग की लंबी कतार देखी जा सकती है। कुतुबखाना, सीतापुर आई हॉस्पिटल, श्यामगंज, किला सब्जी मंडी के अलावा तहसील के पीछे, जेल रोड या रोजगार कार्यालय पर भी भूमिगत वाहन पार्किंग बनने से सड़को पर खड़े वाहनों का जमावड़ा काम होगा। स्मार्ट सिटी और बरेली विकास प्राधिकरण ने लाइट मेट्रो की योजना की योजना बनाई। राइट्स ने कुछ रूट का सर्वे भी किया। पर इस मेट्रो की योजना फाइल में ही सिमट कर रह गई है। लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता के बाद से विकास की धीमी गति से कई योजनाएं प्रसव की पीड़ा झेल रही हैं । मतगणना के बाद जिनके 4 जून 2024 उपरांत सिरे चढ़ने की उम्मीद की जा रही है ।प्रदेश में बरेली ही अकेला मंडल है जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज नही है। ई इस आई सी का 100 बेड हॉस्पिटल बनना फाइल में ही है। एम्स, साउथ दिशा के लिए सीधी ट्रेन की मांग वर्षो से हो रही है। वैसे बरेली निजी मेडिकल कॉलेज का भी हब है। कभी यहां सिन्थेटिक एंड कैमिकल की रबर फैक्ट्री, विमको नाम की माचिस फैक्ट्री, आईटीआर की तारपीन फैक्ट्री, किसान कंपनी की जैम एवं जैली फैक्ट्री की धूम थी पर अब यह फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। रबर फेक्ट्री की जमीन का मामला कोर्ट से सरकार के पक्ष में आने से फिर एम्स खोलने की मांग उठी है । बरेली महानगर का दुर्भाग्य ही की बरेली में आज तक सरकारी मेडिकल कॉलेज, सरकारी डिग्री कॉलेज, कृषि विश्व विद्यालय एवम बरेली कॉलेज को केंद्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा देने को मांग सिरे नही चढ़ सकी। साउथ दिशा के लिए सीधी ट्रेन की मांग वर्षो से हो रही है वर्ष 2022 की संभावित जनगणना रिपोर्ट के अनुसार बरेली जिले की आवादी अब 54 लाख 72 हजार 071 हो चुकी है। जिसमें 29 लाख 00243 पुरूष तथा 25 लाख 71 हजार 828 महिलाएं बताई गई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बरेली की 2022 के विधान सभा चुनाव में सात सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की जीत हुई थी। बीजेपी ने दो सीट गंवा दी । यही नहीं नगर निगम में मेयर व जिला पंचायत अध्यक्ष भी भाजपा का ही बना रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में बरेली जिले में 32 लाख 73 हजार 298 मतदाता थे जिसमें 17 लाख 70 हजार 0015 पुरूष और 15 लाख 30 हजार 193 महिलाएं थीं। जिले में 3791 मतदान केन्द्र बनाए गऐ थे। लोकसभा के वर्तमान चुनाव में आठ बार के सांसद रहे संतोष गंगवार का टिकट काट कर बीजेपी ने छत्र पाल गंगवार को लोकसभा बरेली सीट से टिकट दिया। हाल यह रहा बरेली के गढ़ के साथ ही मंडल की सीट बचाने को बीजेपी शीर्ष नेताओं को खूब पसीना बहाना पड़ा। अभी 4 जून को मतगणना का इंतजार है। बीते 8 साल में बरेली में कुतुबखाना, आई. वी. आर. आई का पुल, चोपला एवम लालफटक का पुल ही बन सका था। चौपला पुल बीरबल की खिचड़ी बनकर रह गया । जिस पर भी अंधेरे की समस्या आज भी बनी हुई है। नगर निगम का नया भवन भी सभासद कक्ष को छोड़ कर बन गया। पटेल चौक के स्काईवॉक, अर्बन हॉट का निर्माण कार्य जारी हैं। जी आई सी का ऑडिटोरियम भी बन गया। इसमें पहला कार्यक्रम राधेश्याम कथावाचक स्मृति के रूप में हुआ था। लाइट मेट्रो, एम्स, चिड़िया घर सहित कई विकास योजनायें अभी भी धरातल पर नहीं आ पाई हैं। बरेली विकास प्राधिकरण ने राम गंगा नगर एवम ग्रेटर बरेली जैसी आवास योजनाएं दी । पिछले वर्ष 7 दिसंबर 2022 को एवम 2024 में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बरेली कॉलेज मैदान पर 1459 करोड़ की 188 योजनाओं का लोकार्पण, आदिनाथ डमरू चौराहा लोकार्पण किया था। साथ ही कहा नाथ नगरी अब स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार का हब बनेगी। अभी भी कई कार्य बजट अभाव में अधूरे ही पड़े है। स्मरण रहे आंवला का रामनगर स्थित जैन मंदिर पर्यटन मानचित्र पर शामिल हो गया है। अहिच्छत्र का द्रोपदी का किला को भी भारतीय पुरातत्व विभाग सड़क से जोड़ने की दिशा में धीमी गति से ही कार्यरत है। उत्तर प्रदेश में जब नारायण दत्त तिवारी केन्द्र में मंत्री थे तो बरेली मंडल के आंवला में इफको, बदायंू के बबराला में टाटा की टाटा फर्टिलाइजर, शाहजहांपुर में कृभको की फैक्ट्री लगी थी। बरेली में यहां सरकारी क्षेत्र में एयरफोर्स का त्रिशूल हवाई अड्डा, आर्मी का जाट एवं अन्य के हेड क्वार्टर, रेलवे का इज्जतनगर मंडल कार्यालय, आईवीआरआई जैसे बड़े संस्थान के साथ ही बैंक आॅफ बड़ौदा सहित कई बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालय भी बरेली में है। वर्तमान में उद्योग क्षेत्र में बी एल एग्रो, खंडेलवाल इडेबिल आयल, बजरंग फ्लौर मिल, अशोका फोम, सलेक्शन पाइंट, इंडियन बुड प्रोडक्ट, मेंथा उद्योग के साथ ही खान-पान में दीनानाथ की लस्सी, किप्स, दीपक, अजंता की मिठाई, जैसे खान पान के सेंटर भी हैं। कुटीर उद्योग में काष्ठ फर्नीचर उद्योग, हाशमी का सुर्मा उद्योग, बरेली का माझा एवं पतंग उद्योग के साथ ही चावल मिलें, दाल मिलें कई चीनी मिलें भी बरेली में हैं। पर्यटन की दृष्टि से आंवला का जैन मंदिर, अहिच्छत्र में पांचाल काल का द्रौपदी का किला, चुन्ना मियां का मंदिर, बरेली के अलखनाथ, धोपेश्वरनाथ मंदिर, त्रिवटीनाथ मंदिर, तपेश्वरनाथ मंदिर, वनखंडीनाथ मंदिर के अलावा पशुपतिनाथ मंदिर, तुलसी स्थल भी बरेली में है। जिस कारण इसे नाथ नगरी भी कहा जाता है। इसके अलावा आनंद आश्रम, हरीमंदिर, बांकेबिहारी मंदिर, दरगाह मंदिर, रामायण मंदिर, हनुमान मंदिर, बड़ा बाग का मंदिर, भगवान वेंकटेश्वर मंदिर, साहूकारा का नौदेवी मंदिर, नरियाबल मंदिर, खानकाए नियाजिया, दरगाह आला हजरत, नौमहला मस्जिद, श्रीफ्रीवेल वैपटिस्ट, चूड़ी वाली गुरूद्वारा एवं अन्य कई धार्मिक स्थलों की भी काफी मान्यता है। बरेली कमिश्नरी कार्यालय परिसर में क्रांतिकारियों का फांसी पर लटकाने वाला पेड़, अकब कोतवाली, जिला कारागार में नवाब खान बहादुर खां की मजार भी है। बरेली कालेज भी ऐतिहासिक प्राचीनतम कालेज है। इसी के पास बरेली का मानसिक चिकित्सालय भी है। बरेली से फिल्मी जगत में महावीर राना, प्रियंका चोपड़ा, दिशा पाटनी, विजय कमांडो के अलावा कई नाम चर्चित हुये। बरेली में अलीगढ़ फिल्म, मुक्केबाज आदि की भी शूटिंग हुई थी। बरेली का झुमका गीत एवं बरेली की वर्फी फिल्म भी काफी चर्चित रही। कई वेव सीरीज की भी शूटिंग हो चुकी है। इसी कारण बरेली में अब झुमका चौराहा भी बन गया। नाथ सर्किट के नाम पर शहर के चौराहे पर धार्मिक निशान शंख, त्रिशूल, डमरू आदि भी लग गए हैं। बरेली के गंगाशील आर्ट कालेज नबावगंज में डॉ शशि वाला राठी ने कला गैलरी बनवाई है। डॉ केशव अग्रवाल ने बरेली को आधुनिक कैंसर हॉस्पिटल दिया। राजेश शर्मा ने गुजिश्ता बरेली के माध्यम से अपने आलेख से बरेली का चित्रण कर सराहनीय कार्य किया। “कलम बरेली की” के चार अंकों में बरेली का इतिहास संस्कृति, व्यक्तित्व को समेटने का प्रयास किया गया। बरेली महानगर उत्तर प्रदेश का 8 वां बड़ा शहर है जबकि भारत का 50 वां सबसे बड़ा शहर है। बरेली जनपद लगभग 4129 किलोमीटर भू-भाग पर बसा है। बरेली जनपद की उत्तर-दक्षिण की लंबाई लगभग 150 किलोमीटर तथा पूूूर्व पश्चिम की चौड़ाई लगभग 90 किलोमीटर है। बरेली जनपद 28.10 तथा 28.54 अक्षांत तथा 79.49 देशांतर के बीच स्थित है। बरेली जनपद में रामगंगा, बहगुल, भाखड़ा, नकटिया, देवहा, विजोड़ा, किच्छा, शंखा, अरिल एवं पनगेली नदियां बहती हैं। बरेली के मौसम पर पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाली हवा तथा होने वाली वर्षा का असर पड़ता है। बरेली जनपद में वार्षिक मानसून से 87 प्रतिशत वर्षा होती है। 2011 की जनगणना के अनुसार बरेली जनपद की आवादी 44 लाख 48 हजार 359 थी जबकि 2020 में अनुमानित आवादी 51 लाख 53 हजार 869 अनुमानित की जा रही है। जबकि जनगणना इसी वर्ष 2021 में होना है। 2023 की जनगणना रिपोर्ट में आबादी सम्भावित 55 लाख से अधिक बताई जा रही है। जिले में 29 पुलिस थाने हैं। जिससे लगभग 55 लाख की जिले की आबादी एवम शहर की 15 लाख की आबादी को सुरक्षा देने का जिम्मा है। नगर निगम में शहर के लिए इंट्रीगेटिड कंट्रोल रूम केमरो के जरिए शहर की निगरानी करता है। बरेली जनपद की तहसीलें बरेली जिले की स्थापना अंग्रेजों के काल में सन् 1801 में हुई थी। अंग्रेजों ने गांव के ऊपर प्रशासनिक इकाई परगना बनाये और परगनों के ऊपर तहसीलें स्थापित की। प्रारंभ में जिले में 10 तहसीलें बनाई गई। सन् 1824 में 3 कम करके 7 कर दी गई थी इसके बाद एक और कम करके छह कर दी गई।अब वर्तमान में 6 तहसीलें मौजूद हैं। वह निम्न प्रकार हैं- 0 बरेली- बरेली बासदेव बरलदेव ने सन् 1537 में बसाया था। तब से यहां की निरंतर उन्नति होती गई। मुगल काल में यहां नाजिम तथा फौजदार रहते थे। रूहेलों के समय में यहां नवाब हाफिज रहमत खां का शासन रहा। 27 वर्ष तक बरेली नवाब अवध के आधिपत्य में रहा। अंग्रेजों ने सन् 1801 में जब रुहेलखण्ड पर कब्जा किया जब बरेली को जिला एवं कमिश्नरी का मुख्यालय बनाया गया था। सन् 1815 में बरेली तहसील की स्थापना कर उसे सदर तहसील कहा गया। बरेली दिल्ली-लखनऊ सड़क एवं रेल मार्ग पर स्थित है। यहां के प्राचीन एवं धार्मिक स्थानों में नाथ नगरी के भगवान शिव के मंदिर, चुन्ना मियां का मंदिर के अलावा पचोमीनाथ व नरियाबल हैं। बरेली तहसील में भोजीपुरा, क्यारा तथा बिथरी चैनपुर तीन विकास खण्ड कार्यालय हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार 16 लाख 28 हजार 338 थी। यहां से डॉ अरुण कुमार दूसरी बार जीत कर प्रदेश सरकार में वन राज्य मंत्री हैं। बरेली कैंट से बीजेपी के संजीव कुमार अग्रवाल एवम बिथरी चैनपुर से डॉ राघवेंद्र सिंह तथा भोजीपुरा से शहजिल इस्लाम सपा विधायक हैं। 0 नवाबगंज- बरेली-पीलीभीत मार्ग पर नवाबगंज स्थित है। इसको मूल रूप से बिजौरिया नाम से जाना जाता था। नवाबों के आने जाने का मुख्य पड़ाव होने के कारण तथा बाजार स्थापित किये जाने के कारण इसका नाम नवाबगंज पड़ा। यहां पनगेली नदी बहती है। यहां का हाफिजगंज नवाब हाफिज रहमत खां के नाम पर बसा है। भदपुरा एवं नवाबगंज दो खण्ड विकास कार्यालय हैं। 2011 में जनगणना के अनुसार 4 लाख 76 हजार 456 थी। डॉ एम पी आर्य यहां के विधायक है। मीरगंज- मीरगंज बरेली-रामपुर सड़क एवं रेल मार्ग पर 33 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसके रेलवे स्टेशन का नाम नगरिया सादात है। यहां से डी सी वर्मा विधायक हैं। मध्यकाल में मीरगंज आजौन महाल ;परगनाद्ध नाम से जाना जाता था। रुहेला सरदार मीर खां के नाम इसका नाम मीरगंज पड़ा। सन् 1871 में मीरगंज को तहसील बनाया गया जिसे सन् 1924 में तोड़ दिया गया। सन् 1989 में पुनः मीरगंज को तहसील बनाया गया। मीरगंज में फतेहगंज पश्चिमी पर नवाब रामपुर तथा अंग्रेजों में सन् 1794 में यु( हुआ जिसमें अंग्रेजों को विजय प्राप्त हुई। इस कारण यह स्थान फतेहगंज हुआ। यहां मीरगंज तथा फतेहगंज पश्चिमी दो खण्ड विकास कार्यालय हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार मीरगंज की आवादी 4 लाख 91 हजार 330 थी। फरीदपुर- फरीदपुर बरेली से 22 किलोमीटर दूर है। इसके रेलवे स्टेशन का नाम पीताम्बरपुर है। इसको मूल रूप से परा नाम से जाना जाता था। जहांगीर के समय में यहां के सूबेदार ने इसका नाम फरीदपुर रख दिया। यहां फतेहगंज पूर्वी के स्थान पर रूहेलों का नवाब अवध तथा अंग्रेजों से सन् 1774 में युद्ध हुआ था। जिसमें रूहेले हार गये थे। रूहेलों के पास केवल रामपुर स्टेट रह गई। शेष रूहेलखण्ड पर नवाब अवध का अधिकार हो गया जिसे सन् 1801 में अंग्रेजों ने उनसे छीन लिया। इस तहसील में भुता एवं फरीदपुर दो विकास कार्यालय हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार फरीदपुर की आवादी 4 लाख 72 हजार 366 थी। यहां से प्रोफेसर श्याम बिहारी विधायक हैं। आंवला- आंवला बरेली से रेल मार्ग 28 किलोमीटर दूर अहिच्छत्र नगर था। जिसके अवशेष कई किलोमीटर में फैले हैं। मध्यकाल में यहां कठेरिया राजपूतों के गढ़ रहे तथा रुहेलों के काल में आंवला रियासत रुहेलखण्ड की राजधानी थी। आंवला के अहिच्छत के निकट जैनियों का भगवान तीर्थाकंर पार्श्वनाथ का पवित्र तीर्थस्थल है। यहां काफी भव्य मंदिर बने हुए हैं। गुलड़िया ग्राम में गौरी शंकर मंदिर प्रसि( है। यहां रामनगर, आलमपुर जाफराबाद एवं मझगवां विकास खण्ड के कार्यालय है। 2011 की जनगणना के अनुसार आंवला की आवादी 7 लाख 4 हजार 971 थी। यहां से विधायक धर्मपाल सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री है। बहेड़ी- बहेड़ी तहसील नैनीताल रोड पर बरेली से 51 किलोमीटर की दूरी पर है। यह रेलवे लाइन से भी जुड़ा हुआ है। यहां निकट ही किच्छा नदी बहती है। यह बंजारों द्वारा बसाया गया था। यहां से बांस एवं बहेड़ा के वृक्ष बहुत होते थे। जिसके कारण यहां का नाम बहेड़ी हो गया। जो बहेड़ा का अपभ्रंश रूप है। प्राचीन काल में यहां राजा वेन का राज्य था। इस तहसील का कांवर सबसे पुराना स्थान है। जिसका नाम दिल्ली के बादशाह शेरशाह सूरी ने अपने नाम पर शेरगढ़ रख दिया था। वह यहां आया था। यहां प्राचीन काल के खण्डहर तथा ताल मौजूद है। अठारहवीं सदी के प्रारंभ से यहां बहेड़ी, रिछा तथा बाँकौली जागीरें थीं। यहां की रामलीला प्रसि( है। यहां के शिवमंदिर तथा सि( बाबा की समाधि की बहुत मान्यता है। बहेड़ी में शेरगढ़, बहेड़ी, रिछा ; दमखोदाद्ध विकास खण्ड कार्यालय हैं।2011 की जनगणना के अनुसार 6 लाख 74 हजार 598 थीं। यहां से समाजवादी पार्टी के अता उर रहमान विधायक है। बरेली कलम की भी धनी रही यहां स्वर्गीय राधे श्याम कथावाचक, चंद्र नारायण सक्सेना एडवोकेट, रमेश विकट, राम जी सरन, मनमोहन लाल माथुर, निरंकार देव सेवक, अनवर चुगताई, किशन सरोज, महाश्वेता चतुर्वेदी, के. पी. सक्सेना, जे सी पालीवाल थे। इस के साथ ही वसीम बरेलवी, हरी शंकर शर्मा, रंजीत पांचाले, रवि लायटू, गुडविन मसीह, सुरेन्द्र बीनू सिन्हा, इन्द्रदेव त्रिवेदी, सुरेश बाबू मिश्रा, राजेश शर्मा, निर्भय सक्सेना, रणधीर प्रसाद गौड़, राज मालिक, अजय इंडियन, खुर्शीद अली खान, जहीर अहमद का नाम भी चर्चा में रहा। डॉ पवन सक्सेना उपजा प्रेस क्लब अध्यक्ष हैं। रोटरी गवर्नर राजन विद्यार्थी हैं। पूर्व में किशोर कतरू, रवि प्रकाश अग्रवाल, डॉ इकबाल सिंह तोमर, त्रिलोक चंद्र सेठ भी रोटरी गवर्नर रहे । बरेली आई एम ए के ब्लड बैंक की भी प्रदेश में प्रतिष्ठा है। प्रदेश में बरेली ही अकेला मंडल है जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज नही है। ई इस आई सी का 100 बेड हॉस्पिटल बनना फाइल में ही है। एम्स की मांग वर्षो से हो रही है। वैसे बरेली निजी मेडिकल कॉलेज का भी हब है।प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रा गांधी के चुनाव संबंधी फैसला लेने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा, उपराष्ट्रपति रहे गोपाल स्वरूप पाठक, उ.प्र. के पहले मुख्यमंत्री रहे गोविन्द बल्लभ पंत के अलावा मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी, कैप्टन सुभाष सक्सेना का बरेली से काफी जुड़ाव रहा।

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निर्भय सक्सेना, स्वतंत्र पत्रकार

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