बदायूं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाया जाने वाला भाई दूज का त्योहार इस वर्ष 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह पर्व भाई-बहन के स्नेह और अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इसी के साथ दीपोत्सव के पांचवें और अंतिम दिन, दिवाली पर्व का समापन भी होगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक कर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुभ मुहूर्त में तिलक करने और पूजन करने का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का आरंभ 22 अक्टूबर, बुधवार की रात 8 बजकर 17 मिनट से होगा और इसका समापन 23 अक्टूबर, गुरुवार की रात 10 बजकर 47 मिनट पर होगा। उदया तिथि 23 अक्टूबर को होने के कारण भाई दूज का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्तशुभ चौघड़िया मुहूर्त में भाई दूज मनाना सबसे शुभ माना जाता है। वहीं, अमृत चौघड़िया में भी भाई-बहन भाई दूज का पर्व मना सकते हैं। शुभ चौघड़िया मुहूर्त : 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 2 बजकर 54 मिनट तक अमृत चौघड़िया मुहूर्त : 1 बजकर 30 मिनट से लेकर 2 बजकर 54 मिनट तक शास्त्रों के अनुसार, शुभ चौघड़िया में दोपहर के वक्त भाई दूज मनाना सबसे उत्तम रहेगा। इसके अलावा, अमृत चौघड़िया में बहनों के हाथ से अन्न-जल लेना शुभ रहेगा। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। साथ ही, भाई-बहन के रिश्ते मजबूत होते हैं। भाई दूज 2025 पूजा की विधि सबसे पहले भाई को पूर्व दिशा की तरफ और बहन को पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद, शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। दोपहर में शुभ मुहूर्त भाई को एक आसन पर बिठाएं और उन्हें तिलक लगाएं। इस बात का ख्याल रखें कि छोटे भाई को अंगूठे से और बड़े भाई को अनामिका उंगली से दीपशिखा के प्रकार तिलक लगाना चाहिए। इसके बाद, नारियल लेकर गोद में रखें और भाइयों को भोजन कराएं। तिलक लगाने और भोजन कराने के बाद भाइयों को अपनी बहनों को वस्त्र, उपहार देना चाहिए।विधि-पूर्वक पूजा करने और तिलक लगाने से भाई की आयु और बल में वृद्धि होती है। साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि आती है।