मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह प्रकरण के संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम के दस्तावेज संग्रह में महत्वपूर्ण साक्ष्य मिला है। कनिंघम ने वर्ष 1862-1864 के बीच जन्मभूमि-ईदगाह का सर्वे किया था, जिसकी रिपोर्ट में लिखा है कि औरंगजेब द्वारा श्रीकृष्ण मंदिर के ऊपरी हिस्से को तोड़ा गया और दीवारों को यथावत रखते हुए उनके ऊपर ही गुंबद बनाकर उसे शाही ईदगाह मस्जिद घोषित कर दिया।श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एवं वादकारी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले निदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1862-64 में पूरे देश में कई स्थानों पर सर्वे किया था। इसमें मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह भी शामिल थी।इसकी सर्वे रिपोर्ट का उल्लेख उन्होंने अपने दस्तावेजी संग्रह/किताब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि कटरा केशवदेव की भूमि पर बनी मस्जिद की लंबाई 172 फुट, चौड़ाई 66 फुट और ऊंचाई 25 से 30 फुट है। मंदिर को तोड़कर उसकी दीवारों पर गुंबद बनाकर उसे शाही ईदगाह मस्जिद घोषित करने के संबंध में साक्ष्य दिए हैं कि छींटदार लाल/बलुआ पत्थर से कटरा केशव देव भूमि पर औरछा राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा श्रीकृष्ण का मंदिर बनवाया गया था। वहीं पत्थर मस्जिद की दीवारों के मिले हैं। मंदिर को तोड़ने के बाद उसी के पत्थरों से गुंबद का निर्माण कराया गया। मंदिर निर्माण के लिए ये पत्थर फतेहपुर सीकरी से लाए गए थे। सर्वे के बाद कनिंघम ने शाही मस्जिद ईदगाह का हाथ से एक नक्शा भी बनाया, जो कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया पुस्तक भी सहेजा गया है।अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कनिंघम ने अपनी सर्वे की रिपोर्ट में लिखा है कि ईदगाह में एक खंभे में देवनागरी भाषा में संवत् 1713 फाल्गुन लिखा है। इसमें से फाल्गुन काटकर सिर्फ 1713 किया गया। एक खंभे में केशवराय लिखा है। कुछ चिह्न भी मिले हैं, जो हिंदू मंदिरों में होते हैं।