गन्ना किसानों को जी का जंजाल बनी डिजिटल पर्चियां, गन्ना क्रय केंद्रों पर चस्पा नहीं की जा रही पर्चियों की लिस्ट
सालारपुर। बिना पढ़े-लिखे गन्ना किसानों को गन्ना सप्लाई के लिए डिजिटल पर्चियां को जारी होना जी का जंजाल बन गया है।अब किसान पहले की तरह कागज की पर्चियां जारी कराने की मांग गन्ना अफसरों से कर रहें हैं। डिजीटल पर्चियां कोरोना काल के दौरान से जारी की जा रहीं हैं।किसानों के मोबाइल में पर्ची जारी होने का मैसेज आता है तो बिना पढ़े-लिखे किसान जिसे देख नहीं पाते हैं। जिले में किसानों ने 21,800 हेक्टेयर पर गन्ना की खेती की है। इन दिनों में किसान गन्ना चीनी मिलों को गन्ना क्रय केंद्रों के माध्यम से गन्ना सप्लाई कर रहे हैं। गन्ना सप्लाई करने से पहले किसानों को पर्ची जारी की जाती हैं इसके बाद ही किसान गन्ना सप्लाई कर सकते हैं। इन दोनों गन्ने की पर्चियां डिजिटल तरीके से जारी कर किसानों के मोबाइल पर मैसेज भेजे जा रहे हैं। जिन्हें बिना पढ़े-लिखे गन्ना किसान देख नहीं पाते हैं। ऐसे में बिना पढ़े लिखे तमाम गन्ना किसानों को गन्ना सप्लाई करने में काफी दिक्कत आ रही है। गन्ना क्रय केंद्रों पर चस्पा नहीं होती है पर्चियां की लिस्ट जो गन्ना किसानों का कहना है कि अगर डिजिटल पर्चियां जारी भी की जा रही हैं। तो गन्ना के केंद्रों पर पर्चियों की लिस्ट जारी करने की व्यवस्था होती है।
लेकिन गन्ना अफसर एवं गन्ना क्रय केंद्र प्रभारियों की अनदेखी के चलते पर्चियां जारी होने की लिस्ट भी चस्पा नहीं की जा रही है।जो गेहूं की बुवाई में हो रही देरी। पर्चियों के अनुभव में गन्ना क्रय केंद्र जैसे, गांव सिलहरी,बावट, कुनार, मालगांव,आमगांव, लखनपुर, इन गन्ना क्रय केंद्रों से जुड़े तमाम गांवों एवं किसानों की गन्ना की फसल खेतों में खड़ी हुई है। जबकि किसानों को गन्ने की सप्लाई कर खेत खाली कर गेहूं की बुवाई करना है। अब गेहूं की बुवाई में देरी हो रही है। गन्ना किसान बोले कागज वाली पर्चियों को जारी किया जाए। जैसे विकासखंड सालारपुर क्षेत्र के गन्ना किसान कृष्ण पाल सिंह, नरेश पाल सिंह राठौर, अरविंद सिंह, वीरपाल उर्फ धर्मेंद्र सिंह, अशोक यादव, राजवीर सिंह, संदेश राठौर, का कहना है कि पहले जैसी कागज वाली पर्चियां जारी की जायें।जिससे किसानों को सुविधा हो सके डिजिटल पर्चियां बिना पड़े लिखे किसानों को समझ में नहीं आ रही हैैं। किसानों को पता ही नहीं चलता कि उनके फोन पर कब मैसेज आ गया या नहीं जिससे गन्ना की सप्लाई करने में काफी दिक्कत आ रही है। कई बार तारीख बीत जाने के बाद मैसेज की जानकारी न हो पाती है।डीसीओ हेमराज सिंह ने बताया किसानों ने घोषणा पत्र के दौरान, जो मोबाइल नंबर दर्ज किया है उसे चालू रखें, और इनबॉक्स में मैसेज प्राप्त के लिए जगह रखें, पर्ची जारी होने की जानकारी किसानों को मैसेज के माध्यम से ही मिलेगी और प्रत्येक गन्ना क्रय केंद्रों पर पर्चियों की लिस्ट चस्पा करा दी जाएंगी।