साहित्यिक संस्था ‘शब्दिता’ एवं उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की ओर से होली मिलन एवं काव्य गोष्ठी हुई
बदायूँ। साहित्यिक संस्था ‘शब्दिता’ एवं उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के तत्वावधान में होली मिलन एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन के अंतर्गत सभी सदस्यों द्वारा गीतों,ग़ज़लों,नवगीतों,,अछांदस रचनाओं का पाठ किया गया। सर्वप्रथम वरिष्ठ साहित्यकार टिल्लन वर्मा,डॉ.राम बहादुर व्यथित एवं डॉ.गीतम सिंह ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित किया।तदोपरान्त गोष्ठी आरम्भ हुई सरस्वती वंदना नन्ही वैभवी विजय गुप्ता द्वारा पढ़ी गयी। कविता पाठ करते हुए ममता ठाकुर ने बदलते हुए समय और त्यौहार पर कहा – होली ये आयी और वो गयी,होली तुम कितना बदल गयीं। शारदा बावेजा ने माँ – बेटी के रिश्ते पर एक कविता प्रस्तुत की- मुझमें थोड़ी सी मेरी माँ आ गयी है। रीना सिंह ने अपने ख़ूबसूरत लहजे में कहा- तमन्ना तुम्हें रंग लगाने की नहीं ,तमन्ना तुम्हारे रंग में रंग जाने की है।
डॉ.दीप्ति जोशी गुप्ता ने अपने सुमधुर स्वर में होली पर एक गीत प्रस्तुत किया।इस अवसर पर उन्होंने पहाड़ी गीत भी सुनाया। उन्होंने कहा – अबके फाग न खेलूँ होरी। डॉ.शुभ्रा माहेश्वरी ने सुंदर शब्दों के संयोजन से लिखी कविता प्रस्तुत की -आओ रंगों से रंगों का संयोजन करें। कुछ ऐसा नया अब आयोजन करें।चेहरे पर लगे नकाब उतार कर दोस्तों,असली रंगों से ही प्रबंधन करें। कहानीकार अंजलि शर्मा ने होली के महत्व को पौराणिक संदर्भ के साथ बताते हुए एक होली पढ़ी – होली खेलें चारों भैया यमुना के तट पर सरयू के तट पर पवन चले पुरवइया होली खेलें चारों भईया नेत्र चिकत्सिका डॉ . प्रतिभा मिश्रा ने होली प्रस्तुत करके सबको मंत्र मुग्ध कर दिया।शिल्पी अनूप ने जानदार शेर कहे।उन्होंने कहा – रंग हरा हो या नीला कच्चा पक्का जैसा हो प्रेम घुले बस प्रेम चढ़े वो केवल प्रेम सरीखा हो मोना अग्रवाल ने एक स्त्री की विशेषताओं और उसकी क्षमताओं को अपनी कविता में व्यक्त किया – एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने घर भी संभाला घर से बाहर अपना हुनर भी संभाला वरिष्ठ कवयित्री ममता नौगरिया ने कहा – ए कलम तू ऐसी चाल चल ,देश में क्रांति ला दे। युवा गीतकार अभिषेक अनंत ने अपने गीतों से मंत्र मुग्ध कर दिया – वृन्दावन से चले कन्हैया,आ पहुँचे हैं बरसाने। राधा का लाज का घूँघट ये फगुनाई खोले है।डॉ.गीतम सिंह ने बदलते परिवेश को अपनी रचना में प्रस्तुत किया – पहले से वो तौर तरीके और ज़माना भूल गये। वर्तमान की चका चौंध में दौर पुराना भूल गये।। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम बहादुर व्यथित ने बहुत सुंदर रचनाएँ प्रस्तुत कीं।उन्होंने कहा – कान्हा आये बरसाने,मचा हुड़्डंग कुछ ऐसा भीगी गोपियाँ सारी,लगें रतनार होली में। जनकवि के रूप में पहचाने जाने वाले गीतकार ग़ज़लकार वरिष्ठ कवि टिल्लन वर्मा ने अपने मनहर काव्य पाठ से कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान की। उन्होंने कहा – होली पर हुड़दंग मचाना अच्छा लगता आप खुलकर हँसना और हँसाना अच्छा लगता आप इस आयोजन में मंजुल शंखधार,कुसुम रस्तोगी,सुषमा भट्टाचार्य, पूनम रस्तोगी उपस्थित रहे! गोष्ठी का संचालन डॉ सोनरूपा विशाल ने किया।अंत में कार्यक्रम संयोजिका डॉ सोनरूपा विशाल ने सभी का आभार ज्ञापन किया।