बदायू। आदर्श नगर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस आज वृंदावन धाम से पधारे कथा प्रवक्ता भागवत भूषण आचार्य मनीष कौशिक के मुखारविंद से भक्तजनों को कथा सुनाई गयी। व्यास जी ने कहा कि भागवत महापुराण साक्षात श्री कृष्ण का ही वांग्मय स्वरूप है। जिसका श्रवण हमेशा भक्ति भाव से ही करना चाहिए। स्वयं महर्षि व्यास जी ने भी 17 पुराण लिखने के बाद मन को शांति नहीं मिलने पर नारद जी के द्वारा मूल भागवत का उपदेश देने पर ही 18000 श्लोकों से युक्त इस विशाल पुराण की रचना की। संत जनों की सेवा और दर्शन से ही रामदास देव ऋषि नारद हुए। व्यास जी ने बताया कलयुग के चलते राजा परीक्षित ने मृत सर्प शमीक मुनि के गले में डाल दिया तो ऋषि पुत्र ने राजा को श्राप दिया किंतु जब परीक्षित के शिष्य कली का प्रभाव नष्ट हुआ तो उन्हें दुख हुआ और उन्होंने गोविंद के चरणों में अपने मन को एकाग्र किया और श्री शुक्रदेव जी ने भागवत कथा सुनाकर उनका उद्धार किया। मनीष कुमार जी द्वारा अभिमान ना करने एवं सन्तजनों की सेवा करने की सीख दी। भागवत के द्वितीय दिवस के मुख्य यजमान मोहित गुप्ता एवं ओम कुमार गुप्ता रहे। गोपाल शर्मा ने समस्त धर्मप्रेमियों से 4 मार्च तक प्रतिदिन 6:00 से रात्रि 10:00 बजे तक भागवत कथा सुनकर धर्मलाभ उठाने का आह्वान किया। इस मौके पर यज्ञ आचार्य सुरेंद्र कुमार भारद्वाज (नरवर वाले), ब्रह्मदत्त वशिष्ठ, शशांक गुप्ता, सुमित गुप्ता, उत्कर्ष गुप्ता, देव, अमोल, जगदम्बा सहाय, गोपाल शर्मा, आयुष भारद्वाज समेत तमाम धर्म प्रेमी मौजूद रहे।