ओया में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई गई बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव वनबेहटा के शिव मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन गोवर्धन से आयी सीमा साध्वी ने कहा कि बुरे काम का बुरा नतीजा ना मानो तो करके देखो। जैसे गोकर्ण भगवत भक्त थे और उनका भाई धुंधकारी अधर्मी था जो वैश्याओं के साथ रमण करता था। अंतत: वैश्याओं ने उसका सब कुछ लूट लिया और एक दिन उसकी हत्या कर दी। धुंधकारी की अकाल मृत्यु होने के कारण प्रेत योनि में गया। भाई गोकर्ण ने प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिये सूर्य भगवान के बताये सूत्र पर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया और भाई धुंधकारी को कथा सुनायी। जिसके श्रवण से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली। शास्त्री ने कहा कि कर्म और धर्म मनुष्य को उचित करने चाहिये और हिस्सा बंटवारा को लेकर आपस में भाई से रंजिश विवाद नहीं करना चाहिये। अंतत: भाई ही भाई के काम आता है। इस मौके पर गोपाल सिंह, लायक सिंह चौहान, रनवीर सिंह चौहान, विजेंद्र सिंह, युवराज सिंह, अरुण सिंह, बाबू सिंह, राजेश सिंह, लल्ला ठाकुर, कलेक्टर सिंह, लल्लू सिंह, सोनू ठाकुर, हप्पू सिंह, अजय पाल सिंह, महावीर सिंह आदि मौजूद रहे। इधर क्षेत्र के ग्राम ओया में माता रानी की मठिया पर श्रीमद् भागवत कथा के छठें दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी विवाह की मधुर कथा सुनाते हुए सोंरो के कथावाचक आचार्य संतोष महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ही भगवान श्री विष्णु हैं एवं माता रुक्मिणी ही माता लक्ष्मी हैं। अतः भगवान श्री कृष्ण ज्ञान के देवता हैं और माता रुक्मिणी लक्ष्मी यानि धन की देवी हैं। रुक्मिणी का भाई रुक्मिण रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता था। उसके जीवन से भगवान् लक्ष्मी रुपी रुक्मिणी का हरण कर लेते हैं। इसलिए हर मानव का यही धर्म है कि अपने धन रुपी लक्ष्मी को नारायण के चरणों में निवेदित कर अपने धन का सदुपयोग कर लक्ष्मी और नारायण दोनों का अनुदान वरदान प्राप्त कर अपने मानव जीवन को धन्य बनाएं। कथा के मध्य में भगवान श्री कृष्ण एवं रुक्मिणी विवाह की सुन्दर झांकी भी प्रस्तुत की गई। इस मौके पर सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।