सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा पास कराने का झांसा, नकली प्रश्नपत्रों के सहारे लाखों की ठगी का प्रयास, दो गिरफ्तार

सोनीपत । सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा में पास कराने का झांसा देकर अभ्यर्थियों से लाखों रुपये ठगने की कोशिश करने वाले गिरोह का मुख्यमंत्री उड़नदस्ता रोहतक की टीम ने पर्दाफाश किया है। कार्रवाई के दौरान गोहाना क्षेत्र से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि मौके से 37 अभ्यर्थी भी मिले। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह मामला पेपर लीक का नहीं, बल्कि नकली प्रश्नपत्रों के जरिए ठगी के प्रयास से जुड़ा है। गिरोह ने प्रत्येक अभ्यर्थी से परीक्षा पास कराने के बदले तीन से चार लाख रुपये लेने का सौदा तय किया था।

एसीपी राहुल देव ने बताया कि मुख्यमंत्री उड़नदस्ता के एसआई कर्मबीर की शिकायत पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप था कि 17 दिसंबर को 37 अभ्यर्थियों को पानीपत के इसराना क्षेत्र में एनसी कॉलेज के पास बुलाया गया, जहां से उन्हें टैंपो ट्रैवलर में बैठाकर गांव चिड़ाना स्थित बंद पड़े रयात बाहरा इंस्टीट्यूट की इमारत में ले जाया गया। इस भवन में फिलहाल नरवाल कबड्डी अकादमी संचालित की जा रही है। अभ्यर्थियों को बताया गया था कि 18 दिसंबर को होने वाली सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा का प्रश्नपत्र पहले ही उपलब्ध करा दिया जाएगा और उसी के आधार पर उन्हें अभ्यास कराया जा रहा है।

पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्यों को मोबाइल फोन पर प्रश्नपत्र भेजे गए थे, जिनकी प्रिंटर से प्रतियां निकालकर अभ्यर्थियों को बांटी गईं। इनमें 16 अभ्यर्थियों को केमिस्ट्री और 21 अभ्यर्थियों को लाइफ साइंस विषय के ए और बी सेट दिए गए थे। अभ्यर्थी इन्हीं फर्जी प्रश्नपत्रों के आधार पर परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान मुख्यमंत्री उड़नदस्ता रोहतक की टीम ने अकादमी में छापा मारा, सूचना मिलने पर गोहाना सदर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची और तलाशी के दौरान एक लैपटॉप, प्रिंटर और मोबाइल फोन बरामद किए गए।

मौके से रोहतक के गांव करौथा निवासी नीरज और सचिन को गिरफ्तार किया गया। नीरज दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत बताया गया है, जबकि सचिन बारूद भंडार में टीमेट है और उसका संबंध सेना से बताया जा रहा है। दोनों आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई, जिसके बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि वास्तविक परीक्षा में पूछे गए प्रश्न और अभ्यर्थियों को दी गई फोटो प्रतियां एक-दूसरे से मेल नहीं खाती थीं, जिससे साफ हो गया कि गिरोह ने नकली प्रश्नपत्र तैयार कर ठगी की साजिश रची थी। पुलिस के अनुसार नीरज के भाई धीरज ने मोबाइल पर प्रश्नपत्र भेजे थे, जबकि उनके साथी पवन भारद्वाज और मुंडलाना निवासी आशीष ने अभ्यर्थियों को अकादमी तक पहुंचाने की व्यवस्था की थी।

पुलिस ने पूरे मामले को करीब पांच दिन तक गोपनीय रखा और अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों, आर्थिक लेनदेन और नेटवर्क की कड़ियों को खंगालने के लिए विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। एसीपी मुख्यालय अजीत सिंह के नेतृत्व में गठित एसआईटी पूरे नेटवर्क की गंभीरता से जांच कर रही है।

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