प्रखर व्यक्तित्व और नैतिक संस्कारों की संजीवनी है हिन्दी: संजीव


-हिन्दी ने सिखाया दुनियां को शिष्टाचार
-नेहा, दीप्ति और कल्पना रहीं सर्वश्रेष्ठ

बदायंू: अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में चल रहे प्रखर बाल संस्कारशाला की ओर से गांव दबिहारी में विश्व हिन्दी दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। श्रेष्ठ स्थान पाने वाले बच्चों को सम्मानित किया गया।

गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि हिन्दी प्रखर व्यक्तित्व और नैतिक संस्कारों की संजीवनी है। मातृभाषा से राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा होती है। हिन्दी संपूर्ण भारत की प्राण ऊर्जा है। भारत विश्वगुरू बनाने की श्रेष्ठ सामथ्र्य मातृभाषा में ही है। हिन्दी शिष्टाचार का संदेश देकर शहरों और ग्रामीण आंचलों में रहने वाले लोगों के रग-रग में वसी है।
संस्कारशाला के मृत्युंजय शर्मा ने कहा कि राष्ट्र को समर्थ और सशक्त बनाने में हिन्दी भाषा का अतुलनीय योगदान है। छात्रा सौम्या शर्मा ने कहा कि अपनी मातृभाषा से प्रेम और सम्मान करें।
नेहा शर्मा वर्णमाला, दीप्ति शर्मा श्रुतिलेख और कल्पना शर्मा सुलेख प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ रहीं। गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने स्थान पाने वाले बच्चों को सम्मानित किया। इस मौके पर रीना शर्मा, आरती शर्मा, हेमंत, भूमि, खुशबू आदि मौजूद रहीं।

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