समीक्षा : कलम बरेली की अपने नाम को सार्थक करने वाले -निर्भय सक्सेना
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बरेली। हिन्दी पत्रकारिता के गौरव पूर्ण हस्ताक्षर हैं। एक लम्बी रेस के घोड़े की तरह वह काफी समय से सतत सक्रिय हैं। कहा गया है कि प्रत्येक सफल पत्रकार मूलतः साहित्यकार होता है तभी उसका लेखन, ड्राफ्टिंग व प्रस्तुतीकरण साहित्य सम्मत हो सकता है।
निर्भय सक्सेना के आलेख विभिन्न पत्र-पत्रकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं और हम लोग उनकी कलम के जादू को दर्शक, पाठक और साक्षी रहे हैं। वह मानव व्यवहार की कला के मर्मज्ञ हैं और रिश्तें बनाना और निभाना वह अच्छी तरह जानते हैं। पत्रकारों के संगठन यू. पी. जर्नलिस्ट एसोसिएसन (उपजा) में सतत सक्रिय रहते हैं बरेली में यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशसन (उपजा) के कार्यालय तथा प्रियदर्शिनी नगर में पत्रकार कालोनी की स्थापना के निर्भय का बड़ा योगदान रहा है।
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उनके द्वारा हाल ही में लिखी ‘कलम बरेली की’ प्रति प्राप्त हुई है। अपनी संपूर्णता में यह पुस्तक बरेली में पत्रकारिता की स्थिति, परिस्थिति का ऐतिहासिक दस्तावेज है। पुस्तक में बरेली से प्रकाशित होने वाले दैनिक अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, आज, विश्वमानव आदि समाचार पत्रों की जानकारी के साथ देश प्रदेश में प्रकाशित पत्रों और आयोजित महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का वर्णन भी प्राप्त होता है। पुस्तक में प्रकाशित कुछ लेख तो स्वयं निर्भय जी द्वारा लिखे गये हैं जो विभिन्न व्यक्तियों, घटनाओं और स्थलों से संबंधित है और कुछ लेख विभिन्न लेखकों द्वारा निर्भय के व्यक्तित्व व कृतित्व को रेखांकित करते हुये लिखे गये है। निर्भय अपने मधुर व्यवहार के कारण बहुत लोकप्रिय हैं अतः विभिन्न लेखकों ने उनके संबंध में महतवपूर्ण जानकारी देते हुये लेख लिखे हैं।
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पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा गया उनका अग्र लेख उनके अपने विषय में उनकी जुबानी उनकी कहानी कहता है। इस आलेख में निर्भय ने अपने द्वारा जनहित के किए गये कार्याें विवरण देते हुए अपनी प्रोफेशनल विकास यात्रा का वर्णन भी किया है। उन्होंने अपने उन सब इष्ट मित्रों को याद किया है जिनकी भूमिका निर्भय जी के व्यक्तित्त्व के निर्माण में रही है।
पुस्तक में प्रकाशित नगर के अनेक विशिष्ट नागरिकों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों के जन प्रतिनिधियों से प्राप्त शुभ कामना संदेश यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि निर्भय का सम्पर्क किसी वर्ग विशेष से नहीं वरन सभी से समान रूप से है। यह उनके व्यतित्व की विलक्षण और उल्लेखनीय बात है। अपने नाम के अनुरूप वह
नि – निष्पक्ष पत्रकार
र – रचनाधर्मी
भ – भय मुक्त और
य – यशस्वी पत्रकार
पुस्तक में मुद्रण की दृष्टि से कुछ सुधार है क्योंकि बहुत छोटे अक्षर वरिष्ठ नागरिक को अपठनीय लगते हैं। शेष पुस्तक का कथ्य और मंतव्य सराहनीय है। कवर पेज बहुत खूबसूरत है। तद हेतु प्रकाशक और मुद्रक सभी बधाई के पात्र हैं। मैं भाई निर्भय सक्सेना के सुदृढ़ स्वास्थ्य और सक्रिय दीर्घ जीवन की शुभकामना प्रेषित करते हुए अभिभूत हूँ। उनकी लेखनी सतत चलती रहे और बरेली की यह कलम नित्य नयी रचनाओं के सृजन का उपकरण सिद्ध हो।
प्रो. एन. एल. शर्मा