बदायूं।यह खबर किसी एक युवक की नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम पर सवाल है जो न्याय देने की जगह पीड़ित को झूठे मुकदमों में फंसाकर उसकी जिंदगी तबाह कर देता है। सिविल लाइंस क्षेत्र के कलेक्ट्रेट परिसर में सोमवार को उघैती थाना क्षेत्र का रहने वाला जितेश नामक युवक इस अन्याय के खिलाफ अपने प्राणों की बाजी लगाने पर मजबूर हो गया। जितेश ने सबके सामने जहर खा लिया। पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। लेकिन असली सवाल यह है कि उसे इस हालात तक धकेला किसने। युवक का आरोप है कि स्थानीय दबंगों के इशारे पर और सत्ता से जुड़े मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी की सरपरस्ती में उसके खिलाफ लगातार फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए। उसने बताया कि 10 सितंबर को गांव की ही एक लड़की से रेप का झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया, जबकि पहले भी एक फर्जी मुकदमा उस पर लादा जा चुका है। अधिकारियों से लेकर अफसरशाही के दरवाजे तक उसने दस्तक दी, लेकिन हर जगह उसे सिर्फ ठोकरें मिलीं।सवाल यही है क्या यही है न्याय का चेहरा, जहां निर्दोष बार-बार फंसाया जाता है? क्या सिस्टम इतना बहरा हो चुका है कि मासूम की चीख भी उसे सुनाई नहीं देती? क्या सत्ता की हनक में झूठे मुकदमे सच का गला घोंट देंगे? अब हालत गंभीर है, लेकिन असली जंग सिस्टम से है। जितेश ने अपने जीवन से यह सवाल उठा दिया है कि जब न्याय के दरवाजे बंद हो जाएं तो जनता आखिर कहां जाए?