बरेली। पर्वाधिराज दस लक्षण धर्म के नौवें अणुव्रत उत्तम आकिंचन्य धर्म को जैन धर्मालंबियों ने आज अंगीकार कर मंत्रोचार के साथ जिनेंद्र भगवान का अभिषेक व शांति धारा की। नित्य नियम पूजा के उपरांत हुए विधान में अपनी निर्मल भक्ति समर्पित करते हुए अष्ट द्रव्यों से रत्नत्रय, उत्तम आकिंचन धर्म के अर्ध समर्पित किए गए। प्रतिदिन की धर्म चर्चा की प्रस्तावना में युवा वक्ता सौरभ जैन ने कहा कि न किंचित इति अकिंचन। अर्थात जो किंचित मात्र भी अपना न हो, यह धर्म हमें मोह माया और ममता का त्याग करना सिखाता है। सभी तरह की मोह माया व प्रलोभनों का त्याग करके ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। बिहारीपुर जैन मंदिर में प्रवचनकर्त्री श्रीमति निशि जैन ने कहा कि 24 प्रकार के परिग्रह का त्याग करना व तृष्णा भाव का उच्छेदन करना आकिंचन्य है। उन्होंने आगे कहा कि न मेरा ना तेरा जग चिड़िया रैन बसेरा, यह सुबह शाम का डेरा।। इस परिणीति का लक्ष्य बनाएं। चीज मेरे पास हो सकती हैं पर मेरी नहीं। प्रवचनकर्ता राम कुमार जैन ने कहा कि जब शरीर ही अपना नहीं तो कोई और कुछ हमारा कैसे हो सकता है, परिग्रह में किंचित भी आशक्ति ना रखने को अकिंचन कहते हैं।सांय सामूहिक आरती उपरांत दशलक्षण पर्व पर पहेली में तीर्थ ढूंढो” लिखित प्रतियोगिता हुई, जिसमें प्रथम स्थान मीडिया प्रभारी सौरभ जैन और राजेश जैन ने संयुक्त रूप से प्राप्त किया। 24 प्रश्नों की प्रश्नावली ने धर्मावलंबियों को खूब उलझाया। इस अवसर पर प्रतियोगिता में प्रकाश चन्द्र जैन, भूपेंद्र जैन, सुभाष जैन, अशोक जैन, विकास जैन, विपिन जैन, संजय जैन, वैभव जैन, हेमा देसाई जैन, सुधीर जैन , राजेंद्र जैन, सुनीता जैन, डॉ अर्चना जैन, मिनेश जैन, शालिनी जैन, सुलेखा जैन, रेखा जैन, ऊषा जैन, रेणु जैन, चेतना जैन, शिल्पी जैन ,रेखा जैन , छाया जैन, मिताली जैन, रश्मि जैन, संदीप देसाई जैन, हेमलता जैन आदि ने भाग लिया।