दरगाह बशीर मियां पर हजरत ग़ाज़ी मियाँ व ज़ायरीन ने की चादर पोशी, वापसी में शान ओ शौक़त से निकला जुलूसे मोहम्मदी
बरेली। 12 रबीउल अव्वल शरीफ़ ईद मीलाद उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के मुबारक मौक़े पर हर साल की तरह इस साल भी दरगाह शाह शराफ़त के सज्जादानशीन हज़रत ग़ाज़ी मियाँ हुज़ूर ने बड़ी संख्या में अक़ीदतमंदों के साथ मोहल्ला गुलाबनगर स्थित दरगाह बशीर मियां हुज़ूर पर पहुंचकर हाज़िरी दी और चादर पोशी व गुलपोशी की।
सुबह 9 बजे दरगाह शाह शराफ़त से जुलूस रवाना हुआ और दरगाह बशीर मियाँ पर पहुंचकर बड़े पैमाने पर फ़ातिहा ख्वानी व चादर पोशी की रस्म अदा की गई, साथ ही सरकारे दो आलम और सिलसिले के बुज़ुर्गों के तबर्रुक़ात की अक़ीदतमंदों को ज़्यारत करायी गई, इस मौक़े पर हुज़ूर के ग़ुलामों व आशिक़ों ने रो-रो कर दुआएँ माँगी। इस मौक़े पर हज़रत ग़ाज़ी मियाँ ने तमाम आलमे इंसानियत को 1500 वें जश्ने ईद मीलादुन्नबी की मुबारकबाद दी और ये पैग़ाम दिया कि सरकारे दो आलम तमाम आलम और अल्लाह की तमाम मख़लूक़ के लिए रहमत बनाकर भेजें गए हैं, दुनिया में आपकी आमद की बरकत से जिहालतों के अँधेरों और जुल्मों ज़्यादतियों के दौर का ख़ात्मा हुआ, आपने इंसानियत को ज़िंदा किया और आपस में मोहब्बत, इत्तिहाद, अख़लाक़ से पेश आने की वो मिसाल पेश की कि जिसकी कोई मिसाल नहीं, आज हम सबको हुज़ूर के अख़लाक़ को समझने की ज़रूरत है और आपकी हिदायात व तालीमात के मुताबिक़ हमें अपनी ज़िन्दगी को ढालना चाहिए आख़िर में सज्जादनशीन ने आपसी इत्तिहाद ओ मोहब्बत और मुल्क व शहर के अमन चैन, तरक़्क़ी, ख़ुशहाली के लिए ख़ुसूसी दुआएं कीं। वापसी में अदब ओ एहतराम के साथ निकाला गया जुलूसे मोहम्मदी दरगाह बशीर मियां हुजूर से वापसी में मस्जिद घोसियान गुलाबनगर से जुलूसे मोहम्मदी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का आग़ाज़ हुआ, हज़रत गाज़ी मियां को बग्गी में बिठाकर जुलूस का आग़ाज़ हुआ, जुलूस सुर्खा, बानखाना, कोहाडापीर, नैनीताल रोड, कुतुबखाना, मनिहारान गली होता हुआ वापस दरगाह पर आकर ख़त्म हुआ। इस साल 1500 वाँ जश्ने ईद मिलादुन्नबी बड़े शान ओ शौक़त और अदब ओ एहतराम के साथ मनाया गया, जुलूस का रास्ते भर हार फूलों की बारिशों के साथ भव्य स्वागत होता गया, साथ ही बहुत सी जगहों पर फातिहा ख्वानी व खाने-पीने की सबीलों और लंगर का उम्दा एहतिमाम किया गया था। जूलूस में रास्ते भर आक़ा की शान में नात ख्वानो व आमदे सरकार मरहबा मरहबा, जश्ने ईद मीलाद उन्नी के रूहपरवर नारे बुलंद होते गए। जुलूस में मुख्य रूप से हज़रत सादकैन मियां सकलैनी, हाफ़िज़ गुलाम गौस सकलैनी, मौलाना रूममान कादरी, हमज़ा सकलैनी, गुलाम मुर्तुजा, मुनीफ सकलैनी, मुंतसिब सकलैनी, सलमान सकलैनी, फ़ैज़याब सकलैनी, मौलाना मुखतार सकलैनी, लतीफ़ सकलैनी, आफताब सकलैनी, सरमद सकलैनी, मन्ना सकलैनी, आदि लोग शामिल रहे। जुलूस की व्यवस्था व देख-रेख में हाजी लतीफ सकलैनी, मेराज हसन ख़ान, इंतिज़ार हुसैन, आफ़ताब आलम, सय्यद राशिद सकलैनी, शावेज़ सकलैनी, फैसल सकलैनी, सय्यद आमिर, जमील सकलैनी, राशिद सकलैनी, सय्यद मोहसिन, खुर्रम सकलैनी, मुशाहिद सकलैनी, फरहान सकलैनी, अब्बास सकलैनी, आरिफ़ सकलैनी, रिज़वान सकलैनी, अरशद ख़ान सकलैनी, आदिल सकलैनी, निज़ाम सकलैनी, तनवीर सकलैनी, यावर सकलैनी आदि व्यवस्था संभालने में लगे रहे।




















































































