वेद पुराणों में पुरी उस स्थान को कहते हैं जहां पर मोक्ष की प्राप्ति होती है

बरेली । प्राचीनतम बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में आयोजित श्रीरामचरितमानस कथा का गुणगान करते हुए परम पूज्य कथा व्यास पंडित प्रभाकर त्रिपाठी ने आज सप्तपुरीयों का वर्णन करते हुए बताया कि वेद पुराणों में पुरी उस स्थान को कहते हैं जहां पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा व्यास बताते हैं कि हमारे हिंदू धर्म पुराण के अनुसार सप्त पुरियों का वर्णन मिलता है जोकि मोक्ष प्राप्ति का सबसे उत्तम स्थान माना गया है।यह सभी पुरी भगवान राम के अलग अलग अंगों में विद्यमान है जिसमें चरणों में अवंतिका पुरी, कमर में कांतिपुरी ,नाभि में द्वारिका पुरी, हृदय में मायापुरी, गर्दन में मथुरा पुरी, नाक काशी पुरी तथा मस्तक अयोध्यापुरी है। कथा व्यास कहते हैं कि वास्तव में भगवान राम में सभी देवी देवता समाए हुए हैं और श्री राम का गुणगान तो स्वयं महादेव करते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि राम के नाम को लेने से प्राणी मात्र के सभी दुख दूर हो जाते हैं तथा उसके सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है परंतु उसका एक सीधा सा उपाय यह है कि उसके हृदय का भाव अति निर्मल तथा शुद्ध होना चाहिए। कथा व्यास कहते हैं कि जब हनुमान जी लंका में माता सीता को ढूंढने के लिए जाते हैं तब वहां पर उन्हें कुटिया मिलती है जहां पर भगवान राम के धनुष बाण तथा नाम अंकित होते हैं। कथा व्यास कहते हैं श्री हनुमान जी से जब विभीषण का मिलन होता है तब उनके हृदय प्रेम और आनंद से भर जाते हैं। हनुमान ने विभीषण के ह्रदय में साक्षात भगवान को देखा, और विभीषण हनुमान को साक्षात भगवान के रूप में मानने लगे। हनुमान ने उन्हें अपने दयालु भगवान के पवित्र चरित्र और सीताहरण की घटना को सुनाते हुए, उनके आने का कारण बताया। विभीषण ने कहते कि मैं यहां इस तरह से परेशानी में रहता हूँ जैसे जीभ दांतों के बीच रहती है। क्या प्रभु कभी मुझ अनाथ को अपनाएंगे।मेरी जाति तमोगुणी है। मेरे पास भक्ति का कोई साधन नहीं है।हले मैं यह सोचता था ,के अगर ईश्वर के चरणों में प्रेम नहीं है, तो मैं ईश्वर को पाने की आशा कैसे कर सकता हूं? लेकिन अब तुम्हें देखकर मेरा मन भर रहा है; क्योंकि भगवान की कृपा के बिना, उनके अनुग्रह संत प्रकट नहीं होते हैं। भगवान की कृपा से आप घर आए हैं और मुझे दर्शन दिए हैं। इतना तो तय है कि संतदर्शन ईश्वर से मिलने की निशानी है। कथा व्यास बताते हैं कि हनुमान जी विभीषण से कहते हैं कि आपका इतना गहरा प्रभु के प्रति जो समर्पण भाव है यह दर्शाता है कि आपको अवश्य ही प्रभु के दर्शन और प्रभु की प्राप्ति होगी। कथा व्यास कहते हैं कि प्राणी मात्र का समर्पण तथा उसकी परमात्मा से मिलने की हृदय की भावना अवश्य ही उसको प्रभु की प्राप्ति करा सकती है। इसमें जाति, धर्म और कर्म सभी बहुत शून्य रह जाते हैं। तथा मनुष्य को अपनी भक्ति प्रभु के प्रति इस तरह से लगानी चाहिए कि प्रभु स्वयं अपने भक्तों से मिलने के लिए कोई ना कोई हनुमान स्वरूप अनुपम भक्त उन तक भेजें और अपनी कृपा का पात्र बनाएं। आज की कथा में मंदिर के रामालय में उपस्थित काफी संख्या में भक्तजनों ने श्री रामायण की आरती करी तथा प्रसाद वितरण हुआ।
आज की कथा में मंदिर कमेटी के प्रताप चंद्र सेठ तथा मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल का मुख्य सहयोग रहा।