फर्जी पॉलिसी करा बीमा कंपनी से ले लिया पौने दो करोड का क्लेम, 194 लोगों से जुटाया था पैसा

मुरादाबाद। स्वास्थ्य बीमा कंपनी के कर्मचारी और एजेंटों ने धोखाधड़ी कर पौने दो करोड़ रुपये का क्लेम ले लिया। आरोपियों ने कंपनी में 194 लोगों की फर्जी पॉलिसी कराई और पहली किश्त भी जमा कर दी। इसके बाद उन्हें बीमार दिखाकर क्लेम ले लिया। जांच में घोटाला सामने आया तो कंपनी के शाखा अधिकारी ने मझोला थाने में चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराई है। मझोला क्षेत्र में दिल्ली रोड स्थित बंसल कॉम्प्लेक्स में निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का कार्यालय है। इस कार्यालय में दिल्ली के सुल्तानपुरी निवासी सुमित तिवारी शाखा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। उन्होंने मझोला थाने में मानसरोवर कॉलोनी निवासी भूपेंद्र सिंह, रामपुर जनपद के हाजी नगर करोवा निवासी रायसुल हुसैन, शबाना कंपनी में कर्मचारी हैं। तीनों ने मझोला के बुद्धि विहार निवासी करणवीर सिंह को एजेंट बनाया था। सुमित तिवारी ने बताया कि चारों ने कंपनी से अलग अपना कार्यालय खोल लिया था। चारों ने कंपनी के नाम पर 32 एजेंट बनाए थे। इसके बाद उनके माध्यम से 194 लोगों का बीमा कराया। इसके बाद सभी 194 लोगों की पहली किश्त भी जमा की। इसके बाद बीमाधारकों को बीमार बताकर उनकी रकम निकाली। इसके अलावा कंपनी सैलरी, कमीशन और अन्य सेवाओं का भी लाभ लिया। चारों आरोपियों ने फर्जीवाड़ा करके बीमा कंपनी को एक करोड़ 73 लाख 52 हजार रुपये का चूना लगा दिया। एसपी सिटी अखिलेश भदौरिया ने बताया कि तहरीर के आधार पर आरोपी भूपेंद्र सिंह, रायसुल हुसैन, शबाना और करणवीर सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। विवेचना में जो भी तथ्य सामने आएंगे। उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली के लाजपत नगर स्थित बीमा कंपनी के मुख्यालय से जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया था। मुरादाबाद कार्यालय में 194 लोगों ने क्लेम के लिए दावा किया था। टीम ने दिल्ली से यहां आकर जांच की। बताया जा रहा है कि जिन लोगों के नाम से बीमा पॉलिसी कराई गई थी। उनमें अधिकतर नाम और पते फर्जी निकले। कुछ लोग ऐसे भी मिले, जिन्होंने पॉलिसी कराई थी, लेकिन उन्होंने बीमारी बताकर क्लेम के लिए दावा ही नहीं किया था। टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपी। इसके बाद ही कंपनी की ओर से कार्रवाई के लिए शाखा अधिकारी को निर्देशित किया गया था। सात साल पहले भी मुरादाबाद में बीमा कंपनियों के कर्मचारी और एजेंटों ने फर्जीवाड़ा करके कंपनी को करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया था। आरोपियों ने मृतकों के नाम से पहले बीमा पॉलिसी कराई। पहली और दूसरी किश्तें भी जमा की थी। इसके बाद किसी की मृत्यु एक्सीडेंट तो किसी की बीमार से दिखाई। मृत्यु प्रमाणपत्र लगाकर क्लेम निकाल लिया था। इस मामले में 12 लोग जेल भेजे गए थे।