बदायू में मैथिल कांवड़ यात्रियों का हुआ भव्य स्वागत
बदायूं। गंगोत्री से रामेश्वरम तक की विश्व शांति एवं सद्भावना कांवड़ यात्रा के लिए दरभंगा से निकला आठ मैथिल यात्रियों का दल देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, मुरादाबाद होते हुए 20 वें दिन 500 किलो मीटर की पैदल यात्रा कर बदायूं पहुंचा। शहर के मंदिरों के दर्शन कराने के बाद भव्य स्वागत किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा के नेतृत्व में आठ मैथिल कांवड़ यात्रियों का दल बदायूं पहुंचा। मैथिल यात्रियों ने शहर के प्राचीन बिरूआबाड़ी मंदिर में दर्शन के बाद शाम को श्री शिवदेवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज पहुंचा। एडवाेकेट वीरेंद्र पाल झा ने तिलक लगाया। समाजसेवी सुभाष मैथिल और नत्थू लाल शर्मा फूलमालाएं पहनाकर भव्य स्वागत किया।
आत्मीय परिजन रामनारायण शर्मा, हरिशंकर शर्मा, रघुवीर प्रसाद शर्मा और संजीव शर्मा ने उनको शक्तिकलश भेंट किए। कवि महेश मित्र ने मैथिल यात्रियों के सम्मान में काव्य पाठ किया। वही मणिकांत झा ने मैथिली भाषा में गणेश वंदना की शानदार प्रस्तुति दी। श्री झा ने बताया कि 4 जून को गंगोत्री से यात्रा शुरू की थी। देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, मुराबाद होते हुए 20 वें दिन 500 किलों यात्रा कर बदायूं पहुंचे हैं। रामेश्वरम तक पहुंचने के लिए लगभग 3 हजार किलो मीटर की यात्रा और करनी है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा अनुपम एवं अद्वितीय है कहा कि भक्तिमय वातावरण में पहाड़ की चढ़ना, उतरना, गडंडियों से गुजरना और प्राकृतिक छटाओं को करीब से निहारने का अपना अलग ही आनंद है। जिसे बिना पैदल यात्रा किए हासिल करना असंभव है। जंगल के अनमोल कंदमूल के स्वाद का मजा जहां अद्वितीय है वही जंगली जीव-जंतुओं व जानवरों को करीब से देखने का अवसर भी मिल रहा है। कांवड़ यात्रा में शामिल मैथिल यात्री मैथिल यात्रियों में शुभंकरपुर (दरभंगा) से डा. बासुकि नाथ झा, हरिना, झंझारपुर, (मधुबनी) से चिरंजीव मिश्र व भीषम टोल, कछुआ (दरभंगा) के श्याम राय, रतवार (मुजफ्फरपुर) केे आशुतोष कुमार व रंजीत कुमार झा आदि शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के गंगोत्री से कांवड़ यात्रा आरंभ कर पदयात्री उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के रास्ते तमिलनाडु के रामेश्वरम तक जाएंगे। उन्होंने बताया कि यात्रा के क्रम में कांवड़ यात्री मिथिला की कला संस्कृति, सभ्यता और भाषा आदि को उन लोगों के बीच प्रचारित व प्रसारित करने के साथ ही वहां की कला-संस्कृति आदि से परिचित होंगे। कांवड़ यात्री सुबह शाम कांवड़, मां गंगा की पूजा और आरती करते हैं। इस मौके पर सुभाष मैथिल, नत्थू लाल शर्मा, वीरेंद्र पाल झा, रामनारायण शर्मा, हरिशंकर शर्मा, रघुवीर प्रसाद शर्मा, महेश मित्र, प्रदीप शर्मा, प्रधानाचार्य घनश्याम सिंह आदि ने भव्य स्वागत किया।