बरेली में किला क्रासिंग पर रामपुर रोड तक लंबा पुल एवम अंडरपास शीघ्र बने

                                                                                                                                     बरेली। बरेली में रंगाई पुताई के साथ बिना पेड़ो की जड़ों को नष्ट किए और बिना मार्ग प्रकाश के पुराने किला पुल को सत्य प्रकाश सेतु नाम देकर शुरू करा दिया गया। उसकी आयु अब 5 या 10 साल और बढ़ गई। पर समय रहते इस लाइफलाइन का विकल्प तो तलाशना ही होगा। इसके लिए अब  किला क्रासिंग पर रामपुर रोड तक लंबा पुल एवम अंडरपास शीघ्र बनया जाना बहुत जरूरी हैं ताकि अगले 10 वर्ष बाद नया पुल बन सके। सभी शहरवासी पिछले कई माह से किला पुल बंद होने से परेशान होते रहे थे। बरेली में कुछ माह पूर्व केंद्र सरकार में पूर्व मंत्री एवम सांसद संतोष कुमार गंगवार, विधायक संजीव अग्रवाल ने रेलवे अधिकारियो के साथ शमशान भूमि के प्रस्तावित अंडर पास पर स्थलीय दौरा कर मंत्रणा भी की थी।पर प्रगति अभी धरातल पर नहीं आ पाई है। आज आवश्यकता इस बात की भी है कि किला के नए पुल की डिजाइन इस प्रकार बनाई जाए की उसका एक सिरा सिटी रेलवे स्टेशन से उठ कर किला बाकरगंज होकर रामपुर दिल्ली रोड पर और दूसरा सिरा अलखनाथ मार्ग की रेल लाइन को पार कर इज्जतनगर रोड की ओर बनाया जाए। यही नहीं उस पुल की एक विंग सिटी शमशान घाट या मढ़ी नाथ मार्ग पर भी उतारी जाए। स्मरण रहे बरेली में रामपुर रोड को जोड़ने वाला वर्षो पूर्व बना किला पुल बिना पथ प्रकाश कई खामियों के साथ कई माह बाद सत्य प्रकाश सेतु के रूप में शुरू हो गया। पर इस पुल की आयु कितनी होगी यह उसके लिए आए बजट को ठिकाने लगाकर और खामियां छोड़ने से ही पता चलता है।  हाल में ही बना हार्टमैन पुल भी घटिया निर्माण के चलते उसका सरिया का जाल सीमेंट से बाहर आकर दुर्घटना का निमंत्रण दे रहा है।                                            देश में एक और तेजी से राजमार्ग, उपरिगामी पुल, अंडरपास का जाल बिछाया जा रहा है ताकि मार्ग यातायात में  सुगमता बनी रहे। पर अपने बरेली मंडल की बात की जाए तो यहां आज भी कुतुबखाना पुल निर्माण की गति कछुआ गति से ही चल रही है। उनका वाई शेप डिजाइन नहीं बना है। अन्य आई वी आर आई मार्ग पुल की डिजाइन भी ऐसा जटिल बनाया गया की वह यातायात की सुगमता की बजाए दिग्भर्मित अधिक करता है। अब इसी आई वी आर आई मार्ग पर डेलापीर का पुल भी प्रस्तावित है। मेरे सुझाव पर प्रदेश के वन मंत्री डॉ अरुण कुमार के प्रयास से अब कुछ आगे बढ़ी भी है।  इसके अलावा अब तो महेशपुर रेलवे क्रॉसिंग पुल बनाने की भी फाइल खुल चुकी है। पर सुभाष नगर उपरिगामी पुल की फाइल अभी ठंडे बस्ते में ही पड़ी है। क्योंकि उससे रेलवे को कोई लाभ नहीं है। पत्रकार निर्भय सक्सेना ने किला पर एक लंबा पुल स्मार्ट सिटी योजना में बनबाने के लिए मुख्यमंत्री से मेल भेजकर मांग भी की थी। इसके साथ ही प्रस्तावित डेलापीर पुल के निर्माण के लिए जुलाई 2013 से कई पत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद संतोष कुमार गंगवार, डॉ अरुण कुमार वन मंत्री से भिजवाए थे। मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी जून 2016 पर डाला जिसका नंबर 11150160069643 था जिसे तत्कालीन प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय अनीता सिंह ने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को 24 जून 2016 को प्रेषित किया था। अब कई वर्ष बाद शासन प्रशासन को इसकी 2022 में याद आई है। बरेली की बात की जाए तो  लखनऊ मार्ग का हुलासनागरा पुल हो या बदायूं रोड का लाल फाटक का पुल, जो कई वर्षो से अभी तक बन ही रहा है । अभी भी पता नहीं कब तक चालू हो। यही हाल चौपला का पुल का है जो बीरबल की खिचड़ी की भांति बन रहा है। बदायूं रोड की सुगम यातायात के लिए जब इस पुल को बनाया गया था। पर पुल की गलत डिजाइन के कारण वह समस्या आज भी जस की तस मुख्यमंत्री योगी जी की  सरकार के दूसरे कार्यकाल में बनी हुई है लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मस्त हैं। आज भी यह सुभाष नगर पुल दिन में कई बार जाम का कारण  बनता हैं। चौपला पुल का रिवाइज बजट भी हर बार कम ही पड़ जाता है। सुभाष नगर का प्रस्तावित उपरिगामी पुल का भी कई बार  से नेताओं का आश्वासन ही मिल रहा है। क्योंकि इससे रेलवे  को कोई फायदा नही है इसलिए ही वह पुल रूपी गेंद लोनिवि या राज्य सरकार की ओर वापस कर देता है। रेलवे  अधिकारी अपनी जमीन को ही बचाने में लगे हुए हैं। बदायूं रोड पर करगेना में महेशपुरा रेल क्रॉसिंग पर भी पुल इसलिए जरूरी है की आजकल इस रोड पर ही कई कालोनी का विस्तार भी हो रहा है। अब एक बार फिर से महेशपुर रेल उपरिगामी पुल की फाइल बाहर आ चुकी है। अगर बदायूं रोड से ही मड़ीनाथ या सिटी शमशान मार्ग पर पुल बनाकर जोड़ने की पहल बीजेपी के विधायक सरकार से कर दें तो एक बहुत बड़ी यातायात की समस्या हल हो सकेगी। हार्टमैन पुल भी घटिया निर्माण के चलते उसका सरिया का जाल सीमेंट से बाहर आकर दुर्घटना का निमंत्रण दे रहा है। पर किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।         जिला हॉस्पिटल का फुटओवर पुल भी मरीजों को कितना उपयोगी होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। यह फुट ओवर पुल भी निर्माणाधीन कुतुबखान प्रस्तावित लाइट मेट्रो में भी चौपला पुल की तरह ही बाधक ही बनेगा। बरेली में पुराने चौपला क्रॉसिंग, सिटी शमशान घाट, हार्टमेन रेल क्रॉसिंग पर भी अंडरपास की आज बहुत अधिक जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि जिला परिषद, नगर निगम, विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन एवम जनप्रतिनिधियों की एक कोआर्डिनेशन कमेटी बने। जनप्रतिनिधि भी रेल मंत्रालय से पुल की फाइल की गति बढ़ने में दिलचस्पी भी लें तभी यह कार्य संभव होगा। यही कमेटी जिले के नियोजित विकास के लिए आए सुझावों का गुणदोष के आधार पर चयन करे। इसके लिए पत्रकार निर्भय सक्सेना ने पूर्व में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी को मेल भेज कर हर जिले के नियोजित विकास के लिए यह सुझाव दिया था। बरेली में अनियोजित विकास की कागजी योजनाएं बना कर टैक्स दाताओं से जमा सरकारी धन को  ठिकाने लगाने में स्मार्ट सिटी बरेली के अधिकारी भी पीछे नहीं हैं। बरेली की ही बात की जाए तो एक बार फिर बदायूं रोड को चौपला के अटल सेतु से जोड़ने का मामला फिर  धनराशि के अभाव में अटक गया है। ऐसा कहा जा रहा है। पटेल चौक  रोटरी भी कई बार पूर्व में तोड़ी जा चुकी हैं। पर अभी भी  निर्माण अधूरा ही है। स्मरण रहे जब बदायूं रोड का पुल बन रहा था उस समय भी उसके वाई शेप  में बनाने की जनहित की मांग को उपेक्षित कर दिया गया। बाद में जब उसका रिवाइज बजट बनाया गया तब भी बदायूं रोड को उस से नहीं जोड़ा गया। जब नवनीत सहगल बरेली आए तो उन्होंने इस खामी पर ध्यान इंगित कर बदायूं रोड को स्पान का पुल बनाकर जोड़ने के निर्देश दिए थे अटल सेतु तो बन गया पर बदायूं रोड  अब तक नहीं जुड़ा। यानी समस्या वही की वहीं। अब इसी तरह की गलती  निर्माणाधीन कुतुबखाना उपरिगामी पुल में बार बार डिजाइन बदल कर वास्तविक यातायात समस्या की अनदेखी की जा रही है।  स्मरण रहे बरेली में अब लाइट मेट्रो के मार्ग का विकास प्राधिकरण एवम राइट्स की संयुक्त टीम बीते दिनो सर्वे भी कर चुकी है। केंद्र में नरेंद्र मोदी एवम उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ जी की दूसरी बार की सरकार विकास कार्यों के दम के कारण ही जन विश्वास से बन सकी। स्मार्ट सिटी बरेली में कई वर्षो से लंबित प्रोजेक्ट अभी भी धरातल पर नहीं उतर सके हैं। अभी तक बरेली में नगर निगम का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट भी सत्तारूढ़ दल नेताओ की आपसी खींचतान में ही फंसा हुआ है। अब नगर निगम चुनाव की भी आचार संहिता लग गई हैं।  नगर निगम में बनाए गए नाले नालियां भी अभी तक आपस में नही जोड़े जा सके हैं। बरेली शहर में वाहन पार्किंग समस्या विकराल बनी हुई है।  स्मार्ट सिटी बरेली के कुछ चल रहे बेतरतीब एवम अनियमित कार्यों पर पूर्व सभासद राजेश अग्रवाल भी कई बार अधिकारियों का ध्यान इंगित भी करा चुके हैं। कुतुबखाना पुल निर्माण शुरू हो गया है। अब जरूरत है की  जिला हॉस्पिटल के टी बी हॉस्पिटल के आस पास के गिरताऊ भवन जमीदोज कर जिला महिला हॉस्पिटल की तर्ज पर ही बहुमंजिला भवन बनाया जाए और बांसमंडी का राजकीय आयुर्वेदिक हॉस्पिटल भी इसी परिसर में लाया जाए। ताकि घनी आबादी वाली जनता को सरकारी चिकित्सा का लाभ मिल सके। जिला हॉस्पिटल की कीमती भूमि का भी निजी हॉस्पिटल की तर्ज पर विकास किया जाए। पूर्व मेयर डॉ आई इस तोमर ने पूर्व में पत्रकारों से कहा था कि जब तक जिला परिषद रोड पर कुतुबखाना पुल की रोड नहीं उतरेगी यह कुतुबखाना पुल बेमानी ही साबित होगा। कोहाड़ापीर से कुमार टाकीज के आसपास पुल की विंग उतरने से कोहाड़ापीर की और से आने वाला यातायात जिला हॉस्पिटल कोतवाली के सामने से अपने गंतव्य पर जायेगा। उसी प्रकार कुतुबखाना की दिशा में जाने वाला यातायात नावल्टी चौराहे से उपजा प्रेस क्लब के पास  से मुड़कर इस्लामिया स्कूल होकर  जिला परिषद रोड से होता हुआ पुल की विंग पर चढ़कर कुतुबखाना होकर कोहाड़ापीर पर निकाल दिया जाएगा। भारत की ड्राइविंग भी इसी के अनुकूल है। इससे आमने सामने का टकराव भी बचेगा। इसलिए जरूरी है की जिला परिषद रोड पर भी कुतुबखाना पुल की एक विंग उतारी जानी चाहिए। इससे कुतुबखाना पुल जाम कम करने में सफल होगा । इसके साथ ही बरेली स्मार्ट सिटी में  कुतुबखाना सब्जी मंडी, श्यामगंज सब्जी मंडी, किला, तहसील परिसर में कचहरी में बहुमंजिला मार्केट एवम वाहन पार्किंग की भी आज नितांत जरूरत है। स्मार्ट सिटी बरेली में अब तक जनहित का कोई भी कार्य धरातल पर भी नही उतरा है। स्मार्ट सिटी का दर्जा पाया बरेली शहर आज विकास कार्य के प्रसवकाल में ही है। शहर में बदहाल गड्ढादार सड़कों, चोक नाले नालियो, हर सड़क चोराहे पर जाम, कुतुबखाना उपरिगामी पुल एवम हवा हवाई कूड़ा निस्तारण प्लांट की योजना वाली घोषणाओ के प्रोजेक्ट बनने का ही अभी इंतजार ही कर रहा है। वाहन पार्किंग मोतीपार्क में  बनने से मोतीपार्क काऐतिहासिक स्वरूप ही नष्ट हो गया है जहां देश के बड़े नेताओं की आम सभा होती थीं।  जिला अधिकारी कार्यालय, कचहरी, जेल रोड, कुतुबखाना, कोहाड़ापीर,  सिविल लाइन,श्यामगंज, किला, बड़ा बाजार आदि में भयंकर जाम जैसी स्थिति दिन भर बनी रहती है।                स्मार्ट सिटी में अभी कुतुबखाना सब्जीमंडी में बहुमंजिला वाहन पार्किंग की कोई जगह या योजना भी नही चिन्हित हुई है। लखनऊ के हजरतगंज  के जनपथ की तर्ज पर बहुमंजिला वाहन पार्किंग एवम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनने से कुतुबखाना के पुल से कुछ विस्थापित व्यापारियों को भी स्थान देने में आसानी होगी। झुमका तिराहे  की तरह अब कुतुबखाना घंटाघर भी सजकर तैयार हो गया है।
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