मारबर्ग वायरस कोरोना वायरस का प्रकोप कम नहीं था कि अब मारबर्ग वायरस लोगों को डरा रहा है। तंजानिया , दो कि ईस्ट अफ्रीका का एक देश है, वहां के उत्तर-पश्चिम कागेरा क्षेत्र में 5 लोगों की मारबर्ग वायरस से मौत हो गई है। साथ ही 160 लोग इस वायरस के शिकार हैं। बता दें कि ये इबोला जैसा ही एक वायरस है जो कि चमगादड़ों के द्वारा खाए हुए फलों की वजह से फैलता है। इस बीमारी में गंभीर रक्तस्रावी बुखार जिसे रक्तस्रावी बुखार कहते हैं, ये लोगों को परेशान करता है। इस दौरान नाक से खून आ सकता है और व्यक्ति की स्थति गंभीर हो सकती है। तो, आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से। मारबर्ग वायरस रोग (एमवीडी), जिसे पहले मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार ये बीमारी शुरुआत में राउसेटस फ्रूट बैट्स के जरिए फैली। इस बीमारी की औसत मृत्यु दर लगभग 50% है। वायरस के संपर्क में आने के बाद 2 से 21 दिनों के अंदर लक्षण सामने आने लगते हैं। इसमें लोगों को तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द और नाक से खून आ सकता है। साथ ही गंभीर स्थिति में पेट दर्द, उल्टी, दस्त और ऐंठन महसूस हो सकती है। मारबर्ग वायरस से बचाव के लिए पहले तो किसी भी प्रकार से जूठे फलों के सेवन से बचें। साथ ही लक्षण दिखते ही पानी की मात्रा बढ़ा दें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा फ्लूड का सेवन करें। पर गौर करने वाली बात ये है कि लक्षण नजर आते ही सबसे पहले डॉक्टर के पास जाएं, लक्षणों की जांच करवाएं और फिर इस बीमारी का इलाज करवाएं।