वेदामऊ वैदिक विद्यापीठ का वार्षिकोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया

अपनी संस्कृति की ओर लौटने से ही होगा समाज व देश का विकास: वेदव्रत
गुरूकुल प्रणाली से शिक्षित छात्र बनते हैं देश के आदर्श नागरिक
बदायूं। आज 51 वर्ष पूर्व वसन्त पंचमी के अवसर पर प्रमुख समाजसेवी व संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान आचार्य वेदव्रत आर्य ने संस्कृत महाविद्यालय वेदामऊ वैदिक विद्यापीठ की नींव रखी थी और अपने स्थापना काल से विद्यापीठ ने देश को आदर्श नागरिक देने के साथ ही अनेकों संस्कृत के विद्वान भी दिए।

आज वसन्त पंचमी के अवसर पर महाविद्यालय का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम प्रातःवेला में वैदिक यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य यजमान वर्तमान में महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य वेदमित्र आर्य बने। यज्ञ में विद्यालय के स्टाफ के अतिरिक्त समाज के प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
यज्ञोपरान्त वार्षिकोत्सव का आयोजन प्रारम्भ हुआ जिसमें महाविद्यालयीय छात्र-छात्राओं द्वारा कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गयी जिसे उपस्थित समुदाय द्वारा मुक्तकंठ से सराहा गया।
वार्षिकोत्सव को सम्बोधित करते हुए संस्थापक आचार्य वेदव्रत आर्य ने कहा कि हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था वैदिक प्रणाली के अनुरूप होनी चाहिए तभी समाज व देश का विकास सार्थक रूप से हो सकेगा। अपनी संस्कृति से विलग शिक्षा प्रणाली अपनाने से समाज काफी दूषित हो गया है। आज के समय में शिक्षा व्यवस्था स्वार्थपरक हो गयी है जबकि शिक्षा का समाजपरक होना चाहिए। वैदिक ऋचाओं में सर्वप्रथम कहा गया है कि सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः और आज हम इसी को भूलते जा रहे हैं। हमें फिर से वेदों की ओर लौटना होगा तभी हम अपनी संस्कृति को जीवित रख सकेंगे और पूरे विश्व के सामने अपनी एक अलग पहचान दे सकेंगे।
महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य वेदमित्र आर्य ने कहा कि देश की सरकारें संस्कृत शिक्षा की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही हैं जिस कारण लोग संस्कृत शिक्षा ग्रहण में रूचि नहीं ले पाता है। सरकारों को चाहिए कि वे संस्कृत से शिक्षित लोगों को रोजगार में अलग से अवसर उपलब्ध कराये ताकि संस्कृत शिक्षा की ओर लोगों का रूझान बढ़ सके। उन्होंने संकल्प लिया कि वे महाविद्यालय के माध्यम से देश को शिक्षित व संस्कारित नागरिक प्रदान करने का कार्य लगातार करते रहेंगे।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रवक्ता आचार्य शिवसिंह यादव, सर्वेश कुमार गुप्ता, महेन्द्र सिंह यादव एवं गुरूकुल महाविद्यालय सूर्यकुण्ड के प्राचार्य आचार्य वेदरत्न आर्य, प्रवक्ता वेदभानु आर्य, वेदवीर आर्य, मुकेश सिंह, वेदप्रिय आर्य, श्रीमती शकुन गुप्ता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन वेदवीर आर्य ने किया।
इस अवसर पर वीरेन्द्र प्रकाश गुप्ता, ओमशरण आर्य, रमेश चन्द्र गुप्ता, विनोद बाबू, सत्येन्द्र प्रकाश, सियाराम आर्य, प्रमोद कांत गुप्ता, राजेश्वर गुप्ता, सुशील कुमार, श्यामपाल शास्त्री, राकेन्द्र यादव आदि लोगों ने भाग लिया।
कार्यक्रमोपरान्त प्रसाद रूप में भण्डारे का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय परिवार सहित पूरे जनपद से पधारे लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।