छत्तीसगढ़ के सेंट्रल हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ” (चैम्फ) को मिला स्वामीनाथन इंडिया एग्री बिज़नेस अवार्ड्स-2022
दीपक कुमार त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार
दिल्ली। औषधीय तथा सुगंधित पौधों की खेती हेतु देश का पहला “स्वामीनाथन इंडिया एग्री बिजनेस अवार्ड्स-2022” इसी 9 नवंबर को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पूसा के शिंदे आगरा ऑडिटोरियम में भारतीय कृषि तथा खाद्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित एक भव्य अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम “एग्रोवर्ल्ड -2022” में प्रदान किया गया। यह प्रतिष्ठित अवार्ड देश के कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान, डॉ. विलियम डार पू. कृषि-सचिव, फिलीपींस, के हाथों, डॉ.अशोक दलवई अध्यक्ष किसानों की आय दोगुनी करने हेतु गठित भारत सरकार की टास्क फोर्स, प्रोफेसर रमेश चांद सदस्य नीति आयोग, हरियाणा के कृषि मंत्री श्री दलाल, एम.मुथू अध्यक्ष रोमन फोरम रोम इटली, डॉ एमजे ख़ान चेयरमैन इंडियन चेंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर आदि की उपस्थिति में चैम्फ के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ राजाराम त्रिपाठी को प्रदान किया गया।
क्या है चैम्फ:- चैम्फ मुख्य रूप से जैविक औषधीय तथा सुगंधीय पौधों के किसानों की अलाभकारी राष्ट्रीय संस्था है जो कि मूलतः सहकारिता के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसकी विधिवत शुरुआत सन 2002 में छत्तीसगढ़ से हुई। पूरे देश में यह संस्था जैविक, हर्बल खेती के विकास, विस्तार,नवाचार , प्रशिक्षण, किसानों के लिए किसानों के द्वारा उच्च गुणवत्ता के बीज तथा प्लांटिंग मैटेरियल बैंक के विकास के कार्यों में लगातार लगी हुई है। इस संस्था का सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने सदस्य किसानों के द्वारा उगाए गए जैविक उत्पादों को एक सशक्त साझा विपणन प्लेटफार्म देना है। जिससे कि जैविक जड़ी बूटियों, सुगंधीय पौधों, मसालों की खेती करने वाले किसानों को उनके कृषि उत्पादों का सही मूल्य प्राप्त हो सके और उन्हें बिचौलियों तथा बाजार की ताकतों के शोषण से बचाया जा सके। वर्तमान में इस संस्था से देश के 16 राज्यों के लगभग 34000 जैविक किसान सीधे जुड़े हुए हैं ,तथा इसके जैविक जागरूकता तथा उच्च लाभदायक कृषि विस्तार के कार्यक्रमों से देश के लाखों किसान लाभ उठा रहे हैं। इसके राष्ट्रव्यापी कार्यों के महत्व को देखते हुए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने सन 2005 में इस संस्था को जैविक किसानों की राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्रदान की। आज यह अपने तरह की जैविक हर्बल किसानों की देश की सबसे बड़ी संस्था है। देश का कोई भी किसान इनकी वेबसाइट www.chamf.org से जुड़कर औषधीय सुगंधीय तथा उच्च लाभदायक खेती अपने उत्पादों के विपणन के बारे में निशुल्क जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बस्तर तथा छत्तीसगढ़ के लिए यह विशेष हर्ष का विषय है कि अवार्ड हेतु चयनित इस राष्ट्रीय संस्था की शुरुआत छत्तीसगढ़ के कोंडागांव बस्तर के किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा ही किया गया था। डॉक्टर त्रिपाठी ने हर्बल की खेती की ढेर सारी परेशानियों तथा मुख्य रूप से इसके विपणन में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए अपने मुट्ठी पर किसान साथियों के साथ बहुत ही सीमित साधनों से इसकी शुरुआत की थी। 20 वर्षों के बाद वहीं नन्ही सी संस्था एक विशाल वटवृक्ष में बदल गई है। क्योंकि इस संस्था का जन्म छत्तीसगढ़ के बस्तर से हुआ इसलिए चैम्फ को यह शीर्ष पुरस्कार प्राप्त होने से से देश भर में फैले चैम्फ के सदस्यों के साथ ही छत्तीसगढ़ तथा विशेष रूप से बस्तर के लोगों में भी बड़ा हर्ष व्याप्त है। इसके साथ ही देश विदेश से भी बधाई संदेश आ रहे हैं।
डॉ रमेश चंद सदस्य ‘नीति आयोग’ की अध्यक्षता में संपन्न 15 सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त जूरी की बैठक की समाप्ति के उपरांत देश के प्रथम ” स्वामीनाथन इंडिया एग्री बिजनेस अवार्ड्स 2022″ * के *औषधीय तथा सुगंधित पौधों की कृषि तथा विकास की श्रेणी में में इस शीर्ष पुरस्कार हेतु “सेंट्रल हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया(चैम्फ) का चयन किया गया था।
*’चैम्फ’ के अलावा अवार्ड की अन्य श्रेणियों में कृषि विकास हेतु अग्रणी राज्य के रूप में हरियाणा प्रदेश को , उन्नत बीज हेतु आंध्र प्रदेश राज्य बीज विकास निगम लिमिटेड को, कृषि वित्त पोषण हेतु उड़ीसा सहकारी बैंक को, कृषि मशीनरी हेतु शक्तिमान एग्रो को देरी उद्योग में आनंद डेयरी, कृषि विकास हेतु आईटीसी लिमिटेड को तथा देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि जिला हेतु राजस्थान के बिजनौर जिले को भी यह अवार्ड प्रदान किया गया।
डॉक्टर त्रिपाठी ने अपना अवार्ड अपनी जन्म भूमि तथा कर्म भूमि बस्तर छत्तीसगढ़ को तथा चैम्फ के समस्त जैविक हर्बल किसानों को समर्पित करते हुए कहा कि भले ही हमें यहां तक पहुंचने में भले ही 22 साल लग गए, पर हमने सिद्ध कर दिया कि भारत की टिकाऊ खेती तथा किसानों की दूरगामी समृद्धि के लिए यही रास्ता अपेक्षाकृत ज्यादा मुफीद और कम जोखिम पूर्ण है। विश्व गुरु बनने अथवा ग्लोबल मार्केट में अपनी धमक बढ़ाने का रास्ता इन्हीं औषधीय तथा सुगंधी पौधों की खेतों के बीच से होकर गुजरता है।