बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रायपुर बुजुर्ग में प्राथमिक स्कूल के निकट चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक शिशुपाल सिन्धु सदाचारी ने ध्रुव की भक्ति और कन्हा के जन्म की कथा को सुनकर सभी लोग भाव विभोर हो उठे। कथावाचक ने ध्रुव जैसी भक्ति से ही भगवान मिलते है। भगवान से मिलना आसान नहीं होता। उनको पाने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है। उन्होने कहा कि कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे। देवकी कंस की बहन थी। कंस एक अत्याचारी राजा था। उसने आकाशवाणी सुनी थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा। इससे बचने के लिए कंस ने देवकी और वासुदेव को मथुरा के कारागार में डाल दिया। मथुरा के कारागार में ही भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उनका जन्म हुआ। कंस के डर से वासुदेव ने नवजात बालक को रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। गोकुल में उनका लालन-पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता-पिता थे। बाल्यावस्था में ही उन्होंने बड़े-बड़े कार्य किए जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। अपने जन्म के कुछ समय बाद ही कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का वध किया। कथा वाचक ने कहा कि भक्ति से ही मुक्ति मिलती है। भगवान से मिलने का कोई न कोई बहाना ढूंढते रहना चाहिए। प्रभु की भक्ति वैराग्य विचार ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। इस मौके पर गजेंद्र पाल सिंह, विशाल सिंह, जीवाराम, रवि सागर, दरयाव सिंह, रामविलास, प्रेमपाल सिंह आदि मौजूद रहे।