गुरु हमेशा अंधेरा दूर कर छात्रों को प्रकाशवान बनाता है
ट्रिपल एस एकेडमी अयोध्यादास महाराज ने दिया प्रवचन
बिल्सी। नगर के खैरी रोड स्थित ट्रिपल एस एकेडमी में ऋषिकेश से पधारे कथावाचक अयोध्यादास रामायणी ने यहां के बीच रामकथा का सुनाते हुए कहा कि हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। यानी पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ पुरुष और विद्वानों का भी मानना है कि अगर आप जीवन में महान बनना चाहते हैं तो श्रीराम द्वारा दी गई नैतिक शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार लें। त्रेता युग में भगवान विष्णु का अवतार होने के बावजूद श्रीराम ने कहीं भी ईश्वरत्व का प्रदर्शन नहीं किया। उनमें अहंकार, कामी, लोभी, अथवा शाही ठाठ-बाट जैसी बातें कभी कहीं सुनी या पढ़ी नहीं गई। लेकिन क्या आप जानते है प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है। अगर नहीं जानते तो आइए जानते है। हमने रामायण में देखा है कि श्रीराम किशोरावस्था में थे तो विश्वामित्र ने राजा दशरथ से विनय किया कि उनके आश्रम में राक्षस यज्ञों में खलल डाल रहे हैं और श्रीराम को हमारी सुरक्षा के लिए आश्रम भेजें। राजा दशरथ ने विश्वामित्र से कहा कि ये बच्चे अभी नाजुक उम्र के हैं। महाबलवान राक्षसों से कैसे आपकी रक्षा कर सकेंगे तब श्रीराम ने शौर्य के साथ पिता से कहा कि उन्हें आश्रम जाने की इजाजत दें। हम क्षत्रिय का जन्म आतताइयों से पृथ्वी को मुक्त कराना है। इसके बाद श्रीराम महाबलशाली राक्षसों का संहार कर ऋषि-मुनियों की रक्षा की। उन्होने कहा कि प्रभु श्रीराम से एक बात और सीखी जा सकती है कि उन्होंने अपने पिता की हर आज्ञा को सर झुकाकर स्वीकारा किया। जब उनके राजतिलक की तैयारी चल रही थी, तो पति दशरथ से मिले वरदान स्वरूप माता कैकेयी ने भरत को सिंहासन और श्रीराम को वनवास भेजने की मांग की तो राजा दशरथ किंकर्तव्य विमूढ़ हो गए। पुत्र श्रीराम पिता के मूक आदेश का सम्मान करते हुए पत्नी सीता और लक्ष्मण के साथ खुशी-खुशी वनवास के लिए चले गए। गुरु का सम्मान ही व्यक्ति को महान बनाता है। भगवान श्रीराम की विश्वामित्र से लेकर महर्षि वशिष्ठ तक के प्रति अपार भक्ति और आस्था की कहानियां सुनने को मिलती है। श्रीराम ने उन्हें हमेशा भगवान की तरह पूजा और सम्मान किया है। रामायण में भी लिखा है कि श्रीराम ने एक बार लक्ष्मण से कहा था कि गुरु की जीवन में वही भूमिका होती है जो अंधेरे में रोशनी की होती है। राम ने हमेशा हर जाति-धर्म के लोगों का सम्मान किया। इस मौके पर प्रबंधक रजनीश कुमार शर्मा, मीनाक्षी शर्मा, लोकेश बाबू, सुवीन माहेश्वरी, राजीव कुमार, आशीष वशिष्ठ, दीपक माहेश्वरी, नरेंद्र गरल, लालाराम शर्मा, शिवम शर्मा आदि मौजूद रहे।