बरेली में राज्यपाल ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में मेधावियों को सम्मानित किया
बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में गुरुवार को 23वां दीक्षांत समारोह भव्य रूप से आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने की। कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्य अतिथि आईआईटी रोपड़, पंजाब के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्य मंत्री रजनी तिवारी सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सदस्य उपस्थित रहे।

कुलपति प्रो. के.पी. सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि सत्र 2024-25 में विश्वविद्यालय को NAAC से 3.6 स्कोर के साथ A ग्रेड तथा यूजीसी से श्रेणी-1 का दर्जा प्राप्त हुआ है। केंद्र सरकार की पीएम उषा परियोजना के तहत विश्वविद्यालय को 100 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है, जिससे बुनियादी ढांचे और शोध कार्यों को मजबूती दी जा रही है। विश्वविद्यालय को ANRE-PAIR परियोजना और रुहेलखंड इनक्यूबेशन फाउंडेशन के तहत 10-10 करोड़ रुपये का अनुदान भी मिला है।

विश्वविद्यालय ने इस वर्ष स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप में अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर राज्यपाल ने स्वर्ण जयंती द्वार, योग बाटिका और क्रिकेट स्टेडियम का वर्चुअल उद्घाटन किया। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ने ब्लॉकचेन प्रणाली लागू कर विद्यार्थियों की डिग्री, मार्कशीट और प्रमाणपत्रों को डिजिटली सुरक्षित किया है। इस तकनीक से छात्रों को देश-विदेश में दस्तावेज सत्यापन में आसानी होगी।

कुलपति ने बताया कि सत्र 2024-25 में विश्वविद्यालय ने 44 विषयों में 110 पीएचडी पूरी कराई हैं। शोधगंगा वेबसाइट पर अब तक 1748 थीसिस अपलोड की जा चुकी हैं। विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कई रजत और कांस्य पदक हासिल किए हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विवेकानंद और सरदार पटेल के आदर्श विद्यार्थियों को प्रेरणा देते हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, संस्कार भी देती है।
मुख्य अतिथि प्रो. राजीव आहूजा ने कहा कि छात्रों को सतत परिश्रम कर वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप अपने कौशल को विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को शोध और प्रयोगशालाओं के विस्तार पर ध्यान देना चाहिए जिससे नए शोधार्थियों को प्रोत्साहन मिले। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है और छात्रों को अपने ज्ञान का उपयोग समाज के उत्थान में करना चाहिए। उन्होंने पूर्व छात्र एवं झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया और प्राथमिक विद्यालयों के लिए पुस्तकों का विमोचन किया। राज्यपाल ने वंदेमातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर शैक्षणिक संस्थानों में इसके गायन को प्रोत्साहित करने की बात कही और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उनके आदर्शों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। समारोह के अंत में कुल 94 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 111 को पीएचडी उपाधि प्रदान की गई। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।




















































































