सीता राम विवाह तो एक है अर्थात चार प्रकार से विवाह हुआ

बरेली। प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर के श्री रामालय में आयोजित श्रीरामचरितमानस कथा के आज पंचम दिवस परम पूज्य कथा व्यास पंडित प्रभाकर त्रिपाठी ने कहा कि मिथिला पुरी अर्थात माता सीता अवधपुरी अर्थात प्रभु राम के लिए श्रंगार स्वरूप हैं और इसी प्रकार अवधपुरी आधार स्वरूप है मिथिला पुरी के लिए। प्रभु श्री राम पूर्ण होते हैं माता सीता को प्राप्त करके और इसी प्रकार माता सीता पूर्ण होती हैं प्रभु श्री राम को प्राप्त करके।और इन दोनों के मिलन से सृष्टि की पूर्णता हो पाती है। था व्यास कहते हैं कि प्रभु श्री राम ज्ञान स्वरूप है और माता सीता भक्ति स्वरूप हैं। जब ज्ञान और भक्ति मिलते हैं तभी मानव जीवन में विनम्रता आ सकती है।ज्ञान के साथ यदि भक्ति न हो तब वह अभिमान का घोतक होता है और इसी प्रकार भक्ति हो परंतु ज्ञान न हो तब वह आडंबर और ढोंग बन कर मनुष्य को जीवन के गलत मार्ग पर चलने के लिए विवश कर देता है कथा व्यास श्री सीताराम विवाह का आध्यात्मिक वर्णन करते हुए बताते हैं कि सीता राम विवाह तो एक है परन्तु इसमें चार विभाग हैं अर्थात चार प्रकार से विवाह हुआ।वह है मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार के द्वारा। कथा व्यास कहते हैं कि प्रथम विवाह अर्थात समर्पण जब माता सीता का प्रभु से फुलवारी में मिलन होता है वह है मन का समर्पण।यहां जगजननी ने परमात्मा को मन से वरण कर लिया और अपना मन प्रभु को सौंप दिया। कथा व्यास कहते हैं कि दूसरा समर्पण रूपी विवाह है बुद्धि के द्वारा समर्पण जिसमें जनक जी द्वार की हुई सीता विवाह की प्रतीज्ञा पूरी हुई और सीता जी का विवाह राम जी से संभव हुआ।
कथा व्यास कहते हैं कि तीसरा है चित्त का समर्पण जिसमें माता सीता प्रभु श्रीराम के गले में वरमाला डालती हैं। कथा व्यास कहते हैं कि चतुर्थ है अहंकार का समर्पण।जब श्रीराम धनुष भंग करके सीता जी का वरण करते हैं।यहां तात्पर्य है कि सीता जी जोकि शक्ति स्वरूपा हैं वह संसार के स्वामी की पहले से ही हैं परंतु राजा जनक प्रभु की अर्धांगिनी को प्रभु को सौंप कर अहंकार त्याग करके कह रहे हों कि “तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा” यहां प्रभु के प्रति अहंकार का विसर्जन है।
कथा व्यास कहते हैं कि मुख्य बात है कि यदि प्राणी मात्र यदि प्रभु प्राप्ति चाहते हैं तब चारों मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार को त्याग करना होगा। आज की कथा में मंदिर के रामालय में उपस्थित काफी संख्या में भक्तजनों ने श्री रामायण की आरती करी तथा प्रसाद वितरण हुआ। आज की कथा में मंदिर कमेटी के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल,सुभाष मेहरा का मुख्य सहयोग रहा।