1.29 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा, ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिये लूटने वाले गिरोह के दो आरोपी गिरफ्तार

बरेली। साइबर क्राइम नियंत्रण के लिए गठित टीम ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए ‘डिजिटल अरेस्ट’ तकनीक से 1.29 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले संगठित साइबर अपराध गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को मिर्जापुर जनपद से गिरफ्तार किया है। इस ठगी की शिकार एक पीड़ित की शिकायत पर साइबर थाना बरेली में मामला दर्ज किया गया था। पीड़ित शुकदेव नंदी, निवासी आरवीआरआई कैम्पस, इज्जतनगर, बरेली को फर्जी पुलिस/सीबीआई अधिकारी बनकर व्हाट्सएप और वीडियो कॉल के जरिए 17 से 20 जून 2025 तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में लिया गया। आरोपियों ने पीड़ित को आधार कार्ड से जुड़े फर्जी आरोपों, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और फाइनेंशियल फ्रॉड का डर दिखाकर ₹1.29 करोड़ की राशि तीन बैंक खातों में RTGS के माध्यम से ट्रांसफर करवाई। डिजिटल अरेस्ट क्या है? यह कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली धोखाधड़ी की तकनीक है। इसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए व्यक्ति को डरा-धमका कर वीडियो कॉल पर हिरासत में लेने जैसा माहौल बनाते हैं और आर्थिक ठगी करते हैं। अपराध का तरीका गिरफ्तार अभियुक्त विभिन्न व्यक्तियों से कमीशन पर बैंक खाते लेकर उनका उपयोग गिरोह के माध्यम से पीड़ितों से धन हड़पने में करते थे। राशि को 125 विभिन्न खातों में बाँटकर, अंततः क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर गिरोह के वॉलेट्स में ट्रांसफर किया जाता था। गिरफ्तार अभियुक्तों में दीपू पाण्डेय निवासी जमालपुर, मिर्जापुर; शिक्षा B.A. , शुभम यादव निवासी भदावल, मिर्जापुर; शिक्षा आठवीं पास, वाराणसी में जंबो बैग कंपनी में कार्यरत। इनलोगों के पास से एक आईफोन 14, 1 एंड्रॉइड मोबाइल ,3 एटीएम कार्ड बरामद किए हैं गिरफ्तार करने बाली पुलिस टीम में प्रनि दिनेश कुमार शर्मा , हेका बिलिश कुमार, हेका हरेन्द्र कुमार, का अंकुल सिंह उपस्थित थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह अंतरराज्यीय साइबर गैंग देश के कई राज्यों दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सक्रिय है। गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।