बरेली : भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें किसानों और प्रदेश की खुशहाली के लिए कई गंभीर समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि अखबारों में छपे बयानों में किसानों के हित में योजनाओं की बात स्वागत योग्य है, लेकिन अभी तक किसान तानाशाही और सिस्टम की खामियों के कारण खुशहाल नहीं हो पाए हैं। छोटी-छोटी समस्याओं के लिए किसानों को थानों और तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं, फिर भी वर्षों तक समाधान नहीं होता। रात भर जागकर फसलों को आवारा पशुओं और बंदरों से बचाने के बावजूद, थोड़ी सी चूक से फसलें नष्ट हो जाती हैं, जिससे हताश होकर कई किसान आत्महत्या कर लेते हैं। ज्ञापन थाना दिवस, तहसील दिवस और जन सुनवाई को महज दिखावा बताया गया है, जहां समस्याओं का निदान कम ही होता है। अधिकारियों के कार्यालय छोड़कर इन आयोजनों में शामिल होने से फरियादी भटकते रहते हैं। यूनियन ने सुझाव दिया कि इन आयोजनों को खत्म कर अधिकारियों को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक कार्यालय में बैठकर तत्काल समाधान करना चाहिए। सबसे जटिल समस्या आवारा पशु, बंदर, नीलगाय और जंगली सुअर को बताया गया। इसके लिए गंगा किनारे तारबंदी कर गौशालाएं और चारागाह बनाने, बंदरों को पकड़कर उनके लिए हॉस्टल बनाने और नीलगाय व जंगली सुअरों को नष्ट करने के लिए शासनादेश का पालन करने की मांग की गई। साथ ही, किसानों को फसलों की सुरक्षा के लिए वैध शस्त्र लाइसेंस और शूटिंग परमिट देने की अपील की गई। इसके अलावा, आवारा सांडों, चोरों और डकैतों से फसलों की रखवाली के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के वारिसों को एक माह के शस्त्र लाइसेंस देने की मांग भी उठाई गई। यूनियन ने चेतावनी दी कि यदि ये मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसानों का आर्थिक संकट और गहरा सकता है।