मिनी कुंभ ककोड़ा मेला में तंबुओं का अस्थाई शहर बसने लगा,श्रद्धालुओं की रफ्तार बढ़ी

ककोड़ा मेला: बदायूं में गंगा तट पर बसा तंबुओं का नगर, श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी
बदायूं के कादरचौक में श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र ककोड़ा मेला पूरी तरह से तैयार हो चुका है। मां गंगा की आस्था श्रद्धालुओं को गंगा तीरे खींचकर ला रही है। मेले में परिवार सहित स्नान कर श्रद्धालु सूर्य भगवान की उपासना कर रहे हैं। 15 दिन चलने वाले इस मेले में दूरदराज से लोग अपना पूरा साजो-सामान लेकर पहुंच गए हैं। वह मनोरंजन के लिए संगीत का भी सामान साथ लेकर आए हैं। जिला पंचायत की ओर से लोगों के रुकने के लिए चार रैन बसेरे भी बनाए जाएंगे। प्रत्येक रैन बसेरा में करीब 60 लोगों के ठहरने की व्यवस्था रहेगी। रैन बसेरा के पास ही एक-एक एलईडी लगाई जाएगी। उस पर मेला में होने वाले कार्यक्रम का लाइव दिखाया जाएगा ताकि लोग कार्यक्रमों का भी आनंद ले सकें। ककोड़ा मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पंडाल लगाया जा रहा है।

वहां कठपुतली, काला जादू आदि के कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा तीन दिवसीय रासलीला का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं विभागों की ओर से अपने-अपने पंडाल लगाए जाएंगे। जिन पर वह विभाग की योजनाओं की जानकारी देंगे। मेले में पहले की अपेक्षा अब कम गतिविधियां होने लगी है। पहले हाथी दौड़ और घुड़दौड़ भी होती थी। इसे कई साल पहले ही बंद किया जा चुका है। इसके अलावा आल्हा उदल, राजा हरिश्चंद्र आदि नाटकों का मंचन होता था। मंडल की कई नामचीन नाटक मंडली आतीं थीं, लेकिन अब नाटकों का मंचन बंद हो गया है। मूंछ प्रतियोगिता भी अब नहीं कराई जाती है। जिला पंचायत की ओर से अभी चेंजिंग रूम नहीं बने है। वहां पर केवल एक-दो ही चेंजिंग रूम बनाए। ऐसे में स्नान करने के बाद में लोगों को कपड़े बदलने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। गंगा की बहती धार को लेकर अब भी असमंजस ककोड़ा मेला में मुख्य घाट तक गंगा की बहती धार को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बरकरार है।

अगर 10,000 क्यूसेक से पानी कम होता है तो जिला पंचायत की ओर से छह जेसीबी लगाकर गंगा की खोदाई करने का भी कोई फायदा नहीं निकलेगा। पिछले तीन दिन से गंगा का जलस्तर लगातार कम होता जा रहा है। फिलहाल गंगा का जो स्तर अभी है उसके अनुसार सोमवार सुबह तक मुख्य घाट पर गंगा की बहती धार पहुंचना शुरू हो सकती है।मिनी कुंभ के नाम से प्रख्यात ककोड़ा मेला आठ नवंबर से औपचारिक रूप से शुरू हो चुका है। वहीं श्रद्धालुओं ने पहुंचकर गंगा में स्नान करना भी शुरू कर दिया है। 14 नवंबर को ककोड़ा मेले का उद्घाटन और 15 को कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान है। ऐसे में मेला के मुख्य घाट तक गंगा की बहती हुई धार पहुंच जाए, इसके लिए जिला पंचायत काफी प्रयास कर रहा है।जिला पंचायत की ओर से छह जेसीबी से लगातार गंगा की खोदाई करवाई जा रही है, ताकि मेला के मुख्य घाट पर गंगा की बहती हुई धार निकलती रहे। पिछले तीन दिन की बात करें तो आठ नवंबर को 12,860 क्यूसेक, नौ नवंबर को 11860 क्यूसेक, 10 नवंबर को 11381 क्यूसेक पानी चल रहा है। अगर गंगा का जलस्तर ऐसे ही लगातार कम होता रहा तो आने वाले दिनों में दिक्कत हो सकती है।