सहसवान । कोरोना संकट की घडी में लोगों रोजगार पुरी तरह से छिन गए है।इस घडी में गरीब और गरीब होता जा रहा है। धनवान और धनवान होता जा रहा है। गरीब की कोई सुध लेने वाला नही जो लोग बेरोजगारी के दम भर रहे है। जैसे तैसे कर के छोटी मोटी दुकान खोल कर अपनी रोजी रोटी चला रहे थे। ऐसे लोगों की दुकानदारी पुर्णरुप से कोरोना के चलते जिला प्रशासन द्वारा पुर्णरुप बंद करवा दी गई है। ऐसे लोगों का परिवार का भरण पोषण केसे होगा। प्रशासन महामारी को रोकने मे लगा हुआ है । पुलिस प्रशासन मुस्तैदी से अपनी डयूटी निभा रहे है। किसी जरुरतमंद को कोई किराना व्यापारी दुकान खोलकर समान उपलब्ध करवाता है। तो पुलिस उसे पकड कर ले जाती है। ओर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसके डर से कोई छोटा व्यापारी अपनी दुकान खोलने की हिम्मत नही करता। लाँकडाउन में हर समान का मुल्य बढ गया है। गर्मी का प्रकोप तेज है कुलर, पखें के बिना घरों में रहना मुश्किल हो रहा है। किसी का कुलर पंखा खराब हो जाता है तो कारीगर मिलना मुश्किल हो रहा है। लाँकडाउन के समय में इलेक्ट्रॉनिक दुकानदार मन माफिक पैसा मांग रहे है। कोरोना की घडी में लोग हर तरह से परेशान है। उनकी परेशानी का कोई समझने वाला नही। कोरोना काल में जो लोग सरकारी नौकरी कर रहे है। वह बिना डयूटी करे ही शासकीय खजाने से तन्खाह ले रहे है। ओर इस संकट की घडी में अपने परिवार का भरण पोषण सही तरीक़े से कर रहे है। ओर जो लोग रोजाना मेहनत करते है। उनके काम धन्धे बंद हो गए है। ऐसे लोगों को कौन तन्खाह दे रहा है। ऐसे लोगों का परिवार हर तरीक़े से संकट की घडी से गुजर रहा है। कोविड 19 की दुसरी लहर का भय इतना है कि जाने अनजाने कोई किसी के घर चला जाए तो उस घर वाले की सांसे फुलने लग जाती है। पडोसी पडोसी को घर बैठाने से डरता है। गरीब जाये तो जाये कहाँ प्रशासन पूरी मुस्तेदी से लोगो को इस महामारी बचाने नियमो का पालन कराने मे लगा हुआ है । लोग पालन कर भी लेकिन पेट की आग गरीब मजबूर कर रही है । नियमो का पालन करें मास्क अवश्य लगाएँ जरूरी न हो तो घरों से बाहर न आए ।