नई दिल्ली। केरल में एक दुर्लभ संक्रामक बीमारी के कारण 14 वर्षीय लड़के की मृत्यु हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लड़का कथित तौर पर कोझिकोड़ के एक तालाब में कुछ दिनों पहले नहाने गया था जहां से उसे दिमाग को खाने वाले खतरनाक अमीबा का संक्रमण हो गया। इस दुर्लभ और खतरनाक संक्रामक बीमारी कोप्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस कहा जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं, प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) मस्तिष्क की एक दुर्लभ और घातक संक्रामक बीमारी है, ये आमतौर पर दूषित पानी के संपर्क में आने के कारण होता है।गौरतलब है कि पिछले दो महीने में इस संक्रमण से केरल में होने वाली ये तीसरी मौत है। इससे पहले मई-जून के महीने में भी दो लड़कियों की मौत हो गई थी। आमतौर पर “दिमाग खाने वाले अमीबा” के नाम से जाने जाना वाला ये संक्रमण नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है। यह संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम), नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा के संक्रमण के कारण होती है। यह संक्रमण मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट करने लगता है जिससे ज्यादातर मामलों में मस्तिष्क में गंभीर सूजन और मृत्यु हो जाती है। आंकड़ों से पता चलता है कि वैसे तो पीएएम दुर्लभ है पर ये आमतौर पर स्वस्थ बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों में हो सकता है। संक्रमण की आशंका तब अधिक हो सकती है जब दूषित पानी नाक में प्रवेश कर जाता है। पानी में गोते लगाने वाले लोगों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है। अध्ययन की रिपोर्ट से पता चलता है कि संक्रमितों में शुरुआती लक्षण आमतौर पर फ्लू की तरह (जैसे सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी) होते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है इसके कारण होने वाली समस्याओं के बढ़ने का खतरा अधिक हो जाता है। इस स्थिति में गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे पड़ने, कोमा जैसी मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं का खतरा भी हो सकता है। ये लक्षण आमतौर पर दूषित पानी के संपर्क में आने के एक से 12 दिनों के भीतर शुरू होते हैं। लक्षण तेजी से विकसित हो सकते हैं और पांच से 18 दिनों के भीतर संक्रमण घातक हो सकता है।केरल में बढ़ते इस संक्रामक रोग को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सावधान करते हुए कहा, बच्चों को तालाब या ठहरे हुए पानी में नहाने से बचना चाहिए। स्विमिंग पूल और वाटर थीम पार्क में पानी को नियमित रूप से क्लोरीनेट करते रहना भी जरूरी है। दूषित पानी के संपर्क में आने के कारण इस संक्रमण का खतरा होता है।