लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह व महामंत्री राम बाबू शास्त्री ने कहा कि भारत सरकार कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए आठवें वेतन आयोग का गठन करे। देश में पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू किया जाय। समझौते के मुताबिक राज्य सरकार भी केंद्र सरकार की कर्मचारियों के संदर्भ में की गई घोषणाओं को उत्तर प्रदेश में यथावत लागू करे किंतु राज्य सरकार इस समझौते का पालन नहीं कर रही है।कहा कि केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ता (डीए) 50% तक पहुंचने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी सीमा बढ़ा दी है। 1 जनवरी, 2024 से सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 25% बढ़ाकर 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये कर दी गई है किंतु राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के लिए इसकी घोषणा अभी तक नही की। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों का आवासीय भत्ता भी 10,15 व 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया किंतु उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए कुछ भी नही किया।उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल 2005 के पूर्व विज्ञापित पदों पर बाद में नियुक्ति पाए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने के लिए केंद्र व अनेक राज्य सरकारों ने सहमति दे दी है किंतु उत्तर प्रदेश इस संदर्भ में अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है जिससे आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनपीएस ने राज्य कर्मचारियों का भविष्य अंधकार मय कर दिया है, इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए। एनपीएस घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी रिपोर्ट को प्रदेश सरकार दबा रही है। एनपीएस कटौती का रुपया कहा जा रहा है कर्मचारियों को पता नही चल पा रहा है। राज्य सरकार एनपीएस का राज्यांश बजट समय से देने में असफल है, जिससे आक्रोश बढ़ रहा है।तदर्थ शिक्षकों के संदर्भ में जारी 9 नवंबर 2023 के आदेश को उच्च न्यायालय द्वारा स्थगित करने के वावजूद भी वेतन नही दिया जा रहा है। न्यायालय ने अनेक निर्णय में कहा है कि मामले में अंतिम निर्णय आने तक तदर्थ शिक्षकों का वेतन भुगतान जारी रखा जाय। सरकार न्यायालय के उक्त आदेश का भी अनुपालन नही कर रही है।उन्होंने कहा कि 10,11 व 12 जून को मुजफ्फरनगर में आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर में प्रदेश भर के शिक्षकों का संगम हो रहा है। इसी सम्मेलन में उक्त मुद्दों पर विस्तार से मंथन होगा और भविष्य में आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।