मुंशी प्रेम नारायण, मुखर्जी, जे बी सुमन, धर्मपाल की धमक रही बरेली पत्रकार जगत में

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बरेली। में उपजा के प्रयास से सबसे पहले बना उपजा प्रेस क्लब एवम पत्रकार कालोनी। बरेली। देश दुनिया में आज पत्रकारिता का स्वरूप ही डिजिटल ने बदल दिया है। चंद मिनटों में खबर एवम फोटो दुनिया के किसी भी भाग में पहुंच कर वायरल हो जाते हैं। पर आज से लगभग 45 या 50 वर्ष पूर्व जब समाचार फोन, टेलीग्राम या पेकेट से ही सभी संवाददाता अपने अपने संस्थान को भेजते थे । वर्ष 1990 आते आते ही बरेली भी समाचार केंद्र बन गया था। समय तक बरेली में अमर उजाला, विश्व मानव, दैनिक दिव्य प्रकाश के बाद दैनिक जागरण, दैनिक आज, नवसत्यम भी बरेली में आ चुका था। बाद में जनमोर्चा, दैनिक हिंदुस्तान, कैनविज एवम अमृत विचार भीं बरेली से प्रकाशित हुए। बरेली में यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) के प्रयास से सबसे पहले बना उपजा प्रेस क्लब एवम पत्रकार कालोनी बनी। बरेली में 50वर्ष पूर्व पत्रकारिता जगत में 1974 के दशक में जब मैं पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ सीखने की ललक से जब आया उस समय बरेली में बाहर के आने बाले देश-प्रदेश के समाचार पत्रों में समाचार भेजने वालों में मुंशी प्रेम नारायण सक्सेना, नरेन्द्र मोहन मुखर्जी, धर्मपाल गुप्ता, सुरेश शर्मा, ब्रिज पाल विसारिया, भार्गव जी आदि की गूंज होती थी जबकि बरेली के समाचार पत्रों में जे. बी. सुमन, राकेश कोहरवाल, नरेश वर्मा, के. के. शर्मा, बलवीर सहाय त्यागी, बलवंत राय  मिगलानी के नाम की चर्चा होती थी जिनके रोज ही समाचार तार से या समाचार पैकेट के रूप में दिल्ली जाते थे।सुरेंद बीनू सिन्हा का भी भारतीय पत्रकारिता संस्थान खुल चुका था। बरेली में अक्सर श्री जे. बी. सुमन, राकेश कोहरवाल के साथ रहकर उनके कुछ सीखने का प्रयास करता था। उसी दौरान जे. बी. सुमन ने एक दिन मुंशी प्रेम नारायण सक्सेना से मेरी भेंट कराई थी यह कहकर की ये लड़का अभी पत्रकारिता के क्षेत्र में नया है। आप भी इसे समाचारों के बारे में जानकारी देते रहा करें ताकि ये अपनी ‘दैनिक विश्व मानव’ की रिपोर्टिंग में कुछ काम कर सके। मुंशी प्रेम नारायण से भेंट के बाद उनसे कचहरी पर बंगलिया चैंबर में उनसे मुलाकात होती रही। जहां आम की बंगगिया स्थित बिस्तर पर कई वकील कुर्सी डाल कर बैठते थे और गपशप में मुंशी प्रेम नारायण सक्सेना उन्हें शहर के किस्से चटकारे लेकर सुनाते थे। जब मैं पहुंचता तो वह नमस्कार करने के बाद कहते थे। बैठ जाओ और कुछ समय बाद वह बसंत चाय वाले की दुकान पर ले जाकर दिन भर की सुनी सुनायी घटनाओं के बारे में बताते थे और कहते थे कि तुम फलां-फलां व्यक्ति से इस बारे में मिल लेना।इस संबंध में तुम्हें और भी काफी जानकारी मिल जायेगी ताकि तुम्हारा समाचार ढंग से बन सके। इसके बाद वह एक चाय एक समोसा खिलाकर मुझे विदा करते थे। मैं अपने कार्यों में लगकर अगले दिन प्रकाशित समाचार उन्हें अवश्य दिखाता था और वह मेरी हौसला आफजाई करते थे। मुंशी प्रेम नारायण के साथ कई बार चुनाव की कवरेज के लिए भी सूचना विभाग की जीप में पीछे बैठकर जाने का सौभाग्य मिला। होता यह था की सूचना विभाग बरेली की जीप कहीं जाने के लिए नरेन्द्र मोहन मुखर्जी के चौपुला मनोरंजन केन्द्र रोड स्थित घर पर जाती थी और सूचना अधिकारी के साथ ही मुखर्जी आगे की सीट पर काबिज हो जाते थे।  मुंशी प्रेम नारायण हम जैसे पत्रकारों को पीछे की सीट पर बैठना पड़ता था। यात्रा के दौरान मुंशी प्रेम नारायण अक्सर कोई न कोई प्रसंग चटकारे लेकर सुनाते थे जिससे वहां हास्य का वातावरण गुंजायेमान रहता था।  एक बार की बात है मोहर्रम के समय हम सभी पत्रकार क्षेत्राधिकरी नगर पुलिस के कार्यालय में क्षेत्राधिकारी डा. एच. सी. फुलेरिया से बैठे चर्चा कर रहे थे। इसी बीच नरेन्द्र मोहन मुखर्जी का वहां आना हुआ और क्षेत्राधिकारी पुलिस फुलेरिया जी को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे काम का क्या हुआ? जिस पर फुलेरिया जी ने उत्तर दिया मोहर्रम बाद आपका काम हो जायेगा। जिसपर मुखर्जी ने कहा ‘व्हाट इस मोहर्रम’? इसके बाद मुंशी जी ने अपनी हाजिर जवाबी से कहा मुखर्जी साहब मैं मौहर्रम तो नहीं बस मौहर्रमी शक्ल के बारे में अभी आपको अवगत करा सकता हूं। आप केवल सामने टंगे आइने में अपनी शक्ल जाकर देख लें। जिस पर वहां ठहाका गूंज उठा और मुखर्जी तुरंत वहां से चले गये। मुंशी  प्रेम नारायण की खास आदत थी कि रात के किसी कार्यक्रम में जब वह जाते थे तो डिनर के समय पूछ लेते थे देख कर आओ क्या-क्या टेबिल पर खाने को लगा है।  जब मैं बताता था तो वह कहते मेरे लिए एक प्लेट में उपरोक्त आइटम लगाकर ले आओ। उस समय वरिष्ठ पत्रकारों ने  यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) बरेली का भी गठन कर लिया जिसमें मुझे भी  सदस्य बनाया गया।  इसके बाद मुंशी प्रेम नारायण, जे.बी.सुमन, सुरेश शर्मा,राकेश कोहरवाल रामदयाल भार्गव, ब्रजपाल बिसरिया, के.के.शर्मा, दिनेश पवन आदि ने वर्ष 1975 में ‘उपजा’ का 10 वां प्रांतीय सम्मेलन बरेली में कराने का वीणा उठाया जो बरेली कालेज में हुआ। जिसमे अमर उजाला के मालिक मुरारी लाल माहेश्वरी ने भोजन आदि में बड़ा सहयोग किया था। उपजा के प्रदेश सम्मेलन में ें मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। इस कमेटी के अध्यक्ष मंुशी प्रेम नारायण थे।  उपजा के इस प्रदेश सम्मेलन में प्रदेश भर के 300 पत्रकारों ने भाग लिया और सम्मेलन कराने में अमर उजाला एवं जिलाधिकारी माता प्रसाद ने काफी मदद दी। मुंशी प्रेम नारायण ने तब बरेली में ‘उपजा प्रेस क्लब’ एवं ‘प्रेस कालोनी’ बनाने की मुख्यमंत्री को ‘उपजा’ के सभी पत्रकारों की तरफ से ज्ञापन दिया गया। जिस पर बाद में भी उपजा की ओर से महामंत्री होने के नाते मैंने (निर्भय सक्सेना) भी कई बार स्मरण पत्र सरकार एवं जिला प्रशासन को दिये। जिस पर बरेली में नावल्टी चौराहे पर सिंघल लाइव्रेरी के एक हिस्से में ‘उपजा प्रेस क्लब’ और एकता नगर में 20 मकानों की पत्रकार कालोनी प्रियदर्शिनी नगर में ‘उपजा’ के कारण सबसे पहले बरेली में मूर्त रूप ले सकी। ‘उपजा’ के पास जब जगह नहीं थी तब मेरे एवं अन्य सदस्यों के घरों पर उपजा के‘ प्रेस से मिलिये’ कार्यक्रम होते थे। बाद में जिला परिषद में वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर का भी ‘प्रेस से  मिलिए’ कार्यक्रम रखा गया। मुंशी प्रेम नारायण के सहायक के रूप में भैरव दत्त भट्ट ‘दैनिक उत्तर उजाला’ के प्रतिनिधि बन गये। भैरव भट्ट भी मुंशी जी के घर पर रहते थे। मुंशी प्रेम नारायण के घर पर रविवार को शाम के समय अक्सर चाय का दौर चलता था जहां भाभी विद्यावती चाय के साथ घर की बनी नमकीन व मठरी का नाश्ता कराती थी। 15 दिसंबर 1985 को मेरी शादी हुई तो मैंने मुंशी प्रेम नारायण को कार्ड दिया कि आपको जरूर आना है। मुंशी प्रेम नारायण साहूकारा अग्रवाल धर्मशाला में बारात आने से पहले ही पहुंच गये थे एवं  भोजन कर वहां से चले भी गये थे।  कुछ दिन बाद मैंने शिकायत की कि आप शादी में नहीं आये तो उन्होंने तपाक से कहा जब  तुम्हारी बारात रास्ते में थी तो हम लोग साहूकारा वाली धर्मशाला में पहुंच गये थे। सबसे पहले भोजन करने वालों में हम थे। जिसकी पुष्टि हमारे ससुराल पक्ष के लोगों ने भी कि एक मोटे से व्यक्ति आये थे और सबसे पहले खाना खाकर चले गये थे।

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कुछ अस्वस्थ होने पर मुंशी जी दिल्ली में अपनी बेटी के पास रहने लगे थे। मुझे फोन नंबर दे गये थे कि जब भी तुम दिल्ली आओ तो मेरी बेटी के देवनगर, दिल्ली स्थित आवास पर पत्नी को लेकर जरूर आना। मैं पत्नी को लेकर उनके देवनगर दिल्ली वाले घर पर भी गया। जहां उन्होंने मुझे बगैर भोजन के नहीं आने दिया। मुंशी प्रेम नारायण की शिक्षा इलाहाबाद में हुई जहां उन्होंने कानून की डिग्री ली। उनके पिता मुंशी लेखराज भी उर्दू संस्कृत के विद्वान थे। साथ ही वकालत भी करते थे।इसी कारण प्रेम नारायण ने वकालत शुरू कर दी। मस्तमौला स्वभाव एवं पत्रकारिता में रूचि होने के कारण कचहरी रोज जाया करते थे और मुकदमें उन पर सीमित ही आया करते थे। उ.प्र. सरकार में मंत्री रहे राम सिंह खन्ना के वे बहुत प्रिय थे। एक बार राम सिंह खन्ना के चुनाव के दौरान किसी ने उन्हें शराब का न्यौता दिया तो वह तपाक से बोले हम इतनी पी चुके हैं कि अब मन ही नहीं करता। जबकि वह शराब से दूर ही रहते थे। वर्ष 1950 के दशक में बरेली में ‘डेकोटा प्लेन’ आए थे तो किसी ने मुंशी प्रेम नारायण से कहा कि आप भी आठ आने के टिकट में हवाई यात्रा कर लीजिये  तो वह हंसकर बोले हम हैं कौम के कायस्थ चार आने की दारू में पूरी रात उड़ेगे यह तो आठ आने में 10 मिनट में हवाई जहाज की  ही उड़ान करायेगा। मुंशी जी के अनेक रोचक किस्से हैं जो हर किसी को हंसने पर मजबूर कर देते थे। ऐसी हसौड़ प्रवृत्ति के मुंशी प्रेम नारायण का निधन 3 सिंतबर 1990 को  हुआ।धर्मपाल गुप्ता ‘शलभ’ धर्मपाल गुप्ता बरेली में नवभारत टाइम्स के संवाददाता थे। उन्होंने ‘अमर उजाला’ में ‘समय की धारा’ नामक कालम कुछ समय तक लिखा जब मैं ‘दैनिक विश्व मानव’ में था तो दोपहर में अक्सर पटेल चौक पर ‘फाइन प्रेस’ वाली दुकान पर जाता रहता था जहां उनके पिता चिरंजीव लाल गुप्ता जो स्वयं ‘दैनिक वीर अर्जुन’ के संवाददाता रहे थे। उनसे भी भेंट होती थी। धर्मपाल गुप्ता हमारे निवास के पड़ौस में ही जकाती मौहल्ले में रहा करते थे और साईकिल से अक्सर मेरे पिताजी सुरेश चन्द्र के पास आते जाते थे। इसी कारण वह मुझे भी पहचानते थे जब मैंने उन्हें बताया कि मैं भी ‘दैनिक विश्व मानव’ में पत्रकारिता का कार्य सीखने लगा हूं तो उन्होंने कहा कि तुम्हें पत्रकारिता में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी साथ ही  अन्य समाचार पत्र पढ़ने पर भी ध्यान देना होगा। धर्मपाल गुप्ता की उर्दू भाषा पर भी मजबूत पकड़ थी अक्सर मुस्लिम समाज की प्रेस कांर्फेंस में वह मौलानाओं को निरूतर कर देते थे जब मैं ‘दैनिक जागरण’ आगरा में पहुंचा तो उन्होंने बताया कि उनके दामाद ब्रजेश कुमार आगरा स्टेडियम में वालीवाल के कोच हैं जो अक्सर मुझसे मिलने दैनिक जागरण कार्यालय आते थे।उनकी पुत्री शोभना से भी आगरा के बाद बरेली के ‘मानव सेवा क्लब’ के कई कार्यक्रमों में भेंट होती रही।रामदयाल भार्गव आलमगिरी गंज क्षेत्र में ‘प्रभात प्रेस’ के मालिक थे। वह वहीं से साप्ताहिक अखबार भी निकाला करते थे। बाद में वह ‘हिंदुस्तान समाचार न्यूज एजेंसी’ के बरेली के प्रतिनिधि हो गये। कुछ समय वह ‘दैनिक विश्व मानव’ में बैठने लगे। ‘उपजा’ से भी उनका जुड़ाव रहा। उपजा के आई. वी. आर. आई. में उपजा के प्रदेश सम्मेलन के बाद उन्होंने आर्थिक आरोपों से घिरकर ‘उपजा’ को छोड़ दिया। बाद में वह में अपनी गलती मानते हुए पुनः ‘उपजा’ में आ गये और उपजा बरेली के अध्यक्ष भी बनें।ज्ञान सागर वर्मा बरेेली के एक विद्वान पत्रकार रहे। लखनऊ के ‘दैनिक तरूण भारत’ एवं ‘दैनिक स्वतंत्र भारत’ में काम करने के बाद जब बरेली में ‘दैनिक विश्व मानव’ खुला तो वह बरेली में आ गये। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में उन्हें महारत हासिल थी पर उनका राइटिंग अपठनीय होता था। आपातकाल के दौरान जब जनसंघ के नेता सत्यप्रकाश अग्रवाल गिरफ्तार हुए तो उनका समाचार ज्ञान सागर वर्मा ने देर रात इतना घसीट राइटिंग में लिखा कि कार्यालय में बैठने वाला गुप्तचर अधिकारी उसको नहीं पढ़ सके और उस पर पास की मोहर भी लगा दी। जब सुबह समाचार छपा तो उसपर काफी हंगामा मचा कि यह समाचार ‘दैनिक विश्व मानव’ में क्यों छपा? जब उनको बताया कि कापी पर आपके गुप्तचर अधिकारी ने पास की मुहर लगाई है तभी यह समाचार छपा है। जिसको लेकर उस अधिकारी को हटाकर दूसरी जगह भेज दिया गया। समाचार देने पर और ज्यादा सख्ती हो गई। ज्ञानसागर वर्मा ‘उपजा’ से भी जुड़े रहे और उन्होंने आगरा, लखनऊ, दिल्ली आदि के कई उपजा सम्मेलनों एवं बैठकों में भाग लिया। उनकी 23 दिसंबर 2012 को मृत्यु हुई। दिनेश चन्द्र शर्मा उर्फ दिनेश पवन जी ने भी बरेली में लंबे समय पत्रकारिता की जिसमें ‘दैनिक विश्व मानव’, ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’, ‘ दैनिक जागरण’, ‘दैनिक दो टूक’ में वह समाचार संपादक रहे। चौबे जी की गली निवासी पंडित श्रीकृष्ण शर्मा के पुत्र दिनेश पवन का जन्म बरेली में 4 अक्टूबर 1952 को हुआ तथा उनकी  शिक्षा भी तिलक इंटर कालेज एवं बरेली कालेज में हुई। अपने पड़ौसी अनुराग दीपक के साथ ही वह पत्रकारिता क्षेत्र में आये और ‘दैनिक जागरण’ में लंबी पारी खेलकर वही से रिटायर हुये। दैनिक जागरण में धर्म कर्म एवं शिक्षा, भाजपा की बीट को भी लंबे समय तक देखा जिसपर उनकी मजबूत पकड़ थी। लंबे समय तक उनके धर्म पर लिखे आलेख समाचार /पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे। श्री दिनेश पवन की ज्योतिष पर भी अच्छी जानकारी है साथ ही नाटकों में रुचि के कारण ‘वीर हकीकत राय’ में विष्णु भगवान एवं पी.सी.आजाद जी के नाटक ‘गर्वनर राज’  में भी पुलिस कप्तान का भी अभिनय किया। दिनेश पवन का कहना है कि वह नाटककार स्व. स्वराज्य पल्तानी चाचा के कारण ही अभिनय क्षेत्र में आये। दिनेश पवन की रिपोर्टिंग पर आज तक किसी ने उंगली नहीं उठाई। ‘दैनिक जागरण’ से सेवा निवृत्ति के बाद में वह दैनिक दो टूक के समाचार संपादक बनाये गये। संजीव अरोरा भी दैनिक जागरण अमर उजाला में कार्यरत रहे। आजकल वह सनातन बल ज्योतिष डिजिटल पत्रिका पर काम कर रहे हैं। विश्व मानव आदि में रहे डॉ राजेश शर्मा ने विश्व मानव के न्यूज चैनल के माध्यम से काफी लोगो के इंटरव्यू किया। आज कल राजेश शर्मा गुजिश्ता बरेली पर सार्थक लेखन कर 100 से अधिक लोगो का जीवन वृत्त लिख चुके हैं। वह मान्यता प्राप्त पत्रकार भी हैं। कमल कांत शर्मा शुरूआती दौर में ‘दैनिक विश्व मानव’ में लंबे समय तक संपादकीय विभाग में रहे। अलीगढ़ निवासी कमल शर्मा ने ही विशप मंडल कालेज के बाद बरेली कालेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। ‘दैनिक विश्व मानव’ की बंदी के बाद वह हरिद्वार चले गये और वहां एक दैनिक समाचार पत्र ‘भागीरथ संदेश’ में काम करने के बाद हल्द्वानी आ गये। श्री कमल शर्मा ‘दैनिक उत्तर उजाला’ के प्रभारी बनें। जब ‘दैनिक जागरण’ हल्द्वानी में प्रारंभ हुआ तब श्री शर्मा संपादकीय विभाग की टीम में शामिल हुए और हल्द्वानी दैनिक जागरण’ से ही सेवानिवृत्त हो गये। इसके बाद वह ‘दैनिक उत्तरांचल द्वीप’ से जुड़ गये। नरेश बहादुर ने भी बरेली से ‘रुहेलखण्ड टाइम्स’ अंग्रेजी साप्ताहिक अखबार निकाला  2 अप्रैल 1938 को बुकिंग क्लर्क रहे राज बहादुर एवं श्रीमती त्रिवेणी जी के पुत्र श्री नरेश वर्मा की पढ़ाई कुंवर दया शंकर इंटर कालेज बरेली एवं बाद में बरेली कालेज से स्नातक एवं आगरा यूनिर्वसिटी से एमएसडब्ल्यू किया। वर्ष 1972 में बरेली में उस समय अंग्रेजी साप्ताहिक निकालना भी एक जटिल कार्य था पर श्री नरेश बहादुर जी ने  ‘साप्ताहिक रुहेलखण्ड टाइम्स’ का प्रारंभ किया। बरेली में जब ‘दैनिक विश्व मानव’ शुरू हुआ तो उसमें वह प्रसार प्रबंधक बनाये गये। बाद में बरेली से उन्होंने बरेली से उन्होंने ‘पुलिस जर्नल’ का प्रकाशन किया। त्रिवटीनाथ मंदिर के सामने पावर हाउस के बरावर में रहने वाले नरेश जी का विवाह उमा जौहरी के साथ हुआ। श्री नरेश वर्मा का यू. पी. जर्नलिस्ट एसोसियेशन एवं उपजा के अध्यक्ष रहे पीयूष कांति राय से भी लगाव था। उनके भी साथ स्कूली पढ़ाई की क्योंकि दोनों के पिता रेलवे में एक साथ ही सोरों ;कासगंजद्ध में कार्यरत थे। ब्रजपाल सिंह बिसरिया ने भी गली मिर्धान से अपनी प्रेस से हिंदी साप्ताहिक ‘युग संदेश’ निकाला। बरेली कालेज से स्नातकोत्तर रहे ब्रजपाल बिसारिया जी की गिनती बरेली में गिनती एक अच्छे पत्रकार के रूप में होती थी। बिसारिया उपजा के कर्मठ सदस्य रहे और आगरा सहित कई जिलों में उपजा सम्मेलनों में प्रतिभाग किया। जगदीश विकट ने मढ़ीनाथ में रहकर अपना साप्ताहिक  अखबार ‘चित्रांकन’ कई वर्षों तक निकाला।  वह एक तेज तर्रार पत्रकार रहे तथा उन्हें एक जुझारू पत्रकार के रूप में बरेली के लोग जानते रहे। उन्होंने कई चुनाव भी लड़े। अजीत सक्सेना ने भी बरेली के प्रेमनगर से भी ‘रफ्तार टाइम्स’ एवं ‘खुशबू मेरे देश की’ सहित कई पत्रिकाओं का गुडविन मसीह को साथ लेकर प्रकाशन किया। उनके पुत्र भी विकलांग होने बाबजूद जुझारू पत्रकार हैं। अपनी पत्रिका ‘रफ्तार टाइम्स’ में उन्होंने कई जागरूक पत्रकारों को लेकर एक न्यूज पोर्टल भी शुरू किया जिसमें कई पत्रकार जुड़े रहे। गुडविन मसीह ने बाल साहित्य लेखन में काफी कार्य किया। 8 अगस्त 1966 को जन्मे कहानीकार गुडबिन के लिखे कई नाटक ‘बस्तों की हड़ताल‘, ‘फूल खिलने लगे’ चर्चित हुए। आज कल गुडविन मसीह अजीत सक्सेना के साथ ‘खुश्बू मेरे देश की’ का संपादन कर रहे हैं। श्री मसीह को उ.प्र. हिंदी संस्थान ने डा. राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से भी सम्मानित किया है। करूणा निधि गुप्ता ने बरेली में शुरूआती दौर में प्रेस फोटोग्राफी की और बाद में उन्होंने अपना ‘ईएनआई पोर्टल’ भी प्रारंभ किया। आजकल वह अपना इसी चैनल के माध्यम से कई लोगों को अपने साथ जोड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी एक पत्रिका का भी प्रकाशन किया जिसके कुछ ही अंक छप सके। कंचन वर्मा लंबे समय तक ‘दैनिक आज’,  ‘दैनिक जागरण’, ‘दैनिक अमर उजाला’ में कार्य किया। बाद में वह हल्द्वानी चले गये जहां उन्होंने एक लंबी पारी खेली। आजकल वह बरेली में ‘फ्रंट लाइन न्यूज’ नेटवर्क के माध्यम से अपना पोर्टल चला रहे हैं। सौरभ शर्मा भी बरेली में आर.जे.न्यूज के नाम से अपना पोर्टल चला रहे हैं। इसके अलावा वह अपना एक न्यूज वैवसाइट भी चलाते हैं। हाल में उन्होंने ‘आर.जे.पत्रिका’ का भी प्रकाशन किया जिसका विमोचन अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक सभागार में कराया। विशाल गुप्ता ने बरेली में ‘दैनिक आज’, ‘दैनिक जागरण’  में रिपोर्टिंग एवं संपादन का कार्य किया। आजकल वह बरेली में सन् 2010 से ‘बरेली लाइव’ के नाम से न्यूज पोर्टल चला रहे हैं। अखबारी पत्रकारिता के साथ उन्होने ‘अजमेरा इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया स्ट्डीज’ के नाम से पत्रकारिता संस्थान की स्थापना 2002 में की। उन्होंने ‘अजमेरा पत्रिका’ का भी प्रकाशन किया। जो अब बंद है।

गजेन्द्र त्रिपाठी जो  लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ के संपादकीय विभाग में रहे। बाद में वह हिंदुस्तान में चले गये। उसके बाद वह लंबे समय हल्द्वानी  ‘दैनिक जागरण’ रहे  और वहीं से सेवानिवृत हुये। अब वह विशाल गुप्ता, सचिन श्याम भारतीय के साथ ‘बरेली लाइव’ पोर्टल में उनके साथ जुड़कर यात्रा पार्टनर निकाल रहे हैं। भीम मनोहर भी अपना न्यूज बॉक्स पोर्टल चला रहे हैं। शुभम ठाकुर भी न्यूज पोर्टल पर जीवटता से कार्य करते हैं।प्रभात सिंह ने ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में फोटोग्राफी से अपना कैरियर प्रारंभ किया और अपने योग्यता के बल पर सिटी प्रभारी बने। इसके बाद इलाहाबाद चले गये जहां ‘दैनिक अमर उजाला’ के संपादकीय प्रभारी के तौर पर लंबे समय तक कार्य किया। आजकल वह अमर उजाला में ‘संवाद’ न्यूज एजेंसी के साथ जुड़े हुए हैं। प्रभात सिंह का जन्म 7 अगस्त 1963 में हुआ और बरेली कालेज से उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। आजकल वह बरेली में ही निवास कर रहे हैं। उनके विभिन्न विषयों पर लिये गये फोटोग्राफ हमेशा चर्चा में रहे और उनकी सर्वत्र सराहना भी हुई। राजेश सिंह श्रीनेत ने भी ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में लंबं समय तक कार्य किया। बाद में वह ‘दैनिक जागरण’ से सिटी प्रभारी भी रहे। उन्होंने बरेली में साप्ताहिक समाचार पत्र ‘दीप टाइम्स’ का भी प्रकाशन किया। श्री राजेश जी की गजलों में भी रूचि रही। उनके भाई दिनेश श्रीनेत भी अमर उजाला में रहे। उदित साहू, राजेश जुएल, बिनीत सक्सेना भी अमर उजाला बरेली में संपादक रहे। चन्द्रकांत त्रिपाठी बनारस में स्वतंत्र भारत दैनिक से ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में आये और यहां सी.के.त्रिपाठी के नाम से उनकी पहचान बनी। ‘दैनिक अमर उजाला’ के विज्ञापन विभाग में उन्होंने लंबे समय तक तक काम किया। इसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ में प्रबंधक होकर आ गये। जहां उन्होंने महाप्रवंधक से लेकर स्थानीय संपादक तक की भूमिका में लंबे समय तक कार्य किया। श्री सी.के.त्रिपाठी ने बरेली में रहकर कई प्रयोग भी किये और दैनिक जागरण मुरादाबाद, हल्द्वानी यूनिट का विस्तार कराने तक कार्य किया। बाद में उनका गोरखपुर तबादला हुआ। ‘दैनिक जागरण’ से सेवानिवृत्त होकर वह पुनः बरेली आ गये। यहां से सांध्य ‘दैनिक नमस्कार’ का प्रकाशन शुरू कराया। पर ये अखबार जल्दी ही दम तोड़ गया।बच्चन सिंह ने भी बनारस से बरेली आकर ‘दैनिक जागरण’ में समाचार संपादक के रूप में लंबी पारी खेली। उन्होंने संपादकीय विभाग को लेखन में कई तरह से छूट भी दी। साथ ही वह  ‘दैनिक जागरण’ के लिए अपना साप्ताहिक कालम नियमित लिखते थे। ‘दैनिक जागरण’ के बाद बरेली में उन्होंने ‘संवाद केसरी’ में संपादक के रूप में कार्य किया। बरेली में उन्होंने पत्रकारिता को एक अलग पहचान दिलायी। वह बरेली के समाज के कई वर्गों में लोकप्रिय रहे तथा लोग उन्हें अपने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाते थे। अनिल के.अंकुर ने भी बरेली ‘दैनिक जागरण’ में लंबे समय तक संपादकीय विभाग में काम किया। वह ‘दैनिक जागरण’ में सिटी इंचार्ज भी रहे। बाद में वह ‘दैनिक हिंदुस्तान’ लखनऊ चले गये। आजकल वह लखनऊ में ही ‘जनता न्यूज चैनल’ में कार्य कर रहे हैं।
अनिल श्रीवास्तव ने भी ‘दैनिक जागरण’ बरेली में भी सिटी इंचार्ज पद पर रहे। उन्होंने लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ में कई बीटों पर कार्य किया। आजकल वह ‘दैनिक अमर उजाला’ गाजियाबाद में संपादकीय विभाग में कार्यरत हैं। संजीव पालीवाल भी बरेली में ‘दैनिक आज’ के बाद ‘दैनिक जागरण’ में आ गये। उन्होंने बरेली ‘दैनिक जागरण’ में रिपोर्टिंग में लंबी पारी खेली। इसके बाद वह मुरादाबाद ‘दैनिक अमर उजाला’ में चले गये। कुछ समय वहां कार्य करने के उपरांत उन्होंने दिल्ली जाकर न्यूज चैनल की राह पकड़ी। आजकल वह ‘आजतक न्यूज चैनल’ में साहित्य तक में उच्च पद पर हैं। हाल ही में उन्होंने ‘नैना’ इश्क नहीं आसान नामक उपन्यास भी लिखा जो काफी चर्चित रहा। उनके पिता जे.सी.पालीवाल शहर के जाने-माने समाजसेवी और नाटककर्मी थे। जिन्हें कबीर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। इकबाल रिजवी ने भी बरेली ‘दैनिक जागरण’ में अपना कैरियर शुरू कर दिल्ली में न्यूज चैनल की राह पकड़ी। वर्तमान में इकवाल रिजवी ‘आजतक’ न्यूज चैनल में कार्यरत हैं। किला निवासी श्री इकवाल रिजवी बरेली में काफी मिलनसार और लोकप्रिय रहे। मो.तस्लीम ने भी अपना कैरियर ‘दैनिक अमर उजाला’ से शुरू किया। इसके बाद वह संजीव पालीवाल के साथ दिल्ली में एक चैनल में कार्य करने लगे। वर्तमान में श्री तस्लीम ‘आजतक’ न्यूज चैनल आर्थिक डेस्क के प्रभारी हैं। पंकज शुक्ला इलाहाबाद से अपने पिता श्री अखिलेश शुक्ला के साथ बरेली आये। बरेली में उनके पिता अखिलेश जी ‘दैनिक जागरण’ में रिपोर्टिंग करते थे। अखिलेश के ‘दैनिक जागरण’ छोड़ने के बाद पंकज शुक्ला ने ‘दैनिक जागरण’ में अपनी रिपोर्टिंग प्रारंभ की। पंकज शुक्ला एक तेज-तर्रार रिपोर्टर रहे प्रशासन के बाद उन्होंने विकास भवन जैसी वीटों पर भी बेहतर रिपोर्टिंग कर अपने हुनर का परिचय दिया। कुछ समय बाद दिल्ली के एक न्यूज चैनल में कार्य करने लगे पर उनका मन वहां नहीं लगा और उन्होंने वहां देहरादून का ‘दैनिक राजसत्ता’ को खरीद कर दिल्ली से राजसत्ता नामक पोर्टल का संचालन किया। पिछले दिनों उनकी हृदय रोग से दुखद मृत्यु हो गई। उपजा प्रेस क्लब बरेली ने उनके नाम पर एक कोष का भी संचालन प्रारंभ किया है जिससे नगर के एक बेहतर रिपोर्टर को पुरस्कृत करने की भी योजना है।  विनोद भसीन, राजेन्द्र गढ़वाली, संजय सक्सेना, ए बी नूतन, ज्ञान सागर वर्मा, राकेश कोहरवाल, दिनेश पवन, विश्वमानव में रहे सभी का निधन हो चुका है।फिरासत हुसैन ‘दैनिक विश्व मानव’ में कार्य करने के बाद ‘दैनिक जागरण’ की राह पकड़ी और खेल की रिपोर्टिंग के साथ ही खेल पेज का भी काफी लंबे समय तक संपादन किया। आजकल वह ‘दैनिक स्वतंत्र भारत’ के लिए कार्य कर रहे हैं। श्री फिरासत हुसैन उपजा बरेली के महामंत्री भी रहे। अखिलेश सक्सेना भी बरेली एवम हल्द्वानी जागरण में कार्यरत रहे।फहीम करार युवा पत्रकार हैं उन्होंने बरेली से बच्चों के लिए तितली पत्रिका भी निकाली। उन्होंने ‘दैनिक जनमोर्चा’ में भी संपादन का कार्य किया वह उपजा के भी कर्मठ सदस्य रहे। श्री फहीम करार ने उपजा के आगरा एवं कोटा सम्मेलन में भी भाग लिया।  महबूब आलम ‘दैनिक विश्वमानव’ में रहे इसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ में आ गये। ‘दैनिक जागरण’ में उन्होंने रिपोर्टिंग के साथ संपादन का भी कार्य किया। आजकल वह दैनिक अमर उजाला बरेली में कार्यरत है। महबूब आलम एक रंगकर्मी भी है।राजीव सक्सेना लखनऊ के ‘दैनिक जागरण’ से स्थातंरित होकर बरेली ‘दैनिक जागरण’ आये श्री राजीव सक्सेना ने लंबे समय तक दैनिक जागरण में खेल पेज का संपादन किया। इसके बाद वह ‘दैनिक अमर उजाला’ में चले गये। अमर उजाला छोड़ने के बाद वह बरेली में ‘केनविज टाइम्स’ में भी रहे। बाद में उनका निधन हो गया।आशीष अग्रवाल ने दैनिक ‘दैनिक अमर उजाला’ बरेली में लंबे समय तक संपादकीय विभाग की विभिन्न डेस्कों पर लंबी पारी खेली। आशीष अग्रवाल अमर उजाला के एक मजबूत स्तंभ रहे। उनकी बेहतर रिपोर्टिंग हमेशा चर्चा में रही। बाद में आशीष अग्रवाल ‘दैनिक जागरण’ आ गये। बरेली ‘दैनिक जागरण’ में भी वह सिटी इंचार्ज रहे। इसके बाद वह दिल्ली चले गये और वहां से एक पाक्षिक पत्रिका भी निकाली। आशीष अग्रवाल ‘प्रसार भारती’ से जुड़े थे। श्री आशीष अग्रवाल श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के भी बरेली में सर्वेसर्वा रहे। 20 अप्रैल 2021 को उनकी मृत्यु हो गईअनुपम मार्कण्डेय ने ‘दैनिक बिजनौर टाइम्स’ से अपना कैरियर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने वह रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में कार्य करने लगे। रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय की नौकरी छोड़ कर ‘दैनिक अमर उजाला’ में आ गये जहां उन्होंने लंबे समय तक जनरल डेस्क पर कार्य किया। ‘’दैनिक अमर उजाला’ छोड़ने के बाद वह ‘दैनिक जागरण’ मुरादाबाद आ गये वहां प्रभारी भी बने। उन्होंने कुछ दिन ‘कैनविज टाइम्स’ में भी कार्य किया।

श्री मार्कण्डेय उपजा से लंबे समय तक जुड़े रहे और उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे।डॉ पवन सक्सेना ने भी अपना कैरियर एक शिक्षक के रूप में प्रारंभ किया। बाद में वह ‘दैनिक अमर उजाला’ में आ गये। लंबे समय तक वह रिपोर्टिंग भी करते रहे। उनकी गिनती भी एक तेज तर्रार रिपोर्टर के रूप में रही। उसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ बरेली में आ गये और ‘दैनिक जागरण’ में सिटी इंचार्ज बने। आजकल वह दैनिक भास्कर के प्रमुख के रूप में जुड़े हुए हैं। सफल उद्यमी के साथ ही साथ वह उपजा प्रेस क्लब, बरेली के अध्यक्ष भी हैं। मुकेश तिवारी एवम विरेंद अटल भी उनके साथ भास्कर से जुड़े हैं। संजीव कुमार शर्मा गंभीर ने बरेली के कई हिंदी दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान में दमदार पारी खेली। अब अपना दैनिक गंभीर न्यूज दमदार जनहित से जुड़कर निकलते हैं। संजीव द्विवेदी जागरण अमर उजाला में लंबी पारी के बाद अब दैनिक दो टूक निकाल रहे हैं। विपिन शर्मा विश्व आई न्यूज निकलते हैं। बरेली से बरेली की आबाज, युवा हस्ताक्षर, संवाद केसरी एवम उर्दू के तर्जुमान आदि अखवार का प्रकाशन होता है।मदन मोहन सिंह अपने भाई शिव प्रसाद सिंह के साथ ‘दैनिक जागरण’ बरेली में आये और लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। वर्तमान में मदन मोहन सिंह ‘दैनिक जागरण’ गोरखपुर में कार्यरत हैं।प्रवीण शर्मा ‘दैनिक जागरण’ रिपोर्टिंग में रहे और बाद में उनका कानपुर ट्रांसफर हो गया अब वह बरेली में ही हैं। उनके भाई विपिन शर्मा भी दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभाग में रहें। आजकल श्री विपिन शर्मा व्यापार कर अधिकारी नोएडा में हैं।विपुल राज सिंह ‘दैनिक अमर उजाला के बाद ‘दैनिक जागरण’ में आ गये उन्होंने प्रशासन वीट पर लंबे समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। उन्होंने कुछ दिन ‘दैनिक जागरण’ के लिए फोटोग्राफी का कार्य किया। विपुल राज कुछ समय ‘दैनिक जनमोर्चा’ में भी रहे।विनीत सिंह आगरा से बरेली आये ‘दैनिक अमर उजाला’ के बाद लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ में कार्य किया। श्री विनीत सिंह अपनी बेहतर रिपोर्टिंग के लिए शहर में एक अलग पहचान बनाई। बरेली कालेज के मीडिया सेक्शन में भी उन्होंने कुछ दिन कार्य किया। वर्तमान श्री विनीत सिंह ‘दैनिक भास्कर’ कोटा में कार्यरत हैं।अनुरोध भारद्वाज बदायूं से ‘दैनिक जागरण’ में आये बाद में वह ‘दैनिक हिंदुस्तान’ चले गये और वहां बरेली सिटी के प्रभारी बने। वह मेरठ में ‘दैनिक हिंदुस्तान’ मेरठ में कार्यरत रहे। आजकल अपना एक पोर्टल ‘खबरची’ भी चला रहे हैं।तारिक सईद ‘दैनिक आज’ से जुड़े हुए है और लंबे समय तक क्राइम रिपोर्टिंग का कार्य देख रहे हैं। श्री तारिक भाई सभी पत्रकारों का सम्मान मिलता है और वह पत्रकारों के बीच में लोकप्रिय हैैं।विजय सिंह बरेली में ‘दैनिक स्वतंत्र चेतना’ के पत्रकार हैं और उपजा से भी जुड़े हैं।अशोक शर्मा उर्फ लोटा ‘दैनिक विधान केसरी’ से जुड़े हुये हैं और एक अच्छे हास्य कवि भी हैं।रवि सक्सेना ‘दैनिक वीर अर्जुन’ से जुड़े हैं और एक पत्रकार संगठन बरेली मीडिया क्ल्ब के पदाधिकारी भी हैं।मोहम्मद समी खान विश्व वार्ता एवम ‘दैनिक शेखर टाइम्स’ से जुड़े हुए हैं और एक पत्रकार संगठन बरेली मीडिया क्लब के अध्यक्ष भी हैं। मोहम्मद समी अच्छे रिपोर्टर है और पत्रकारों के बीचों काफी लोकप्रिय हैं।मो. युसूफ दैनिक विश्व मानव में कार्यरत रहे और इनका 23 मई 2021 को निधन हो गया।अशर्फी लाल ‘दैनिक विश्व मानव’ से अपना कैरियर शुरू किया। और बाद में लखनऊ से आने वाले ‘दैनिक जागरण’ के बरेली प्रतिनिधि हो गये। उसके बाद वह ‘दैनिक राष्ट्रीय सहारा’ के बरेली ब्यूरो प्रमुख रहे।राजीव शर्मा ‘दैनिक राष्ट्रीय सहारा’ कार्यालय में कार्यरत रहे। आजकल श्री राजीव शर्मा दिल्ली में अपना पोर्टल चला रहे हैं।कवि रमेश गौतम भी ‘दैनिक विश्व मानव’ में साप्ताहिक परिशिष्ट के प्रभारी रहे। एस.वी.इंटर कालेज में शिक्षक रहे रमेश गौतम एक अच्छे नवगीतकार भी है। उनके गीतों की दो पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ‘दैनिक अमर उजाला’  दैनिक दिव्य प्रकाश’ से जुड़े रहे। वर्तमान में वह ‘विविध संवाद’ पत्रिका के संपादक भी हैं। वह भारतीय पत्रकारिता संस्थान भी चलाते हैं। इसके अलावा वह मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष भी हैं। अनिल सक्सेना दैनिक विश्व मानव के बाद दिल्ली प्रेस की सरिता मुक्ता पत्रिका में दिल्ली में रहे।रघुवीर चौहान ‘दैनिक आज’ के बाद ‘दैनिक जागरण’ में आ गये और काफी समय तक रिपोर्टिंग का कार्य किया। श्री रघुवीर चौहान आजकल ‘दैनिक अमर उजाला’ में कार्यरत हैं। राजेन्द्र पांडे बरेली में लंबी पारी खेल।कर दिल्ली जाकर बस गए।
राजेश गौड़ भी ‘आकाशवाणी बरेली’ में कार्यक्रम अधिकारी रहे और आकाशवाणी बरेली से सेवानिवृत्त हुये। श्री राजेश गौड़ भी आकाशवाणी पर कुछ कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे।रवीन्द्र मिश्रा आकाशवाणी में रिपोर्टिंग का कार्य भी करते हैं उन्होंने अपना एक स्टुडियो भी बना रखा है जहां वह अपने कार्यक्रम तैयार करते हैं। बरेली में नीरज आनंद जी न्यूज 24, अनूप मिश्रा, ए वी पी, कृष्ण राज आज तक अरविंद गंगवार जी दूरदर्शन, मनवीर सिंह टी वी 9 से जुड़े हैं। ललित कुमार, अशोक कुमार शर्मा जनमोर्चा, विजय सिंह, पुत्तन सक्सेना स्वतंत्र चेतना,अशोक शर्मा लोटा , शंकर लाल, शुभम ठाकुर पोर्टल से जुड़े हुए हैं । सुनील सक्सेना एवम प्रशांत रायजादा दैनिक आज में हैं। उनकी जोड़ी निगम में खासी पहचान है। सुनील सक्सेना पत्रकार क्रिकेट टूर्नामेंट भी हर वर्ष कराते हैं।प्रवीण शंखधार, शैलेश शर्मा, मलिक राजपूत, विक्रांत साहू, ए.के.आजाद सांध्य कालीन ‘दैनिक दो टूक’ कार्यरत हैं। राकेश मथुरिया जी आंवला में, राजेन्द्र वर्मा आंवला में, नत्थूलाल मीरगंज में, उमेश पांडेय फरीदपुर में कार्यरत रहे। श्री निर्मल कांत शुक्ला, मेघाव्रत्त मिश्रा, देवेन्द्र देवा, अरूण पाराशरी, श्याम सुन्दर भाटिया, उमेश लव, चन्देक बिष्ट, सुरेश पाण्डेय, विपुल राज सिंह ने भी लंबे समय तक ‘दैनिक जागरण’ के ब्यूरो कार्यालय में काम किया।  बरेली में महिला पत्रकारों में पूनम भारत, मनु नीरज, सुचित्रा डे, शिल्पी गुप्ता, नूतन सक्सेना, सोनाली, शाईस्ता, नाजिया अंजुम, रक्क्षंदा आदि महिला पत्रकारों ने लंबे समय तक काम किया। श्रीमती सुप्रिया एरन भी दिल्ली पी टी आई में कार्यरत रहीं। उन्होंने बरेली में नगर निगम में मेयर पद भी संभाला। बरेली केंट से विधान सभा चुनाव भी लड़ा था पर सफल नहीं हुई।बरेली के मान्यता प्राप्त रहे पत्रकारों की सूचीअजय शर्मा छायाकार, उमेश शर्मा छायाकार, वसीम अहमद, प्रदीप चन्द्र तिवारी, आमोद कुमार , आशीष दीक्षित, राजीव रंजन, राकेश कुमार कश्यप छायाकार, राजीव कुमार चौहान, कुमुद शर्मा, प्रदीप कुमार मिश्रा, विवेक मिश्रा , शंकर दास, शाहिद हुसैन, अनिल चौहान , रईस अहमद, नफीस अहमद भारती, पदमदत्त शर्मा , डा. दीप अग्रवाल, अक्षत अग्रवाल, श्रीमती मीनू अग्रवाल, डा. रोली अग्रवाल, सुश्री शीतल अग्रवाल, आफाक हुसैन, कुमार विनय, अखिलेश कुमार, हरीश चन्द्रा, रमेश कुमार सिंह, अशर्फी लाल, मुकेश पाण्डेय, अरविंद कुमार, अनूप कुमार मिश्र, नीरज आनंद को, सुश्री नाजिया अंजुम , दीप चंद तिवारी, दिव्य अग्रवाल, शोभित जौहरी , विकास सक्सेना, पंकुल शर्मा, दीपक कुमार, कृष्ण गोपाल राज यादव, राजेश शर्मा, के साथ ही निर्भय सक्सेना पूर्व मान्यता प्राप्त पत्रकार रहे।

निर्भय सक्सेना

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