वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत हुई है। 30 साल बाद अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी है। व्यासजी का तहखाना वर्ष 1993 से बंद था। ज्ञानवापी स्थित नंदी के मुख के सामने दक्षिणी दीवार के पास मौजूद तहखाने में वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा। इसी व्यास पीठ से मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, आरती की जाती रही। वर्ष 1993 में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिये पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करा दिया था। ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी करा दी गई थी। दिसंबर 1993 में ही तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के तत्कालीन पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए पूजा-पाठ पर रोक लगा दी। तहखाने में भी ताला लगा दिया था। वर्ष 1996 में दायर आदिविश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार के वाद में नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तहखाने के एक ताले की दो चाबी का जिक्र किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी के ताला खोलने से मना करने के बाद व्यास पीठ के पंडित सोमनाथ व्यास ने एक चाबी से ताला खोला था। इसके बादज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान नंदी जी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला था।