कोडागांव के ‘मां दंतेश्वरी हर्बल’ के उत्पादों ने राजधानी के मैग्नेटो- मॉल के ‘जागरूकता-मेले’ में मचाई धूम
नई दिल्ली। प्रदेश की राजधानी स्थित मैग्नेटो मॉल में 6 तथा 7 जनवरी को आयोजित दो दिवसीय “संपूर्ण स्वास्थ्य हेतु संपूर्ण पोषण आहार” मेले में बस्तर के “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” की आदिवासी महिलाओं के द्वारा अपने खेतों में उगाई गए श्रीअन्न (मिलेट्स), मसाले, शहद के साथ ही दुर्लभ जैविक जड़ी बूटियों से तैयार उत्पाद धूम मचा रहे हैं। बस्तर में उगाई जैविक उत्पादन की ब्रांडिंग तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मार्केटिंग कर रही “एमडी बोटैनिकल्स” की सीईओ अपूर्व त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान में ‘एमडी बोटैनिकल्स ने इस मेले में ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर के सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल प्रोडक्ट्स जैसे कि स्त्री पुरुषों तथा बच्चों की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग 12 प्रकार की हर्बल चाय, बस्तर के जंगलों की शुद्ध शहद, जैविक एक्सपोर्ट क्वालिटी ‘सफेद मुसली’, अश्वगंधा आदि दुर्लभ बानो साड़ियों का पाउडर तथा जैविक कैप्सूल, चियाबीज,रागी, कोदों कुटकी,जैविक फ्लेक्स सीड, अलसी तथा बस्तर की काली-मिर्च, काला चावल, हल्दी, दाल जैविक लाल मिर्च करीब 70 सत्तर अलग अलग प्रकार के उत्पाद प्रस्तुत किए गए हैं। अपूर्व त्रिपाठी ने आगे बताया कि उनका वर्तमान प्रमुख लक्ष्य अपने प्रोडक्ट का विपणन करना नहीं है उसके लिए तो उनके राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के ऑनलाइन बाजार पर्याप्त है,, बल्कि उनके प्रमुख लक्ष्य है कि अपने प्रदेश की राजधानी की लोगों को अपने उत्तम स्वास्थ्य हेतु जहर मुक्त ,जैविक उत्तम खाद्य पदार्थ एवं पोषण अहीरों के बारे में जागरूक करना है। राजधानी के लोगों द्वारा बस्तर में मां दंतेश्वरी हर्बल समूह द्वारा की जा रही जैविक खेती के इन उत्पादों की बेहतरीन ब्रांडिंग और पैकेजिंग के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रमाणित गुणवत्ता की भूरी भूरी सराहना की जा रही है।
कौन हैं अपूर्वा त्रिपाठी:- अपूर्वा त्रिपाठी छत्तीसगढ़ राज्य में हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। हाल में ही उन्हें देश का कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा अवार्ड ‘एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड’ दिया गया है। इसके अलावा उन्होने बेस्ट स्टार्टअप पुरस्कार भी जीता है। इनकी मातृ संस्था ‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह’ भारत का पहला प्रमाणिक जैविक हर्बल फार्म है जो सर्वश्रेष्ठ एक्सपोर्टर का पुरस्कार जीत चुका है। तकरीबन 700 से अधिक आदिवासी परिवार इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हो रहे हैं। सके साथ ही दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप ने उन दुर्लभ जड़ी बूटियों का संरक्षण भी किया है जो रेड डाटा बुक में शामिल हैं । मां दंतेश्वरी हर्बल समूह को 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। अपूर्वा ने बताया कि वो एलएलबी, एलएलएम- बौद्धिक संपदा कानून तथा एलएलएम-कारपोरेट लॉ करने के बाद अभी बौद्धिक संपदा कानून पर डॉक्टरेट कर रही हैं। उन्होंने कहा कि डॉ राजाराम त्रिपाठी की बेटी होने के नाते उन्होंने बचपन से अपने आस-पास एग्रीकल्चर में हो रहे नये नये नवाचारों को ,जैविक, हर्बल खेती में संघर्ष तथा सफलता की यात्रा को नजदीक से देखा और महसूस किया। और आखिरकार उन्होंने 25 लाख रुपए सालाना के पैकेज को ठोकर मार कर बस्तर के महिलाओं के बीच जैविक खेती के क्षेत्र को अपना कैरियर चुना। उन्होंने लाखों की नौकरी को ठोकर मार कर अपने जैसे अन्य युवाओं को भी रोजगार देने के उद्देश्य से अपने पिता डॉ राजाराम त्रिपाठी के साथ मिलकर बस्तर क्षेत्र में बस्तर की आदिवासी महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जैविक खेती के विकास और बस्तर में उगाए गए जैविक उत्पादों की सफल ब्रॉडिंग देश विदेश के मार्केट में कर रही हैं। इसके साथ ही अपूर्वा तथा मां दंतेश्वरी हर्बल समूह जैविक खेती तथा हर्बल खेती के क्षेत्र में आने वाले अन्य नए उद्यमियों, प्रगतिशील किसानों विशेषकर युवाओं तथा महिला कृषि उद्यमियों को हर्बल, जैविक खेती से लेकर उनके उत्पादों को बाजार दिलाने,यानी कि विपणन तक भरपूर मदद तथा मार्गदर्शन दे रही हैं।
विवेक कुमार
मां दंतेश्वरी हर्बल समूह