नई दिल्ली। देश में राजनेताओं के द्वारा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना का मुद्दा तेजी से उछला है। कांग्रेस समेत विपक्ष के दलों ने जाति जनगणना को बड़ा विषय बनाया। अब दिल्ली में व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने अलग मांग उठाई है। CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि जातिगत सर्वे के साथ यह डेटा भी इकट्ठा किया जाए, किस जाति के लोग कितना टैक्स सरकार को देते हैं? इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। आखिर, लोगों को पता चलना चाहिए कि अर्थव्यवस्था चलाने में किस जाति के लोगों की अहम भूमिका है? कौन सबसे अधिक टैक्स देता है? क्या सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति बनाती है? सरकार के पास इनकम टैक्स और जीएसटी संबंधी सभी तरह का डेटा है। करदाताओं की सूची भी जाति आधारित जारी हो , आज तक यह पता नहीं चल पाया कि कौनसी जाति सरकार को कितना राजस्व देती है? जो भी जाति सबसे अधिक राजस्व देती है, उसके लिए भी नीतियां, बीमा, पेंशन, मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए। बृजेश गोयल ने कहा कि व्यापारिक संगठन होने के नाते ऐसी मांग कर रहे हैं , ट्रेडर्स कम्युनिटी में इस पर जोरों की चर्चा चल रही है। हजारों व्यापारियों ने CTI की इस मांग पर सहमति जताई है। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी कह चुके हैं कि बिहार में हुए जातिगत सर्वे की तरह कांग्रेस शासित राज्यों में भी जातिगत सर्वेक्षण होगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐलान कर चुके हैं कि अपने राज्यों में जातिगत सर्वे कराएंगे।