अल्जाइमर रोग दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने की बिमारी है

अल्जाइमर रोग एक न्यूरोलाजिक डिसआर्डर (तंत्रिका संबंधी विकार) है। इसमें दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लग जाती है और रोगी के मस्तिष्क को याद रखने, चुनाव करने में परेशानी होती है। समय पर पहचान होने पर दवाओं से इस रोग के बढ़ने की दर को कम कर मरीज का जीवन काल को बढ़ाया जा सकता है। रोग का शुरूआती चरण में ही पता लगाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इवि) के विज्ञानियों ने डीन लर्निंग आधारित साफ्टवेयर विकसित किया है। यह साफ्टवेयर एमआरआई के डाटा का अध्ययन अल्जाइमर रोग की उपस्थिति का 99 प्रतिशत तक सटीकता से पहचान करने में सक्षम है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन स्प्रिंगर नेचर की बुक सीरीज स्टडीज इन आटोनामिक, डाटा ड्रिवेन एंड इंडस्ट्रियल कंप्यूटिंग में प्रकाशित हुआ है। इवि के सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) सेल के चेयरमैन और जेके इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डा. आशीष खरे के निर्देशन में शोध छात्रा कोमल सिंह ने यह डीप लर्निंग आधारित अल्जाइमर डिटेक्शन साफ्टवेयर विकसित किया है। यह साफ्टवेयर स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति में अल्जाइमर का लक्षण की प्रारंभिक चरण में ही पहचान करने में सक्षम पाया गया है। साफ्टवेयर को प्रशिक्षित करने के बाद इस पर अल्जाइमर के 40 रोगियों के एमआरआइ डाटा का परीक्षण किया गया, इसमें साफ्टवेयर ने 99 प्रतिशत सटीक परिणाम दिए। अल्जाइमर और गैर अल्जाइमर रोगियों के मिश्रित परीक्षण में 96 प्रतिशत सटीक परिणाम आए। मस्तिष्क की प्रणाली का प्रयोग करता है डीप लर्निंग डीप लर्निंग मशीन लर्निंग का एक उपक्षेत्र है। यह मानव मस्तिष्क में न्यूरोंस के उपयोग करने के तरीके के समान अल्गोरिदम का उपयोग करता है। अल्गोरिदम कंप्यूटर को मानव मस्तिष्क से प्रेरित तरीके से डेटा संसाधित करना सिखाता है। यह सटीक अंतर्दृष्टि और भविष्यवाणियां उत्पन्न करने के लिए चित्रों, पाठ, ध्वनियों और अन्य डेटा में जटिल पैटर्न को पहचान कर सकता है। भारत में अल्जाइमर के करीब 60 लाख मरीज हैं। समस्या है कि लोगों को इसका एहसास ही नहीं है। बुजुर्गों के साथ कम उम्र के लोगों में भी अल्जाइमर के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में प्रारंभिक अवस्था में ही रोग की पहचान होने के बाद दवाओं के जरिए बीमारी को नियंत्रित कर रोगी का जीवनकाल बढ़ाने में मदद मिलेगी। पेटेंट के लिए आवेदन भी कर दिया है। -प्रो. आशीष खरे, चेयरनमैन आइसीटी सेल-इलाहाबाद विश्वविद्यालय